टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन

ब्यूरो रिपोर्ट : शिवा मौर्य

रायबरेली के कलेक्ट्रेट परिसर स्थित डीएम ऑफिस के सामने गुरुवार को बड़ी संख्या में शिक्षक टीईटी को अनिवार्य किए जाने के आदेश के खिलाफ धरना-प्रदर्शन पर उतरे आये और जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की

बताते चलें कि सरकार से टेट अनिवार्यता के खिलाफ जो फैसला आया है। उसको लेकर शिक्षकों ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से भूतलक्षी प्रभाव डालता है।और वर्षों से सेवाएं दे रहे, शिक्षकों की गरिमा पर सवाल खड़ा करता है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि 20–30 वर्षों से कक्षा में बच्चों को पढ़ा रहे अनुभवी शिक्षकों को अचानक परीक्षा में बाँधना न केवल अन्यायपूर्ण है। बल्कि उनकी सेवा भावना का भी अपमान है। धरना स्थल पर शिक्षकों ने नारेबाजी करते हुए सरकार से मांग की कि 2011 से पहले नियुक्त सभी शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता से मुक्त किया जाए। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर जल्द सकारात्मक कदम नहीं उठाए तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

शिवकुमारी नामक अध्यापिका के साथ शिक्षक संगठनों के बैनर तले आयोजित इस आंदोलन में सैकड़ों अनुभवी अध्यापक सड़कों पर उतरे और अपनी लंबी सेवा के बावजूद नई परीक्षा की बाध्यता को अन्यायपूर्ण बताते हुए विरोध जताया। यहां शिक्षकों की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि उनकी सेवा भावना का भी अपमान करता है। धरना स्थल पर एकत्रित शिक्षकों ने नारेबाजी करते हुए सरकार पर भेदभावपूर्ण नीति अपनाने का आरोप लगाया। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बाहर आयोजित इस धरने में महिलाएं और पुरुष शिक्षक दोनों बड़ी संख्या में शामिल हुए। स्थानीय प्रशासन ने प्रदर्शन पर नजर रखी, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। शिक्षक संगठनों ने कहा कि यह मुद्दा पूरे उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है और रायबरेली का यह प्रदर्शन राज्यव्यापी आंदोलन का हिस्सा है। सरकार से अपील की गई है कि शिक्षकों की चिंताओं को समझते हुए नीति में संशोधन किया जाए, ताकि शिक्षा व्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

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