Human Friendship Festival 2025 : इब्राहिमपुर गांव में मानव मैत्री महोत्सव 2025 का भव्य आयोजन

Human Friendship Festival 2025 : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के शहर कोतवाली क्षेत्र में स्थित इब्राहिमपुर गांव ने मानवता, सद्भाव और भाईचारे के संदेश को एक ऐतिहासिक आयोजन के माध्यम से मजबूती से स्थापित किया। मंगलवार, 28 अक्टूबर की रात करीब शुरू हुए ‘मानव मैत्री महोत्सव 2025’ में हजारों की संख्या में ग्रामीणों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न जनपदों से आए लोगों ने भाग लिया। यह महोत्सव न केवल एक सांस्कृतिक समारोह था, बल्कि अखंड भारत के नवनिर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हुआ, जहां धर्म, जाति, भाषा और प्रांत की दीवारें तोड़ने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम का मुख्य नारा रहा – “जहां धर्म-जाति-भाषा-प्रांत की दीवारें टूटेंगी, वहां इंसानियत की नई सुबह उजागर होगी।”

कार्यक्रम की शुरुआत शांति प्रार्थना और दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें उपस्थित सभी लोगों ने मानवता को सर्वोच्च धर्म मानते हुए एकजुटता का संदेश दिया। मुख्य अतिथियों ने मंच से अपनी बात रखते हुए कहा कि आज के समाज को सबसे अधिक मैत्री और सद्भाव की आवश्यकता है, क्योंकि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं। बदलाव तभी संभव है जब हम सब मिलकर आगे बढ़ें। इस ऐतिहासिक आयोजन में जो भी अपना योगदान दे रहा है, वह सच्ची गरिमा का हकदार है।

मुख्य अतिथियों की उपस्थिति और उनके संदेश

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. नवल किशोर शाह, जो एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कैंसर सर्जन हैं, ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। डॉ. शाह ने मंच से कहा, “जहां इंसानियत होती है, वही सच्चा उत्सव होता है।” उन्होंने अपने चिकित्सा क्षेत्र के अनुभवों के आधार पर बताया कि मानवता का संदेश न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि वैश्विक पटल पर भी प्रासंगिक है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझते मरीजों की सेवा के माध्यम से उन्होंने इंसानियत की मिसाल पेश की और उपस्थित जनसमूह से अपील की कि हम सबको एक-दूसरे के दर्द को अपना दर्द मानना होगा।

उनके साथ मंच पर महासचिव जंगचुक चोड़ेंन गुरु जी भी विराजमान थे, जिन्होंने तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार शांति और सद्भाव के महत्व पर प्रकाश डाला। गुरु जी ने कहा कि अखंड भारत का नवनिर्माण तभी संभव है जब हम आध्यात्मिक एकता को मजबूत करें। उन्होंने विभिन्न जनपदों से आए लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि मैत्री का अर्थ केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में है।

प्रोफेसर लक्ष्मण यादव, जो शिक्षा और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में अपनी पहचान रखते हैं, ने विचार गोष्ठी का संचालन किया। उन्होंने अखंड भारत के निर्माण के लिए आवश्यक रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की। प्रो. यादव ने कहा कि आजादी के बाद भारत ने आर्थिक और सामाजिक प्रगति तो की, लेकिन सद्भाव की कमी ने कई चुनौतियां खड़ी कीं। इस महोत्सव के माध्यम से हम नई पीढ़ी को इंसानियत का पाठ पढ़ा सकते हैं। उन्होंने विभिन्न जनपदों से आए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह आयोजन राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।

कार्यक्रम की झलक: सांस्कृतिक उत्सव और विचार-विमर्श

महोत्सव का एक प्रमुख आकर्षण भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम थे, जिसमें लोक नृत्य, संगीत और पारंपरिक प्रदर्शन शामिल थे। स्थानीय कलाकारों ने उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया। इसके अलावा, “मानवता ही धर्म है” विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें समाज सेवा, मैत्री संदेश और अखंड भारत के नवनिर्माण पर गहन चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि वर्तमान समय में सामाजिक विभाजन को दूर करने के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है, जो लोगों के दिलों को जोड़ें।

शाम के समय दीप जुलूस निकाला गया, जिसमें हजारों लोग मोमबत्तियां और दीपक जलाए हुए चले। यह जुलूस गांव की प्रमुख सड़कों से गुजरा और शांति प्रार्थना के साथ समाप्त हुआ। आयोजकों ने बताया कि यह महोत्सव इब्राहिमपुर गांव की परंपरा का हिस्सा बन चुका है, जहां हर वर्ष मानव मैत्री को मजबूत करने के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार विभिन्न जनपदों से आए अतिथियों ने अपनी जानकारियां साझा कीं, जैसे कि सामाजिक सद्भाव के लिए शिक्षा का महत्व, स्वास्थ्य सेवाओं में एकता की भूमिका और आर्थिक विकास के लिए सामूहिक प्रयास।

आयोजन का महत्व और भविष्य की योजनाएं

इब्राहिमपुर गांव, जो रायबरेली शहर से सटे होने के कारण सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाता है, ने इस महोत्सव के माध्यम से एक बार फिर अपनी उदारता का परिचय दिया। आयोजकों के अनुसार, इस कार्यक्रम में 5,000 से अधिक लोग शामिल हुए, जो विभिन्न पृष्ठभूमियों से थे। मुख्य उद्देश्य था लोगों के अंदर मानव मैत्री की भावना को जागृत करना, ताकि समाज में व्याप्त विभेद समाप्त हो सकें।

आयोजक समिति के एक सदस्य ने बताया कि यह महोत्सव 2025 की थीम “अखंड भारत नवनिर्माण” पर केंद्रित था। भविष्य में ऐसे और बड़े आयोजन करने की योजना है, जिसमें युवाओं को अधिक शामिल किया जाएगा। डॉ. नवल किशोर शाह ने समापन पर कहा, “यह उत्सव केवल एक रात का नहीं, बल्कि जीवन भर का संदेश है। आइए, हम सब मिलकर इंसानियत की नई इबारत लिखें।”

यह आयोजन रायबरेली जिले के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ, जो न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में सद्भाव का प्रतीक बनेगा। ग्रामीणों ने मुख्य अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज को नई दिशा प्रदान करते हैं।

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