Jharkhand Workers Rescue from Africa: जब देश से हजारों किलोमीटर दूर कोई भारतीय मदद के लिए आवाज़ उठाता है, तो वह केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की संवेदना को झकझोर देता है। ऐसा ही एक मामला झारखंड से सामने आया है, जहां कई जिलों के 48 मजदूर अफ्रीका (Africa) के ट्यूनीशिया (Tunisia) में फंसे हुए हैं। खाने-पीने की तंगी और वेतन न मिलने से उनकी स्थिति गंभीर हो चुकी है। इसी बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने इस मामले पर तुरंत संज्ञान लिया है और मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। आइए जानते हैं आखिर क्या है पूरी कहानी?
अफ्रीका में फंसे 48 प्रवासी मजदूरों की दर्दभरी कहानी/Jharkhand Workers Rescue from Africa
झारखंड (Jharkhand) के हजारीबाग (Hazaribagh), गिरिडीह (Giridih) और बोकारो (Bokaro) जिलों के कुल 48 मजदूर अफ्रीका (Africa) के ट्यूनीशिया (Tunisia) में फंसे हुए हैं। ये सभी मजदूर एक निजी कंपनी में कार्यरत थे, जिसने पिछले तीन माह से उनका वेतन देना बंद कर दिया। खाने-पीने की समस्या इतनी बढ़ गई है कि कई मजदूरों ने वीडियो संदेश के ज़रिए भारत सरकार (Government Of India) और झारखंड प्रशासन (Jharkhand Administration) से मदद की गुहार लगाई है। मजदूरों ने बताया कि उनके पास अब खाने तक के पैसे नहीं बचे हैं और कंपनी ने पासपोर्ट भी जब्त कर लिया है। ऐसे में घर लौटना भी उनके लिए असंभव हो गया है। इस वीडियो के सामने आने के बाद मामला सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लिया त्वरित संज्ञान
वीडियो वायरल होते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने शुक्रवार को इस पूरे प्रकरण पर तत्काल संज्ञान लिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ट्वीट करते हुए संबंधित जिलों के उपायुक्तों को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “उक्त मामले की जांच एवं श्रम विभाग के साथ समन्वय बनाकर प्रवासी भाइयों की मदद हेतु कार्रवाई कर सूचित करें।” सीएम सोरेन ने हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो के डीसी को सीधे टैग करते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी प्रवासी मजदूर की सुरक्षा और सम्मान के साथ वापसी उनकी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने श्रम विभाग के साथ मिलकर राहत उपाय शुरू करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
सुरक्षित घर वापसी की तैयारी, सरकार की निगरानी में पूरा मामला
राज्य सरकार ने अब इन मजदूरों की घर वापसी और सहायता के लिए केंद्र सरकार से भी समन्वय स्थापित किया है। श्रम विभाग से जुड़े अधिकारी मजदूरों की सटीक लोकेशन और कंपनी की जानकारी जुटा रहे हैं। झारखंड सरकार (Government Of Jharkhand) की कोशिश है कि भारतीय दूतावास के सहयोग से सभी 48 मजदूरों को जल्द से जल्द भारत लाया जा सके। इस बीच, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में प्रवासी मजदूरों की पहचान, रोजगार शर्तों और एजेंसी की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक सख्त निगरानी तंत्र तैयार किया जाएगा। इस घटना ने फिर एक बार प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।










