रायबरेली : पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के अवसर पर रिजर्व पुलिस लाइन,विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पुलिस कर्मियों को सांकेतिक भाषा के महत्व के प्रति जागरूक करना और मूकबधिर श्रवण एवं वाचिक दिव्यांग व्यक्तियों के साथ प्रभावी संवाद स्थापित करने की दिशा में संवेदनशीलता बढ़ाना था। कार्यक्रम में पुलिस कर्मियों को सांकेतिक भाषा की बुनियादी जानकारी दी गई और इसे सीखने के लिए प्रोत्साहित किया गया, ताकि वे समाज के इस वर्ग की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझ सकें और उनकी सहायता कर सकें।
बताते चले कि मंगलवार को एसपी डॉ. यशवीर सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई इस अवसर पर एएसपी संजीव सिन्हा, क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी, प्रशिक्षण केंद्र के प्रभारी, और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विशेष रूप से सांकेतिक भाषा के प्रशिक्षकों और मूकबधिर समुदाय के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने सांकेतिक भाषा की उपयोगिता और इसकी तकनीकों को प्रदर्शित किया। पुलिस अधीक्षक ने अपने संबोधन में कहा,सांकेतिक भाषा न केवल एक संवाद का माध्यम है, बल्कि यह मूकबधिर व्यक्तियों के लिए उनके विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का एक शक्तिशाली उपकरण है। पुलिस कर्मियों का यह दायित्व है कि वे समाज के प्रत्येक वर्ग के साथ संवेदनशीलता और सम्मान के साथ व्यवहार करें। सांकेतिक भाषा का ज्ञान पुलिस कर्मियों को मूकबधिर नागरिकों की समस्याओं को समझने और उनकी सहायता करने में सक्षम बनाएगा।

कार्यक्रम में सांकेतिक भाषा के विशेषज्ञों ने बताया कि सांकेतिक भाषा एक दृश्य-मैनुअल भाषा है, जो हाथों के आकार, गतिविधियों, और चेहरे के हाव-भाव के माध्यम से संचार स्थापित करती है। यह भाषा मूकबधिर व्यक्तियों को अपनी भावनाओं, विचारों और आवश्यकताओं को सहज रूप से अभिव्यक्त करने में सक्षम बनाती है। इस भाषा दिवस को प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा के 2017 के संकल्प के तहत स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य मूकबधिर व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देना और सांकेतिक भाषा के महत्व को रेखांकित करना है।










