Abhinav Group Of Institutions : कानपुर के अभिनव ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में छात्राओं के साथ फ्रॉड: दलाल ने ऐंठे 1.10 लाख

संस्थान ने तीन सेमेस्टर के पेपर कैसे दिए? छात्रनेता अभिजीत राय ने दी आंदोलन की चेतावनी

Abhinav Group Of Institutions : उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में प्राइवेट शिक्षा संस्थानों की काली करतूतों ने एक बार फिर छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रावतपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत स्थित अभिनव ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में दो छात्राओं के साथ हुए फ्रॉड ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। एक दलाल ने एडमिशन के नाम पर छात्राओं और उनके परिजनों से 1 लाख 10 हजार रुपये ऐंठ लिए, लेकिन अब संस्थान फीस न जमा होने का बहाना बनाकर चौथे सेमेस्टर के परीक्षा देने से इनकार कर रहा है। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि दलाल के ही कहने पर संस्थान ने इन छात्राओं को तीन सेमेस्टर की परीक्षाएं देने की अनुमति दे दी थी। इस घटना ने दलालों और संस्थानों के बीच गठजोड़ की पोल खोल दी है। छात्रनेता अभिजीत राय ने इसे ‘शिक्षा के मंदिरों में दलाली का धंधा’ बताते हुए बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। रावतपुर पुलिस मौके पर पहुंची और वार्ता जारी है, लेकिन फिलहाल कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

फ्रॉड का पूरा खुलासा: कैसे फंसाया गया जाल?

यह मामला दो छात्राओं—जिनमें से एक का नाम रिंकू बताया जा रहा है—के इर्द-गिर्द घूम रहा है। छात्राओं के परिजनों के अनुसार, एडमिशन सीजन के दौरान एक दलाल, जिसका नाम विकास है, ने खुद को संस्थान का अधिकृत एजेंट बताते हुए संपर्क किया। विकास ने आकर्षक ऑफर दिए: कम फीस में एडमिशन, होस्टल सुविधा और गारंटीड डिग्री। लालच में आकर परिजनों ने रिंकू के बैंक अकाउंट में 1 लाख 10 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। विकास ने पैसे लेने के बाद रसीद या कोई लिखित पुष्टि नहीं दी, लेकिन मौखिक आश्वासन दिया कि सब कुछ सेट हो जाएगा।

छात्राओं ने कोर्स शुरू किया और बिना किसी रुकावट के पहले तीन सेमेस्टर की कक्षाएं अटेंड कीं। यहां सबसे बड़ा सवाल उठता है: अगर फीस जमा ही नहीं हुई थी, जैसा कि अब संस्थान दावा कर रहा है, तो तीन सेमेस्टर के पेपर कैसे देने दिए गए? छात्राओं का आरोप है कि विकास ने संस्थान के अधिकारियों से सांठगांठ करके यह सब संभव बनाया। चौथे सेमेस्टर के लिए परीक्षा फॉर्म भरने और पेपर देने की बारी आई, तो संस्थान ने अचानक रुख बदल लिया। अधिकारियों ने कहा, “तुम्हारी कोई फीस जमा नहीं है, इसलिए परीक्षा नहीं दे सकतीं।” इससे छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया। परिजनों ने पैसे वापस मांगने की कोशिश की, लेकिन विकास फोन पर उपलब्ध ही नहीं हो रहा।

परिजनों ने बताया कि वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं और बेटियों की पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर पैसे जुटाए थे। “हमने भरोसा किया कि प्राइवेट इंस्टीट्यूट अच्छा होगा, लेकिन यह फ्रॉड का अड्डा निकला,” एक परिजन ने भावुक होकर कहा।

हंगामा और छात्रनेता का हस्तक्षेप: पुलिस पहुंची, वार्ता जारी

जब छात्राओं ने चौथे सेमेस्टर के पेपर देने से इनकार कर दिया और संस्थान के गेट पर धरना देना शुरू किया, तो मामला गरम हो गया। सूचना मिलते ही स्थानीय छात्रनेता अभिजीत राय तुरंत मौके पर पहुंचे। अभिजीत राय, जो कानपुर में छात्र आंदोलनों के लिए जाना-पहचाना नाम हैं, ने छात्राओं का साथ दिया और संस्थान प्रबंधन पर भारी दबाव बनाया। उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “ऐसे इंस्टीट्यूट्स में दलालों ने कहर मचा रखा है। छात्रों के साथ फ्रॉड का धंधा चल रहा है। अगर फीस जमा नहीं थी, तो तीन सेमेस्टर के पेपर कैसे दे दिए? यह साफतौर पर दलाल और संस्थान की सांठगांठ है। इसकी गहन जांच होनी चाहिए।”

अभिजीत राय की अपील पर रावतपुर थाने की पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। थाना प्रभारी ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत कराई, लेकिन फिलहाल कोई समझौता नहीं हो सका। पुलिस ने छात्राओं के बयान दर्ज किए हैं और बैंक ट्रांजेक्शन की जांच शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने बताया, “मामला संज्ञान में है। अगर फ्रॉड साबित हुआ, तो IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत केस दर्ज होगा।” हालांकि, संस्थान प्रबंधन ने फोन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

दलाली का काला कारोबार: कानपुर के प्राइवेट कॉलेजों में बढ़ रही समस्या

यह घटना कानपुर के प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स में व्याप्त दलाली की समस्या को उजागर करती है। कई छात्र संगठनों का दावा है कि एडमिशन के नाम पर ब्रोकर लाखों रुपये ऐंठते हैं, और संस्थान इससे 20-30% कमीशन लेते हैं। पिछले एक साल में ऐसे 10 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जहां छात्राओं को न केवल पैसे गंवाने पड़े, बल्कि उनका एक साल भी बर्बाद हो गया। अभिजीत राय ने कहा, “कानपुर के शिक्षा के मंदिरों में दलाली नहीं चलने देंगे। अगर इन छात्राओं को न्याय नहीं मिला, तो कुछ ही दिनों में वृहद आंदोलन करेंगे। संस्थान को भारी संख्या में घेरेंगे, जिलाधिकारी के पास शिकायत लेकर जाएंगे।”

राय ने अन्य छात्र संगठनों से भी अपील की है कि वे एकजुट हों। उनका कहना है, “यह दो छात्राओं का मामला नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की सड़ांध है। UGC और राज्य सरकार को ऐसे संस्थानों की मान्यता रद्द करनी चाहिए।”

क्या होगी अगली कार्रवाई?

फिलहाल, वार्ता जारी है और पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत रहने की हिदायत दी है। छात्राओं के परिजन जिलाधिकारी कार्यालय जाने की तैयारी कर रहे हैं। अगर मामला सुलझा, तो पैसे लौटाने और सेमेस्टर पूरा करने की मांग हो सकती है। अन्यथा, आंदोलन का खतरा मंडरा रहा है। यह घटना न केवल अभिनव ग्रुप, बल्कि पूरे कानपुर के प्राइवेट शिक्षा क्षेत्र के लिए चेतावनी है। छात्रों से अपील है कि एडमिशन से पहले संस्थान की सत्यापन करें और किसी दलाल पर भरोसा न करें।

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