Raebareli CMO Controversy : रायबरेली के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) कार्यालय में लंबे समय तक वाहन चालक के रूप में सेवाएं देने वाले एक सेवानिवृत्त कर्मचारी ने विभागीय कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान के बदले उनसे एक लाख रुपये की अवैध रिश्वत की मांग की जा रही है। साथ ही, पहले दर्ज कराई गई शिकायत को वापस लेने के लिए दबाव और धमकियां दी जा रही हैं। पीड़ित कर्मचारी ने इस पूरे मामले को आईजीआरएस पोर्टल के माध्यम से उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया है और जिलाधिकारी से निष्पक्ष जांच की मांग की है। यह मामला विभाग में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है और स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।
पीड़ित कर्मचारी अशोक कुमार ने बताया कि वे 31 जुलाई 2025 को CMO कार्यालय से विधिवत सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें जीपीएफ (जनरल प्रॉविडेंट फंड), ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण (लीव एनकैशमेंट) और अन्य देय राशियों का भुगतान होना था, लेकिन यह प्रक्रिया जानबूझकर लटकाई जा रही है। भुगतान में देरी को लेकर उन्होंने 26 अगस्त 2025 और फिर 8 सितंबर 2025 को ऑनलाइन आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। इसी शिकायत के बाद विभागीय कर्मचारियों का रवैया और सख्त हो गया।

अशोक कुमार के अनुसार, CMO कार्यालय के माल बाबू और दिलीप नामक एक अन्य व्यक्ति ने उन्हें फोन करके भुगतान जारी करने के बदले एक लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। यदि रकम नहीं दी गई तो देय भुगतान को हमेशा के लिए रोक देने की धमकी दी गई। पीड़ित ने कहा कि यह मांग पूरी तरह अवैध और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आती है। इसके बाद 29 सितंबर 2025 को प्रशासनिक अधिकारी व आहरण एवं वितरण अधिकारी देशबंधु ने उन्हें कार्यालय बुलाया और पूर्व में दर्ज शिकायत को तुरंत वापस लेने का दबाव बनाया।
देशबंधु ने कथित तौर पर धमकी भरे अंदाज में कहा, “शिकायत वापस नहीं ली तो नुकसान झेलने के लिए तैयार रहना।” अशोक कुमार ने आशंका व्यक्त की है कि यदि वे शिकायत वापस नहीं लेते तो उन्हें शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने की साजिश की जा सकती है। उन्होंने बताया कि विभागीय कर्मचारी उनके खिलाफ गलत अफवाहें फैला रहे हैं और परिवार पर भी दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं।
अशोक कुमार (पीड़ित कर्मचारी) का बयान
“मैंने 30 साल से ज्यादा समय विभाग को दिया, ईमानदारी से काम किया। अब रिटायरमेंट के बाद अपना हक मांग रहा हूं तो रिश्वत मांग रहे हैं। एक लाख रुपये दें तभी पेमेंट होगा, वरना रोक देंगे। शिकायत की तो दबाव डाल रहे हैं, धमकी दे रहे हैं कि नुकसान होगा। मैं डरने वाला नहीं हूं, जिलाधिकारी जी से गुजारिश है कि जांच कराएं और इन भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई करें।”
पीड़ित ने जिलाधिकारी रायबरेली से पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त सभी अधिकारियों और कर्मचारियों – जिसमें माल बाबू, दिलीप और देशबंधु शामिल हैं – पर कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, उनके देय भुगतानों को तुरंत जारी करने और सुरक्षा प्रदान करने की अपील की है।
यह मामला रायबरेली में स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। स्थानीय लोग और अन्य कर्मचारी भी चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं जहां सेवानिवृत्ति लाभों के लिए रिश्वतखोरी की शिकायतें मिली हैं। आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज शिकायत के बाद जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू होने की संभावना है।










