Jharkhand DMFT Fund Misuse: बोकारो (Bokaro) जिले में एक बड़ा वित्तीय मामला चर्चा में है, जिसमें आठ पूर्व उपायुक्त DMFT फंड के कथित दुरुपयोग के घेरे में आ सकते हैं। आरोप है कि 2016 से अब तक जिले में लगभग 11 अरब रुपये का फंड भ्रष्टाचार में उपयोग किया गया। झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने इस गंभीर मामले पर सरकार से जवाब मांगा है और CBI जांच की मांग पर सुनवाई शुरू कर दी है। अदालत की सख्ती और फंड के बड़े पैमाने पर कथित दुरुपयोग ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। अब यह देखना बाकी है कि झारखंड सरकार क्या कदम उठाती है और पूर्व उपायुक्तों की जिम्मेदारी तय होती है या नहीं। आइए जानते हैं पूरी खबर, DMFT फंड घोटाले और हाई कोर्ट की कार्रवाई के बारे में।
हाई कोर्ट की सख्ती और सुनवाई/Jharkhand DMFT Fund Misuse
13 अक्टूबर को झारखंड हाई कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर (Justice Rajesh Shankar) शामिल थे, ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता राजकुमार की ओर से अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने अदालत को बताया कि बोकारो जिले में 2016 से DMFT फंड की खुली लूट हुई। आरटीआई (RTI) के अनुसार कई विकास कार्य बिना टेंडर या कार्य पूरा किए ही भुगतान कर दिए गए। अदालत ने झारखंड सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया और पूछा कि “सरकार ने अब तक इस घोटाले पर क्या कार्रवाई की?” इस कदम ने संकेत दिया है कि अदालत मामले को गंभीरता से देख रही है।

DMFT फंड क्या है और इसका उद्देश्य
DMFT यानी District Mineral Foundation Trust, केंद्र सरकार के खनन एवं खनिज संशोधन अधिनियम, 2015 के तहत गठित किया गया। इसका उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के पुनर्वास, स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास कार्यों के लिए फंड मुहैया कराना है। कोल कंपनियों द्वारा जमा यह राशि सीधे विकास कार्यों पर खर्च होनी चाहिए। लेकिन बोकारो में यह फंड कथित रूप से भ्रष्टाचार का साधन बन गया। करोड़ों रुपये का कथित दुरुपयोग न केवल स्थानीय जनता के लिए नुकसानदेह रहा, बल्कि राज्य के विकास कार्यों को भी प्रभावित किया।
प्रभावित पूर्व उपायुक्त और उनके कार्यकाल
बोकारो (Bokaro) में 2016 से अब तक आठ उपायुक्त पदस्थ रहे हैं — राय महिमापत रे, मृत्युंजय बरनवाल, शैलेश कुमार चौरसिया, कृपानंद झा, मुकेश कुमार, राजेश कुमार सिंह, कुलदीप चौधरी और विजया जाधव। वर्तमान में अजय नाथ झा नौवें DC के रूप में पदस्थ हैं। माना जा रहा है कि उनके कार्यकाल में मामला मीडिया और अदालत तक पहुंचने के कारण फंड दुरुपयोग से बचा। पूर्व उपायुक्तों के कार्यकाल में कथित वित्तीय गड़बड़ी की जिम्मेदारी अब जांच और कानूनी प्रक्रिया के तहत तय होगी।
आने वाले कदम और संभावित असर
हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार (Jharkhand Government) से जवाब मांगा है और अब आगे की कार्रवाई इसी पर निर्भर करेगी। अगर केवल बोकारो जिले में ही 11 अरब रुपये का घोटाला हुआ है, तो पूरे राज्य में DMFT फंड के दुरुपयोग का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। अब सबकी निगाहें झारखंड सरकार के जवाब पर हैं। अदालत अगली सुनवाई में तय करेगी कि क्या जांच का आदेश दिया जाएगा या मामला भी अन्य फाइलों की तरह लंबित रहेगा। इस फैसले से पूर्व उपायुक्तों की जिम्मेदारी और भविष्य की कार्रवाई स्पष्ट होगी।