Arogya Hospital Accused Of Negligence : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मोदीनगर क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां आरोग्य अस्पताल के डॉक्टर सचित गोयल पर गलत इलाज और घोर लापरवाही का गंभीर आरोप लगा है। सीकरी खुदे गांव की निवासी महिला ऊषा की अचानक बिगड़ती तबीयत के दौरान परिवार ने उन्हें इसी अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन कथित तौर पर डॉक्टर द्वारा दी गई हाई डोज दवा ने उनकी हालत को और नाजुक बना दिया। फिलहाल ऊषा कोमा में हैं और दूसरे अस्पताल के वेंटिलेटर पर जीवन की जंग लड़ रही हैं। परिवार ने इलाज के नाम पर 60,000 रुपये की वसूली का भी आरोप लगाते हुए मोदीनगर थाने में तहरीर देकर डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने मामले को संज्ञान में ले लिया है और जांच शुरू कर दी है।
घटना का पूरा विवरण

जानकारी के अनुसार, यह घटना हाल ही में घटी जब सीकरी खुदे गांव की रहने वाली ऊषा की तबीयत अचानक खराब हो गई। परिवार के सदस्यों ने तुरंत उन्हें मोदीनगर स्थित आरोग्य अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टर सचित गोयल ने उनका इलाज शुरू किया। परिजनों का दावा है कि डॉक्टर ने बिना उचित जांच के ऊषा को हाई डोज दवा दे दी, जिसके तुरंत बाद उनकी हालत तेजी से बिगड़ने लगी। दवा के साइड इफेक्ट्स के कारण ऊषा को चक्कर, उल्टी और बेहोशी जैसी शिकायतें होने लगीं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने शुरुआती चरण में इसे हल्के में लिया।
परिजनों ने बताया कि जब ऊषा की हालत और गंभीर हो गई, तो उन्होंने डॉक्टर सचित गोयल से कई बार संपर्क करने की कोशिश की। हर बार डॉक्टर ने आश्वासन दिया कि “मरीज बिल्कुल ठीक है और चिंता की कोई बात नहीं”। लेकिन जब परिवार स्वयं अस्पताल पहुंचा, तो उन्हें डॉक्टर के व्यवहार में लापरवाही नजर आई। ऊषा की सांस लेने में तकलीफ बढ़ने लगी और वह होश खोने लगीं। आनन-फानन में परिवार ने उन्हें मोदीनगर के ही एक अन्य अस्पताल, निवोक हॉस्पिटल में भर्ती कराया।
निवोक हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने ऊषा की जांच की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। उन्होंने बताया कि मरीज कोमा में चली गई हैं और उन्हें तुरंत वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा है। डॉक्टरों के अनुसार, यह स्थिति गलत दवा के ओवरडोज के कारण हुई है, जो जानलेवा साबित हो सकती है। ऊषा की जान खतरे में है और परिवार 24 घंटे अस्पताल में डटा हुआ है।
आर्थिक शोषण का आरोप
परिजनों ने अस्पताल पर आर्थिक शोषण का भी गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इलाज के नाम पर डॉक्टर सचित गोयल ने कुल 60,000 रुपये वसूल लिए, जबकि ऊषा को बस कुछ घंटों का ही इलाज मिला। इनमें दवाओं, जांचों और अन्य खर्चों का नाम लिया गया, लेकिन कोई रसीद या बिल नहीं दिया गया। परिवार का आरोप है कि यह राशि बिना किसी पारदर्शिता के ली गई और जब हालत बिगड़ी तो डॉक्टर ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। ऊषा के पति ने बताया, “हम गरीब परिवार से हैं। इतने पैसे उधार लेकर दिए, लेकिन इलाज में लापरवाही ने सब बर्बाद कर दिया।”
परिवार की बयान : न्याय की गुहार
पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने दर्द भरी आवाज में कहा, “हमारी ऊषा घर की इकलौती बहू है। वह हम सबकी जिंदगी थी। डॉक्टर ने लापरवाही बरती, गलत दवा दी और फिर झूठे आश्वासन देकर हमें टरकाया। 60,000 रुपये ले लिए, लेकिन जान बचाने की कोशिश तक नहीं की। अब वह कोमा में है, वेंटिलेटर पर सांसें ले रही है। हम गरीब हैं, लेकिन न्याय जरूर मिलना चाहिए। डॉक्टर को सजा दो, ताकि कोई और परिवार ऐसा दर्द न झेले।” परिवार ने मोदीनगर थाना प्रभारी को तहरीर सौंपते हुए कहा कि अगर ऊषा को कुछ हुआ तो वे उच्च न्यायालय तक लड़ेंगे।
पुलिस की कार्रवाई और अस्पताल का पक्ष
मोदीनगर थाने के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि पीड़ित परिवार की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है। “हम डॉक्टर सचित गोयल और आरोग्य अस्पताल के मेडिकल रिकॉर्ड्स की जांच कर रहे हैं। अगर लापरवाही साबित हुई तो आईपीसी की धारा 304ए (लापरवाही से मौत का कारण) के तहत कार्रवाई होगी। ऊषा की मेडिकल रिपोर्ट्स भी मंगवाई जा रही हैं।” पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
आरोग्य अस्पताल की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। डॉक्टर सचित गोयल से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका पक्ष स्पष्ट नहीं हो सका। अस्पताल प्रशासन ने फोन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका
यह मामला गाजियाबाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही को उजागर करता है। हाल ही में जिले के अन्य अस्पतालों में भी इसी तरह की शिकायतें सामने आई हैं, जैसे डासना सीएचसी में गर्भवती महिला की मौत और एमएमजी अस्पताल में उपचार संबंधी विवाद। विशेषज्ञों का कहना है कि निजी अस्पतालों में डॉक्टरों की योग्यता और दवा प्रोटोकॉल की सख्त निगरानी जरूरी है। जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले पर नजर रखी है और जरूरत पड़ने पर जांच समिति गठित करने का ऐलान किया है।
यह घटना न केवल एक परिवार का दर्द है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। उम्मीद है कि न्याय मिलेगा और ऊषा जल्द स्वस्थ होकर घर लौटेंगी। विकास की इस खबर पर नजर बनी रहेगी।










