High Court’s Decision : बिना प्रमोशन के हेडमास्टर का काम कर रहे इंचार्ज शिक्षकों को मिलेगा 1,98,077 रुपये का वेतन

High Court’s Decision : उत्तर प्रदेश के प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में वर्षों से इंचार्ज हेडमास्टर (प्रभारी प्रधानाध्यापक) का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे सहायक अध्यापकों के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक फैसला वरदान साबित हुआ है। कोर्ट ने साफ आदेश दिया है कि इन शिक्षकों को हेडमास्टर ग्रेड का पूर्ण वेतन, जिसमें मूल वेतन के साथ अन्य भत्ते शामिल हैं, तत्काल प्रभाव से दिया जाए। अनुमानित मासिक वेतन पैकेज अब 1,98,077 रुपये तक पहुंच सकता है, जो इन शिक्षकों के लंबे संघर्ष का फल है। यह फैसला न केवल प्रमोशन से वंचित शिक्षकों को न्याय दिलाता है, बल्कि शिक्षा विभाग में व्याप्त प्रशासनिक सुस्ती और ‘मुर्दा शिक्षक नेताओं’ की निष्क्रियता पर भी करारा प्रहार है।

पृष्ठभूमि: प्रमोशन का इंतजार और इंचार्ज की मजबूरी

उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हजारों सहायक अध्यापक (जूनियर टीचर्स) ऐसे हैं जो आधिकारिक प्रमोशन के बावजूद इंचार्ज हेडमास्टर के रूप में काम कर रहे हैं। ये शिक्षक स्कूल का पूरा प्रशासनिक और शैक्षिक जिम्मेदारी संभालते हैं—छात्रों की उपस्थिति, स्टाफ प्रबंधन, सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, यहां तक कि निरीक्षण टीमों का सामना—लेकिन उन्हें केवल सहायक अध्यापक का वेतन (लगभग 50,000-70,000 रुपये मासिक) ही मिलता रहा है। प्रमोशन प्रक्रिया में देरी का कारण बताया जाता है ऊपरी अधिकारियों की लापरवाही और राजनीतिक हस्तक्षेप। खासकर रायबरेली जैसे जिलों में, जहां शिक्षक संगठनों के ‘मुर्दा नेता’ सोते रहते हैं, ये इंचार्ज शिक्षक वर्षों से न्याय के लिए दर-दर भटकते रहे।

राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ और अन्य संगठनों के अनुसार, राज्य भर में 10,000 से अधिक ऐसे इंचार्ज हैं, जिनमें रायबरेली जिले में ही 500 से ज्यादा प्रभावित हैं। इन शिक्षकों ने हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर कीं, जिनमें प्रमुख रूप से कहा गया कि “हेडमास्टर का काम बिना हेडमास्टर के वेतन के कराना श्रम शोषण है।” आगरा, प्रयागराज और लखनऊ बेंच में दायर इन याचिकाओं ने आखिरकार न्याय की दस्तक दी।

हाईकोर्ट का आदेश: विस्तार से क्या कहा गया?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मई 2024 में एक प्रमुख फैसले में (जिसकी पुष्टि अक्टूबर 2025 तक पूर्ण हुई) साफ निर्देश दिए हैं:

  • पूर्ण वेतन भुगतान : इंचार्ज हेडमास्टर के रूप में कार्यरत सभी सहायक अध्यापकों को हेडमास्टर ग्रेड का मूल वेतन (लेवल-8 के तहत लगभग 47,600 रुपये मूल + महंगाई भत्ता, एचआरए, टीए आदि मिलाकर कुल 1,98,077 रुपये मासिक) तत्काल दिया जाए।
  • एरियर का भुगतान : पिछले वर्षों का बकाया वेतन (एरियर) तीन मासिक किश्तों में अदा किया जाए। उदाहरण के लिए, यदि कोई शिक्षक 5 वर्ष से इंचार्ज है, तो उसे लाखों रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
  • समय सीमा : प्रभावित शिक्षकों को 4 सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट के आदेश की प्रमाणित प्रति के साथ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के पास आवेदन करना होगा। विभाग को 3 माह में भुगतान पूरा करने का आदेश है।
  • भविष्य की रोक : कोर्ट ने सख्त चेतावनी दी है कि प्रमोशन प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ARP (Assistant Review Panel) चयन में भी बीटेक/बीएड धारकों को प्राथमिकता दी जाए।

यह फैसला यूपी बेसिक शिक्षा परिषद के 2,491 प्राइमरी, जूनियर और कंपोजिट स्कूलों पर लागू होगा, जहां 1,000 से अधिक इंचार्ज प्रभावित हैं। हाईकोर्ट ने कहा, “शिक्षक राष्ट्र निर्माण के आधार हैं, उनका शोषण शिक्षा व्यवस्था का अपमान है।”

रायबरेली में स्थिति: ‘मुर्दा नेता सो रहा है, कब मिलेगा भुगतान?’

रायबरेली जिले में स्थिति और भी दयनीय है। यहां के BSA कार्यालय में सैकड़ों आवेदन लंबित हैं, लेकिन स्थानीय शिक्षक नेताओं की उदासीनता के कारण प्रक्रिया रेंग रही है। एक प्रभावित इंचार्ज शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हाईकोर्ट का आदेश आ गया, लेकिन हमारे ‘मुर्दा शिक्षक नेता’ सो रहे हैं। रायबरेली में कब मिलेगा यह वेतन, यह न पूछें—क्योंकि ये नेता चुनावी ड्रामे में व्यस्त हैं, शिक्षकों के दर्द में नहीं।” जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि आदेश प्राप्त हो चुका है, लेकिन फंड रिलीज में देरी हो रही है। अनुमान है कि नवंबर 2025 तक पहली किश्त जारी हो सकती है, बशर्ते स्थानीय संगठन सक्रिय हों।

शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया: वरदान, लेकिन सतर्कता जरूरी

राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ के जिलाध्यक्ष ने इसे “शिक्षकों के लिए दीवाली का तोहफा” बताया, लेकिन चेतावनी दी कि विभाग द्वारा आदेशों को ठंडे बस्ते में न डाला जाए। एक अन्य संगठन ने कहा, “यह फैसला प्रमोशन से वंचित शिक्षकों के लिए राहत है, लेकिन ऊपरी अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह लागू नहीं होगा।” संगठनों ने रायबरेली के शिक्षकों को एकजुट होकर BSA कार्यालय का घेराव करने की अपील की है।

प्रभाव: शिक्षा व्यवस्था पर क्या असर?

यह आदेश न केवल वित्तीय राहत देगा, बल्कि स्कूलों में प्रबंधन को मजबूत करेगा। इंचार्ज शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा, जिससे छात्रों की शिक्षा बेहतर होगी। हालांकि, राज्य सरकार को अब प्रमोशन नीति में सुधार करना होगा ताकि भविष्य में ऐसी याचिकाओं की जरूरत न पड़े।

शिक्षा विभाग के निदेशक ने कहा, “आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।” लेकिन रायबरेली के शिक्षक इंतजार कर रहे हैं—क्या ‘मुर्दा नेता’ जागेंगे? अधिक जानकारी के लिए स्थानीय BSA कार्यालय से संपर्क करें।

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