Lawyers Anger Erupts in Raebareli: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (AILAJ) के अधिवक्ताओं ने हाल ही में हुई दो गंभीर घटनाओं पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा है। इन घटनाओं में सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश और ऊंचाहार क्षेत्र में दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या शामिल है। अधिवक्ताओं ने इन घटनाओं को न्यायपालिका, लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला बताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
रायबरेली जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ता सुरेश कुमार सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रपति को यह ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में कहा गया है कि हाल के दिनों में न्याय व्यवस्था, लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक समानता पर लगातार हो रहे हमले देश की नींव को कमजोर कर रहे हैं। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि ऐसी घटनाएं न केवल कानून की अवहेलना हैं, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता और हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि दोषियों पर तत्काल और कठोर कार्रवाई हो, साथ ही न्याय और समानता की भावना को मजबूत करने के लिए ठोस नीतिगत कदम उठाए जाएं।

मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना: न्यायपालिका पर अपमानजनक हमला
यह विवादास्पद घटना 6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 1 में हुई, जब 71 वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर ने CJI बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। किशोर ने चिल्लाते हुए कहा, “भारत सनातन धर्म का अपमान सहन नहीं करेगा।” यह हमला CJI गवई के हालिया एक टिप्पणी से जुड़ा था, जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण की याचिका को खारिज करते हुए मजाकिया लहजे में कहा था, “यह पूरी तरह से प्रचार के लिए दायर याचिका है… जाकर खुद देवता से कहो कि कुछ करे।” इस टिप्पणी को कुछ हिंदू संगठनों ने भगवान विष्णु का अपमान बताया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर विवाद भड़क गया।
अधिवक्ता किशोर को तुरंत सुरक्षा गार्डों ने हिरासत में ले लिया। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने किशोर को पूरे देश में वकालत करने से निलंबित कर दिया, इसे “न्यायालय की गरिमा के विरुद्ध” बताते हुए। किशोर ने बाद में मीडिया को बताया कि उन्हें “दैवीय शक्ति” ने प्रेरित किया था और वह जेल जाने को तैयार हैं, लेकिन उनके परिवार को इस घटना से गहरा सदमा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर नफरत फैलाने वालों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह “हर भारतीय को क्रोधित करने वाली” है, जबकि विपक्षी दल कांग्रेस और डीएमके ने इसे “लोकतंत्र पर हमला” करार दिया। CJI गवई ने घटना पर शांत रहते हुए कहा, “मैं ऐसी चीजों से विचलित नहीं होता… इसे नजरअंदाज कर दें।” पुलिस ने किशोर के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया, लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी है।
ऊंचाहार में हरिओम वाल्मीकि की हत्या: भीड़तंत्र का शिकार, पुलिस की लापरवाही पर सवाल
दूसरी घटना 1-2 अक्टूबर 2025 की रात ऊंचाहार थाना क्षेत्र के ईश्वरदासपुर गांव में हुई, जहां 38 वर्षीय दलित युवक हरिओम वाल्मीकि को चोर समझकर एक भीड़ ने दो घंटे तक बेरहमी से पीटा। फतेहपुर जिले के निवासी हरिओम भंडारे के लिए अपनी ससुराल जा रहे थे, लेकिन रास्ता भटक गए। मानसिक रूप से कमजोर हरिओम को ग्रामीणों ने “ड्रोन चोर गैंग” का सदस्य समझ लिया और लाठियों, बेल्टों व लात-घूसों से पीट-पीटकर हत्या कर दी। उनका शव 2 अक्टूबर की सुबह रेलवे ट्रैक के पास मिला।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें भीड़ हरिओम से “सहयोगियों के नाम” पूछती और बेरहमी से मारती नजर आ रही है। पुलिस ने बताया कि गदागंज पुलिस ने रात करीब 10 बजे हरिओम को भीड़ से बचाया था, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया, जिसके तुरंत बाद दोबारा हमला हुआ। इस लापरवाही पर सवाल उठे हैं। अब तक नौ आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें से ज्यादातर दलित और पिछड़े वर्ग के हैं। पुलिस ने चार अतिरिक्त गिरफ्तारियों के बाद गैंगस्टर एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाने की तैयारी की है। ऊंचाहार कोतवाल समेत तीन पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली होने से यह घटना राजनीतिक रंग ले चुकी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने संयुक्त बयान जारी कर इसे “इंसानियत, संविधान और न्याय की हत्या” बताया। उन्होंने कहा कि दलित, आदिवासी, मुसलमान और गरीबों को निशाना बनाया जा रहा है, और “भीड़तंत्र को सत्ता का संरक्षण” मिल रहा है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने हरिओम के परिवार से मुलाकात की और न्याय की लड़ाई लड़ने का वादा किया। हालांकि, पुलिस ने स्पष्ट किया कि यह जातिगत हिंसा नहीं, बल्कि चोरी के शक में गलतफहमी का मामला है, और सोशल मीडिया पर जातिवादी रंग देने वालों पर नजर रखी जा रही है।
हरिओम की पत्नी पिंकी देवी ने बताया कि शादी के 15 साल बाद भी वे अलग-अलग रहते थे, और हरिओम एनटीपीसी क्षेत्र में सफाई का काम करते थे। परिवार ने दोषियों को फांसी और उनके घरों पर बुलडोजर चलाने की मांग की है। भाई शिवम और बहन कुसुम ने वीडियो देखकर सदमे की बात कही।
अधिवक्ताओं की मांग: सख्त कार्रवाई और सामाजिक जागरूकता
ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने कहा कि ये घटनाएं “लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कलंक” हैं। उन्होंने मांग की है:
- CJI पर हमले के आरोपी राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हो और स्थायी निलंबन हो।
- हरिओम हत्या के सभी दोषियों पर NSA और गैंगस्टर एक्ट के तहत त्वरित ट्रायल हो, साथ ही पुलिस लापरवाही की जांच हो।
- न्यायपालिका की सुरक्षा मजबूत की जाए और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाले अभियान चलाए जाएं।
- केंद्र और राज्य सरकारें हिंसा रोकने के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित करें।
सुरेश कुमार सिंह ने कहा, “ये घटनाएं हमें झकझोर रही हैं। न्याय व्यवस्था को बचाने के लिए सभी वकील एकजुट हैं। सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे, वरना समाज में अविश्वास बढ़ेगा।”
हनुमान अंबेडकर, अधिवक्ता : “मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकना न्यायपालिका का अपमान है। यह सनातन धर्म के नाम पर की गई गुंडागर्दी है। दोषी को सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा न हो। हरिओम की हत्या दलितों पर अत्याचार का प्रतीक है – सरकार सो रही है क्या?”
सुरेश कुमार सिंह, अधिवक्ता: “राष्ट्रपति महोदया से अपील है कि इस ज्ञापन पर संज्ञान लें। ऊंचाहार की घटना में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है। दोषियों को फांसी दो, न्याय व्यवस्था को बचाओ। अधिवक्ता सड़कों पर उतरने को तैयार हैं।”
यह ज्ञापन न केवल रायबरेली तक सीमित है, बल्कि पूरे देश के अधिवक्ताओं की भावना को प्रतिबिंबित करता है। AILAJ ने राष्ट्रीय स्तर पर इसी तरह के प्रदर्शन की योजना बनाई है, ताकि न्याय और समानता की लड़ाई को मजबूती मिले। घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है, जहां एक ओर न्याय की मांग हो रही है, तो वहीं राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी जारी हैं।