Kisancraft’s Big Initiative In Raebareli : सूखे सीधे बीज वाले धान (DSR) तकनीक पर तकनीकी प्रदर्शन, पानी की 50% बचत और लागत में भारी कमी का वादा

Kisancraft’s Big Initiative In Raebareli : किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए किसानक्राफ्ट ने जनपद के बैरामपुर क्षेत्र में “सूखे सीधे बीज वाले धान (ड्राई डायरेक्ट सीडेड राइस – DSR)” तकनीक पर एक वृहद तकनीकी प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्थानीय किसानों को DSR तकनीक के अनेक लाभों से अवगत कराना था, जिसमें धान की खेती में पानी की भारी बचत, उत्पादन लागत में कमी और पर्यावरण संरक्षण प्रमुख हैं। कार्यक्रम में सैकड़ों किसानों ने भाग लिया और उन्होंने इस तकनीक के व्यावहारिक प्रदर्शन को अपनी आंखों से देखा, जिससे उनके चेहरे पर संतुष्टि की भावना झलक रही थी।

घटते जलस्तर और बढ़ती लागत से निपटने का कारगर हथियार: DSR तकनीक

भारत में धान की खेती अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण घटते भूजल स्तर और लगातार बढ़ती उत्पादन लागत किसानों के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है। इसी समस्या का समाधान लेकर DSR तकनीक सामने आई है। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) रायबरेली से डॉ. दीपक कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “धान की खेती हमारी अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन घटते जलस्तर और बढ़ती लागत किसानों के सामने बड़ी चुनौती बन रही है। DSR तकनीक से किसान समान उत्पादन के साथ 50 प्रतिशत तक पानी की बचत कर सकते हैं। यह तकनीक न केवल जल संकट से निपटने में मददगार है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि सुनिश्चित करती है।”

डॉ. मिश्रा ने आगे बताया कि पारंपरिक धान खेती में नर्सरी तैयार करने, रोपाई और लगातार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है, जिससे पानी और श्रम का भारी व्यय होता है। वहीं, DSR में बीजों को सीधे सूखी मिट्टी में बोया जाता है, जिससे प्रक्रिया सरल और किफायती हो जाती है।

मिट्टी की उर्वरता के अनुरूप बेहतर उपज, स्वाद में कोई कमी नहीं

किसानक्राफ्ट के अस्सिस्टेंट मैनेजर (डेवलपमेंट) आलोक जैन ने किसानों को विस्तार से समझाया कि DSR तकनीक का उपयोग करने से किसान मिट्टी की उर्वरता के अनुसार बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “यह तकनीक पारंपरिक धान की खेती की तुलना में कम खर्चीली है। सबसे बड़ी बात यह है कि DSR से प्राप्त धान का स्वाद और गुणवत्ता में पारंपरिक धान से कोई अंतर नहीं आता। इससे किसानों को बाजार में बेहतर दाम भी मिलते हैं।” जैन ने प्रदर्शन के दौरान किसानों को बीज बोने की सटीक विधि, उचित दूरी और उर्वरक प्रबंधन की जानकारी दी।

श्रम लागत में भारी कटौती, पर्यावरण के लिए वरदान

कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता और किसानक्राफ्ट के R&D हेड डॉ. सुमंत होल्ला ने DSR के पर्यावरणीय लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “DSR तकनीक से नर्सरी, पोखरिंग, समतलीकरण और रोपाई की आवश्यकता पूरी तरह समाप्त हो जाती है, जिससे श्रम लागत में 30-40 प्रतिशत की भारी कमी आती है। यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि इसमें मीथेन उत्सर्जन 50% तक कम होता है। साथ ही, कीटों व बीमारियों का प्रकोप भी घटता है, जिससे रसायनों का उपयोग कम होता है।” डॉ. होल्ला ने जोर देकर कहा कि DSR न केवल किसानों की जेब मजबूत करता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उत्तर प्रदेश में लो-मीथेन धान अभियान का हिस्सा

कृषि विशेषज्ञ डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे लो-मीथेन धान अभियान के एक हिस्से के रूप में DSR खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह तकनीक न केवल पानी की बचत करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान देती है। यूपी में लक्ष्य है कि अगले तीन वर्षों में DSR का उपयोग 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाए। रायबरेली जैसे जनपद इस अभियान में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।”

हरि नाम वर्मा के सहयोग से सफल आयोजन

यह कार्यक्रम प्रतिष्ठित किसान नेता हरि नाम वर्मा जी के सक्रिय सहयोग से आयोजित किया गया। वर्मा जी ने अपने संबोधन में कहा कि ऐसी तकनीकों का प्रसार ग्रामीण भारत की समृद्धि का आधार बनेगा। कार्यक्रम स्थल पर DSR मशीनों का लाइव डेमो दिया गया, जिसमें किसानों ने स्वयं बीज बोने का अभ्यास किया।

किसानक्राफ्ट: सीमांत किसानों का सच्चा साथी

किसानक्राफ्ट के सेल्स मैनेजर अजय कुमार ने कंपनी की प्रोफाइल साझा करते हुए बताया कि कंपनी एक आईएसओ-प्रमाणित निर्माता, थोक आयातक और उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उपकरणों की वितरक है। “हमारे पास देशभर में 5000 से अधिक डीलर, एक विनिर्माण इकाई और 14 क्षेत्रीय कार्यालय हैं। हमारा मुख्य लक्ष्य सीमांत और छोटे किसानों की पैदावार बढ़ाना और उनकी आजीविका में सुधार लाना है। DSR मशीन सहित सभी उपकरण सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं।”

किसानों का उत्साहजनक प्रतिक्रिया, अगले सीजन में व्यापक अपनाव

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे। बैरामपुर के किसान रामस्वरूप ने कहा, “DSR देखकर लगता है कि अगले खरीफ में हम भी इसे अपनाएंगे। पानी और मेहनत दोनों की बचत होगी।” इसी तरह, युवा किसान पूजा देवी ने बताया, “महिलाओं के लिए यह तकनीक वरदान है, रोपाई की थकान से मुक्ति मिलेगी।”

किसानक्राफ्ट ने घोषणा की है कि जनपद के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। यह पहल निश्चित रूप से रायबरेली के किसानों को आधुनिक खेती की मुख्यधारा से जोड़ेगी और उनकी आय दोगुनी करने में मील का पत्थर साबित होगी।

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