Ghazipur : जिले के कासिमाबाद ब्लॉक के सिपाह गांव में मनरेगा के तहत चल रहे इंटरलॉकिंग सड़क निर्माण कार्य में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। ग्राम प्रधान पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग बच्चों से काम कराया, घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया और मनरेगा पोर्टल पर फर्जी मास्टर रोल अपलोड कर लाखों रुपए का गबन करने की कोशिश की। मीडिया में खबर चलने के बाद मुख्य विकास अधिकारी ने तुरंत संज्ञान लिया और कार्रवाई के आदेश दिए।
दरअसल, 27 नवंबर को गांव में नहर के पास इंटरलॉकिंग सड़क निर्माण का कार्य चल रहा था। मौके पर पहुंची मीडिया टीम ने देखा कि काम पर 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिग बच्चे ईंटें ढो रहे थे और इंटरलॉकिंग बिछा रहे थे, जो मनरेगा के नियमों का खुला उल्लंघन है। साथ ही इस्तेमाल की जा रही इंटरलॉकिंग टाइल्स और अन्य सामग्री घटिया क्वालिटी की थीं।

जब मनरेगा पोर्टल पर मास्टर रोल की जांच की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए
- कार्यस्थल पर नाबालिग बच्चे काम कर रहे थे, लेकिन मास्टर रोल में ग्राम प्रधान द्वारा अपलोड की गई तस्वीरों में केवल वयस्क पुरुष और महिलाएं दिखाई दे रही थीं।
- मास्टर रोल में दर्ज कार्यस्थल का स्थान और वास्तविक कार्यस्थल पूरी तरह अलग-अलग थे।
- उसी दिन गांव में तीन अलग-अलग मनरेगा कार्य चल रहे थे, लेकिन दो कार्यों के लिए एक ही सेट की तस्वीरें अपलोड की गई थीं, जिससे फर्जीवाड़ा साफ झलक रहा है।
शुरुआत में डीसी मनरेगा ने मामले को दबाने-टालने की कोशिश की, लेकिन मीडिया में लगातार कवरेज और शिकायतों के बाद मुख्य विकास अधिकारी ने स्वयं हस्तक्षेप किया। सीडीओ के सख्त निर्देश के बाद परियोजना निदेशक दीनदयाल उपाध्याय ने पोर्टल पर दोबारा जांच की और फर्जीवाड़े की पुष्टि की।
परियोजना निदेशक दीनदयाल उपाध्याय ने मीडिया को बताया, “मामला गंभीर है। मास्टर रोल में स्पष्ट हेराफेरी पाई गई है। हम शीघ्र ही पूरी जांच कर दोषी ग्राम प्रधान व अन्य संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। नाबालिगों से काम कराना और फर्जी फोटो अपलोड करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
वहीं, मौके पर काम कर रहे नाबालिग मजदूरों ने कैमरे के सामने बताया कि उन्हें ग्राम प्रधान और उनके लोग जबरन काम पर लगाते हैं और मजदूरी भी पूरी नहीं दी जाती।
मामला सामने आने के बाद क्षेत्र में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा है। ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा के नाम पर आए करोड़ों रुपये का बंदरबांट हो रहा है और गरीबों का हक मारा जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी ने परियोजना निदेशक को 7 दिन के अंदर पूरी जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। अब देखना यह है कि दोषियों पर कितनी सख्ती से कार्रवाई होती है।










