Centenary Celebration Of Rashtriya Swayamsevak Sangh : आज अपनी विधानसभा क्षेत्र बेलहरा मंडल स्थित रामनवमी मैदान में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम में सैकड़ों लोग सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर संघ के पदाधिकारियों एवं स्वयंसेवकों के साथ राष्ट्र सेवा, अनुशासन, संगठन और स्वाभिमान के पथ पर निरंतर अग्रसर रहने का संकल्प लिया। विजयादशमी का यह पावन पर्व हमें सदैव सत्य, साहस और धर्म की विजय का संदेश देता है। भारत माता की जय! खंड संघचालक हरीश, रामनाथ सोनी, वीरेंद्र वर्मा, ओमकार, सुनील सोनी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की जरूरत क्यो पड़ी उसपर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि भारव वर्ष हमारा छोटे छोटे राज्यो मे विभक्त था जिससे कई बाहरी आक्रान्ता आये और उन छोटे छोटे राज्यो को संगठित न होने से अपने राज्य का विस्तार करने लगे जिससे हिन्दु परम्परा व संस्कृति का हृास हुआ और हिन्दुओ का पतन हुआ।

7वीं शताब्दी मे आदि गुरूशंकरा चार्य ने पूरे भारत भ्रमण कर मठो व मंदिरो मे विद्यतजनो से शास्त्रार्थ किया और निरंजन अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, उदासीन अखाड़ा जैसे सभी अखाड़ो मे जाकर शास्तार्थ कर उन्हे धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित किया, जो हिन्दू धर्म की रक्षा करते हुए नागा साधुओ व संतो को शस्त्र विद्या सिखाकर उन्हे धर्म की रक्षा मे लगाया गया। हमारे देश के असंगठित लोग संगठित अंग्रेजो का मुकाबला नही कर पाये और अंग्रेज यहा पर चर्च के पादरी, एसपी डीएम सीएमओ व कर्नल, जनरल बनकर हमारे हिन्दुओ को अपने सेना मे सिपाही बनाकर कर संगठित सेना के बल पर सौ वर्षो तक शासन किया। हिन्दुओ मे अभिव्यक्ति निर्माण व पूराने शौर्य को स्मरण कराने के लिए भगवाध्वज को आदर्श माना और देश मे फैले आसुरी शक्ति व राक्षसो के विनाश के लिए भगवान श्रीराम व हनुमान ने धर्म की रक्षा के लिए समाज को जगाने का कार्य किया उसी से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गयी। भारत हिन्दू राष्ट्र है अंग्रेजो ने भारत को कमजोर करने के लिए 1904 में नेपाल को अलग कर दिया 1906 मे भुटान को अलग किया, 1930 मे इसी तरह तिब्बत, श्रीलंका, गंधार को अलग कर भारत को कमजोर किया। हमारी शिक्षा व सास्कृतिक व्यवस्था को नष्ट करने के लिए भ्रामक इतिहास लिखे गये।
इन्ही लोगो मे राष्ट्रीय चेतना और पुराने वैभव को हनुमान की तरह जगाने के उददेश्य से इसका गठन किया गया। सर संघचालक मोहन भागवत के बयान पर बोलते हुए कहा कि हमारा विशाल भारत के पीओके जैसे एक कमरा मे अपना कुर्सी मेज रखकर जो कब्जा करना चाहते है अब उन्हे खाली करना होगा, जो आज सौ वर्ष का सफर पूरा कर रहा है। इससे पूर्व प्रान्त प्रचारक ने आज कार्यक्रम को संबोधित तमाम संघ पदाधिकारी किया है। कार्यक्रम मे खंड संघ चालक हरीश, रामनाथ सोनी, वीरेंद्र वर्मा, ओमकार, सुनील सोनी के नेतृत्व मे पथ संचलन किया गया। पथसंचलन बेलहरा रामनवमी मैदान से होते हुए विश्वनाथ चौराहा से पुरानी पुलिस चौकी के पीछे होते हुए कार्यक्रम स्थल पर समाप्त हुआ।
विजयदशमी पर्व मनाया गया। जिसमे सह विभाग प्रचारक ने शताब्दीवर्ष के महत्व को बताते हुए विगत सौ वर्षो की चर्चा किये और संघ के विभिन्न आनुशांगिक संगठनो पर प्रकाश डाला। क्षेत्र मे सेवा आदि जैसे दर्जनो आनुशांगिक संगठनो पर प्रकाश डाला और उनके समय समय पर उनके सहयोग की सराहना की। आगे शताब्दी वर्ष के पंच प्रण के पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी, कुुटुम्ब प्रबोधन, समरसता व नागरिक कतर्व्य के महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला।