Raebareli : रायबरेली जिले के लालगंज थाना क्षेत्र में एक युवक ने पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए सनसनी फैला दी है। पीड़ित युवक राहुल राहुल लोधी ने दावा किया है कि वह अपने दोस्त की मदद करने थाने गया था, लेकिन पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर मारपीट की और ₹20,000 की रिश्वत लेकर ही छोड़ा। राहुल ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच की मांग की है। यह घटना थाने के अंदर हुई मारपीट और कथित रिश्वतखोरी की गवाही देती है, जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण: दोस्त की शिकायत से शुरू हुआ विवाद

राहुल लोधी, जो गंगापुर बरस गांव के निवासी हैं, ने बताया कि उनका दोस्त सुरेश कुशवाहा का गांव के ही अजीत, सुनील और सचिन यादव से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था। सुरेश की मदद करने के लिए राहुल उनके साथ लालगंज थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे। थाने में शिकायत दर्ज करने के दौरान ही विपक्षी पक्ष के लोग मौजूद थे। राहुल के अनुसार, थाने के अंदर ही पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में अजीत, सुनील और सचिन यादव ने राह राहुल और सुरेश के साथ मारपीट शुरू कर दी।
राहुल ने घटना को रिकॉर्ड करने के लिए अपना मोबाइल निकालकर वीडियो बनाना शुरू किया। इसी पर पुलिसकर्मी भड़क गए और नाराज होकर राहुल पर हमला बोल दिया। राहुल का कहना है कि वीडियो बनाने की कोशिश ने पुलिस को और उकसा दिया, जिसके बाद स्थिति बेकाबू हो गई।
हिरासत, मारपीट और रिश्वत की मांग
पुलिस ने सुरेश कुशवाहा का मेडिकल परीक्षण कराकर उन्हें घर भेज दिया, लेकिन राहुल को हिरासत में ले लिया गया। राहुल ने आरोप लगाया कि रात भर उन्हें थाने में बंद रखा गया और लगातार मारपीट की गई। सिपाही जामवंत ने उन्हें छोड़ने के लिए ₹50,000 की रिश्वत मांगी। राहुल द्वारा पैसे देने से इनकार करने पर मारपीट जारी रही और उन्हें रात भर यातना दी गई।
अगले दिन राहुल के परिजनों ने थाने पहुंचकर एसआई सुभाष यादव और सिपाही पंकज यादव को ₹20,000 दिए, जिसके बाद राहुल को रिहा किया गया। राहुल का दावा है कि यह रिश्वत पुलिसकर्मियों ने खुले तौर पर ली और कोई रसीद या कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
पीड़ित की मांग: न्याय और जांच
राहुल लोधी ने मीडिया से बातचीत में पूरे प्रकरण की विस्तृत जानकारी दी और कहा कि थाने में हुई मारपीट, हिरासत और रिश्वतखोरी की घटना ने उनके मन में पुलिस के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया है। उन्होंने जिला प्रशासन, पुलिस अधीक्षक और उच्च अधिकारियों से मामले की निष्पक्ष जांच कराने की गुहार लगाई है। राहुल ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि आम नागरिक थाने जाने से डरें नहीं।
यह मामला रायबरेली पुलिस की छवि पर बट्टा लगा रहा है। अभी तक पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। यदि आरोप साबित हुए, तो यह पुलिस सुधार की दिशा में एक बड़ा सबक बन सकता है। पीड़ित राहुल ने कानूनी कार्रवाई की तैयारी भी शुरू कर दी है।










