ब्यूरो रिपोर्ट : वंश बहादुर सिंह
रायबरेली के लालगंज कोतवाली क्षेत्र के पिलखा गांव में एक दलित युवक सुरेंद्र को दबंगों ने तालिबानी सजा दी। मामूली विवाद के बाद उसे पेड़ से बांधकर बेरहमी से पीटा गया और जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया। घटना की जानकारी पुलिस को मिलने के बावजूद दबंगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टे, पीड़ित सुरेंद्र के खिलाफ शांतिभंग के तहत कार्रवाई की गई, जिससे पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
सुरेंद्र ने बताया कि वह आम बेचने के लिए गांव गया था, जहां दबंगों ने उस पर हमला किया। करीब छह से अधिक लोगों ने उसे पेड़ से बांधकर प्राणघातक हमला किया। इसके बाद उसे कोतवाली ले जाया गया, जहां पुलिस के सामने भी उसकी पिटाई की गई और जातिगत अपमान किया गया। इस घटना ने क्षेत्र में दबंगों की गुंडागर्दी और पुलिस की निष्क्रियता को उजागर किया है।
घटना को कवर करने गए पत्रकार संतोष कुमार के साथ भी दबंगों ने मारपीट की। उन्होंने पत्रकार का मोबाइल छीनकर घटना का वीडियो डिलीट कर दिया। इस घटनाक्रम से पुलिस और दबंगों की सांठगांठ की आशंका प्रबल हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दबंगों का दबदबा इस कदर है कि पुलिस भी उनके सामने नतमस्तक है।
इस घटना ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कानून-व्यवस्था के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा के दलित नेताओं ने भी इस घटना पर आक्रोश जताया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लालगंज कोतवाली के इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है और जांच चल रही है। हालांकि, पीड़ित पक्ष का कह ना है कि पुलिस की जांच महज औपचारिकता है। इस घटना ने दलित उत्पीड़न और पुलिस की निष्क्रियता के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया।