Big Decision Of FSSAI : भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें किसी भी फूड या ड्रिंक प्रोडक्ट पर ‘ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स’ (ORS) का लेबल लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मंजूरी अनिवार्य कर दी गई है। इस फैसले का उद्देश्य गलत मार्केटिंग को रोकना है, जहां मीठे और चीनी युक्त पेयों को ORS के नाम से बेचकर उपभोक्ताओं, खासकर बच्चों को गुमराह किया जाता है। यह आदेश हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष की आठ साल की लंबी कानूनी और सामाजिक लड़ाई का नतीजा है, जिन्होंने इस मुद्दे को उठाया और जीत हासिल की।
FSSAI के इस नए निर्देश के अनुसार, कोई भी फल-आधारित, गैर-कार्बोनेटेड या अन्य प्रकार के पेय पदार्थों पर ORS का नाम या लेबल इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जब तक कि उत्पाद WHO के निर्धारित मानकों को पूरा न करे। पहले कई कंपनियां मीठे ड्रिंक्स को ‘ORS’ के रूप में प्रचारित करती थीं, जो डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले असली ORS से अलग होते हैं। असली ORS एक मेडिकल सॉल्यूशन है, जो डायरिया या अन्य बीमारियों में शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करता है, लेकिन मीठे पेय इसमें चीनी की अधिकता के कारण बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जैसे मोटापा, डायबिटीज और दांतों की समस्याएं।

डॉ. शिवरंजनी की लड़ाई: एक मां और डॉक्टर की जिद
यह पूरी कहानी शुरू हुई हैदराबाद की डॉ. शिवरंजनी संतोष से, जो एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं और खुद एक मां भी। वर्ष 2017 में उन्होंने पहली बार इस मुद्दे को नोटिस किया, जब बाजार में कई ब्रांड्स के मीठे ड्रिंक्स पर ORS का लेबल देखा। डॉ. शिवरंजनी ने महसूस किया कि यह गुमराह करने वाली मार्केटिंग बच्चों की जान जोखिम में डाल रही है, क्योंकि माता-पिता इन पेयों को असली ORS समझकर इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने FSSAI, स्वास्थ्य मंत्रालय और अदालतों में कई याचिकाएं दाखिल कीं, साथ ही सोशल मीडिया और जागरूकता अभियानों के जरिए लोगों को शिक्षित किया।
आठ साल की इस लड़ाई में डॉ. शिवरंजनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें कानूनी बाधाएं, कंपनियों की लॉबिंग और सरकारी देरी शामिल थीं। लेकिन उनकी जिद काम आई। अक्टूबर 2025 में FSSAI ने आखिरकार आदेश जारी कर दिया। इस जीत पर डॉ. शिवरंजनी भावुक हो गईं। एक वीडियो में रोते हुए उन्होंने कहा, “यह मेरी नहीं, बल्कि लोगों की जीत है। हमने बच्चों की सेहत को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी, और अब असली ORS को पहचान मिलेगी। मीठे पेयों से बच्चों को होने वाले नुकसान को रोकना जरूरी था।
FSSAI के आदेश का प्रभाव: बाजार में क्या बदलेगा?
FSSAI का यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। अब कोई भी कंपनी ORS लेबल का इस्तेमाल तभी कर सकेगी, जब उत्पाद WHO के ORS फॉर्मूले (जिसमें ग्लूकोज, सोडियम, पोटैशियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स की सटीक मात्रा होती है) को पूरा करे और प्रमाणित हो। इससे बाजार में मौजूद कई लोकप्रिय ब्रांड्स प्रभावित होंगे, जो अब तक ‘ORS’ नाम से प्रोडक्ट्स बेच रहे थे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला बच्चों की सेहत को प्रोटेक्ट करेगा और उपभोक्ताओं को सही जानकारी देगा।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस कदम की सराहना की है। एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में हर साल लाखों बच्चे डिहाइड्रेशन से प्रभावित होते हैं, और गलत प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल स्थिति को बदतर बना सकता है। डॉ. शिवरंजनी की कैंपेन ने न केवल नियम बदले, बल्कि जागरूकता भी फैलाई। अब उम्मीद है कि अन्य देश भी ऐसे कदम उठाएंगे।
यह फैसला एक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति की मेहनत पूरे सिस्टम को बदल सकती है। डॉ. शिवरंजनी की कहानी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जहां लोग उन्हें ‘बच्चों की रक्षक’ कह रहे हैं।