Raebareli News : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के महराजगंज क्षेत्र में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने पैतृक भूमि पर अवैध कब्जे और झूठे मुकदमे के गंभीर आरोप लगाते हुए हल्का दरोगा सुनील चौहान और अखिलेश दीवान पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। पीड़िता गुट्टा देवी ने अपने परिवार के तीन सदस्यों सहित इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। आज उपजिलाधिकारी (एसडीएम) और क्षेत्राधिकारी (सीओ) कार्यालय पहुंचकर उन्होंने न्याय की गुहार लगाई, जिसके बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया।
घटना का विवरण : भूमि विवाद ने लिया उग्र रूप

मामला महराजगंज थाना क्षेत्र के एक गांव से जुड़ा है, जहां पीड़िता गुट्टा देवी अपनी पैतृक भूमि पर दीवार निर्माण कर रही थीं। सूत्रों के अनुसार, यह भूमि दशकों से उनके परिवार के कब्जे में रही है, लेकिन हाल ही में कुछ असामाजिक तत्वों ने इसके ऊपर अवैध दखल देने का प्रयास किया। गुट्टा देवी ने बताया कि जब वे दीवार बनवा रही थीं, तभी हल्का दरोगा सुनील चौहान और अखिलेश दीवान नामक व्यक्ति की सांठगांठ से पूरा मामला उलट दिया गया।
“मैं अपनी जमीन पर दीवार बना रही थी, जो मेरा हक है। लेकिन सुनील चौहान और अखिलेश दीवान ने मिलकर झूठा मुकदमा लिखवा दिया। मेरे बेटे और समधी पर भी झूठे केस ठोक दिए गए। काम रोक दिया गया और हमें धमकियां मिल रही हैं,” गुट्टा देवी ने आंसू भरी आंखों से बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने रिश्वत के लालच में विपक्षी पक्ष का साथ दिया, जिससे उनका पूरा परिवार परेशान है।
परिवार और ग्रामीणों का आरोप : पुलिस की लापरवाही और भ्रष्टाचार
पीड़िता के पुत्र और अन्य परिवारजन ने भी आरोपों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हल्का दरोगा ने बिना किसी जांच के विपक्षी पक्ष की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया, जबकि जमीन के दस्तावेज उनके पक्ष में हैं। “यह साफ भ्रष्टाचार है। छोटे अधिकारी मिलकर गरीबों का शोषण कर रहे हैं। हमने कई बार थाने में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई,” पीड़िता के पुत्र ने कहा।
इस घटना पर कई ग्रामीण भी एसडीएम-सीओ कार्यालय पहुंचे। उन्होंने हल्का दरोगा और दीवान पर न केवल मिलीभगत का, बल्कि धमकी देने का भी आरोप लगाया। ग्रामीणों ने बैनर और नारों के साथ प्रदर्शन किया, जिसमें “न्याय दो, भ्रष्टाचार हटाओ” जैसे नारे गूंजे। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ऐसी घटनाएं आम हो गई हैं। गरीबों की जमीन पर कब्जा करने वाले बड़े लोग पुलिस का दुरुपयोग कर रहे हैं।”
प्रशासनिक स्तर पर पहुंचा मामला : क्या होगी कार्रवाई?
पीड़िता और ग्रामीणों की गुहार पर एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली। उन्होंने आश्वासन दिया कि पूरी जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। सीओ ने बताया कि हल्का दरोगा के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं, जबकि अखिलेश दीवान के खिलाफ भी उचित कदम उठाए जाएंगे। “हम जमीन के दस्तावेजों की जांच करेंगे और यदि आरोप सही पाए गए, तो मुकदमा रद्द करने की प्रक्रिया शुरू होगी,” सीओ ने कहा।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय से भी प्रतिक्रिया आई है। एसपी ने कहा कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि लापरवाही साबित हुई, तो संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया जा सकता है। यह मामला रायबरेली जिले में पहले भी देखे गए पुलिस भ्रष्टाचार के मामलों की याद दिला रहा है, जहां हाल ही में रिश्वतखोरी के आरोप में दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
स्थानीय स्तर पर इस घटना ने सामाजिक न्याय की बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों ने इसे प्रशासन की नाकामी बताते हुए टिप्पणी की है। एक स्थानीय नेता ने कहा, “बुजुर्ग महिला का शोषण बर्दाश्त नहीं। सरकार को तुरंत हाई लेवल जांच करानी चाहिए।” इधर, ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
यह घटना उत्तर प्रदेश में भूमि विवादों से जुड़े पुलिस दुरुपयोग के बढ़ते मामलों को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्व रिकॉर्ड की डिजिटलीकरण और पारदर्शी जांच प्रक्रिया से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सकता है। फिलहाल, पीड़िता का परिवार न्याय की प्रतीक्षा में है, जबकि महराजगंज क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है।










