Ghaziabad Air Pollution : उत्तर भारत में ठंड का आगमन होते ही वायु प्रदूषण की समस्या फिर से सिर उठाने लगी है। ग़ाज़ियाबाद शहर में गुरुवार को औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 366 तक पहुँच गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यह स्तर पिछले कुछ दिनों की तुलना में काफी बढ़ोतरी दर्शाता है, जिससे स्थानीय निवासियों में चिंता की लहर दौड़ गई है।
प्रदूषण के बढ़ते स्तर का विश्लेषण

गुरुवार सुबह से ही शहर के विभिन्न इलाकों में धुंध की मोटी चादर छा गई, जिससे दृश्यता प्रभावित हुई और सांस लेने में तकलीफ महसूस होने लगी। CPCB की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग के मुताबिक, ग़ाज़ियाबाद का औसत AQI 366 रहा, जो 301-400 की रेंज में ‘खराब’ कैटेगरी में रखा जाता है। इस स्तर पर लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों में जलन, गले में खराश, सांस की तकलीफ और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
शहर के प्रमुख क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर और भी चिंताजनक रहा:
- इंदिरापुरम: AQI 380 से ऊपर, निर्माण कार्यों और ट्रैफिक जाम की वजह से सबसे प्रभावित।
 - संजयनगर : औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं के कारण AQI 375 के आसपास।
 - साहिबाबाद : सड़क धूल और वाहनों के उत्सर्जन से AQI 370 दर्ज।
 
अन्य इलाकों जैसे वसुंधरा, कौशांबी और क्रॉसिंग रिपब्लिक में भी AQI 350-360 के बीच रहा, जो पूरे शहर को प्रदूषण की चपेट में ला रहा है।
प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, ठंड के मौसम में तापमान गिरने से वायु में नमी बढ़ जाती है, जिससे प्रदूषक कण हवा में लटके रहते हैं। मुख्य वजहें निम्नलिखित हैं:
- सड़कों पर उड़ती धूल : यातायात की अधिकता और सड़कों की खराब स्थिति से धूल के कण हवा में मिल रहे हैं।
 - निर्माण कार्य : शहर में चल रहे मेट्रो, फ्लाईओवर और आवासीय प्रोजेक्ट्स से PM2.5 और PM10 कणों का उत्सर्जन।
 - वाहनों का धुआं : डीजल वाहनों, पुरानी गाड़ियों और ट्रैफिक जाम से निकलने वाला प्रदूषण।
 - मौसमी कारक : पराली जलाने की घटनाएं पड़ोसी राज्यों से हवा के साथ प्रदूषक पहुंचा रही हैं, हालांकि स्थानीय स्तर पर यह कम है।
 
स्वास्थ्य पर पड़ता गहरा असर
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस स्तर का प्रदूषण विशेष रूप से संवेदनशील समूहों के लिए खतरनाक है। डॉक्टरों की सलाह:
- सुबह और शाम के समय बाहर व्यायाम या टहलना
 - बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा, COPD जैसे सांस के रोगियों को घर के अंदर रहने की सलाह।
 - मास्क (N95 या समकक्ष) का उपयोग अनिवार्य करें।
 - घरों में एयर प्यूरीफायर चलाएं और खिड़कियां बंद रखें।
 
अस्पतालों में सांस संबंधी मरीजों की संख्या में 20-30% की बढ़ोतरी देखी जा रही है, जो प्रदूषण के सीधे प्रभाव को दर्शाता है।
प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे कदम
ग़ाज़ियाबाद नगर निगम और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए तत्काल कदम उठाने की घोषणा की है:
- पानी का छिड़काव : प्रमुख सड़कों पर रोजाना पानी छिड़काव कर धूल को दबाया जाएगा।
 - सड़क सफाई : मैकेनिकल स्वीपर्स की संख्या बढ़ाई जाएगी।
 - निर्माण स्थलों की निगरानी : सभी साइट्स पर धूल नियंत्रण उपायों (जैसे ग्रीन नेट, पानी स्प्रिंकलर) की सख्ती से जांच।
 - ट्रैफिक प्रबंधन : प्रदूषित वाहनों पर चालान और ओड-ईवन जैसे विकल्पों पर विचार।
 - GRAPE योजना : ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के तहत आगे के स्तरों के लिए तैयारी।
 
नगर निगम आयुक्त ने कहा, “हम प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सभी संसाधन लगा रहे हैं। नागरिकों से भी सहयोग की अपील है कि वे पटाखे न जलाएं और कारपूलिंग अपनाएं।”
आगे की संभावनाएं
मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में ठंड और बढ़ेगी, जिससे प्रदूषण में और इजाफा हो सकता है। यदि हवा की गति नहीं बढ़ी तो AQI 400 के पार जा सकता है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक नियंत्रण के लिए औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्ती, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और हरित क्षेत्रों का विकास जरूरी है।
निवासियों से अपील है कि वे प्रदूषण की शिकायतें CPCB की ऐप या हेल्पलाइन पर दर्ज करें। शहर की हवा को साफ रखने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।










