रायबरेली : जिस गांव में हुआ था लोकसभा मतदान का बहिष्कार! वहां पहुंचे अमेठी सांसद से लोगों ने पूछा सवाल

नेताओं के वर्चस्व की लड़ाई में रुका मैनुपुर गांव की सड़क का निर्माण

ब्यूरो रिपोर्ट : शिवा मौर्य

लोकसभा चुनाव के दौरान इस गांव के लोगों ने ग्राम का विकास कार्य न होने के चलते मतदान का बहिष्कार करके नेताओं और अधिकारियों को गांव आने पर मजबूर कर दिया था। 20 मई 2024 का वह दिन जो पूरे देश में चर्चा का विषय बना रहा, जब सांसद प्रत्याशी के रूप में राहुल गांधी यहां पहुंचे थे।रायबरेली संसदीय सीट के मतदान के दौरान ग्रामीणों के भारी विरोध के बाद राहुल गांधी अमावा विकास खंड के मैनुपुर गाँव पहुंचे थे। तब यहां लोगों ने मतदान का बहिष्कार इस लिये किया था कि गाँव को जाने वाली सड़क करीब 30 वर्षों से आज भी कच्ची है। जिस पर दर्जनों हादसे भी हो चुके लेकिन इसे बनाया नही गया। उस समय राहुल गांधी के कहने पर लोगों ने बात मानते हुए मतदान करने का फैसला लिया। तब कहा गया कि इस सड़क का निर्माण करवा दिया जाएगा।लेकिन आज भी इस सड़क का निर्माण नही पूरा हुआ है।

इस सम्बंध में सोमवार को आज रायबरेली के भुएमऊ सांसद आवास पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में अमेठी के सांसद किशोरी लाल शर्मा ने कहा कि, मैनुपुर सड़क का निर्माण इस लिये भी नही हो पाया है कि यह सड़क जिला पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आती है। जिसे दिशा की बैठक में पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर करने का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन अभी तक यह न हो पाने के कारण इस सड़क का निर्माण नही हो पाया है। उन्होंने मीडिया से भी जिला पंचायत पर दबाव बनवाकर इस कार्य को पीडब्ल्यूडी को सौंपने की बात की। वही उन्होंने कहा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ गड्ढा मुक्त सड़क की बात कहते हैं जबकि हकीकत सबके सामने है। बता दें कि तब भाजपा से सांसद प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली के मैनुपुर गांव में चुनाव बहिष्कार को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का हथकंडा बताया था। दिनेश का दावा था कि जिस सड़क को लेकर बाॅयकाट किया गया वह सड़क निर्माणाधीन है। इसके बावजूद कांग्रेस और सपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने मैनेज करके मतदान बहिष्कार कराया।

दिनेश सिंह ने कहा कि रायबरेली के पहले सांसद उनके दादा थे। इनका नाम राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने लेना उचित नहीं समझा। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी का नाम लिया, लेकिन रायबरेली के पहले सांसद फिरोज का नाम नहीं लिया, जिसके नाम से वोट नहीं मिलता. राहुल उसको दादा मानने से इनकार कर देते हैं। फिलहाल ग्रामीणों का सवाल अभी भी बरकरार है उनकी जुबान पर बस यही है,दरकार की आखिर इस रोड को बनाकर सरकार कब करेगी उद्धार। अब देखना यह है कि इन पार्टियों के गढ़ के चलते इस गांव का विकास होता है या नहीं या यूं ही अधर में लटकता रहेगा सड़क निर्माण का मुद्दा ।

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