Osteoporosis Symptoms : महिलाओं में बढ़ रहा ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा, जानें इसके शुरुआती लक्षण

Osteoporosis Symptoms : हम सब अपनी सेहत (ऑस्टियोपोरोसिस) को लेकर सजग रहते हैं। कोई हार्ट हेल्थ पर ध्यान देता है, कोई मेंटल हेल्थ पर… मगर इस बीच शरीर का एक अहम हिस्सा, जिसे नजरअंदाज करना सबसे महंगा पड़ सकता है, जिसमें हड्डियों की सेहत अहम है। खासकर महिलाओं के लिए यह विषय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर के कई हिस्से जैसे थकान महसूस करते हैं, वैसे ही हड्डियां भी चुपचाप कमजोर पड़ने लगती हैं, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का संकेत होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यहां हर साल लाखों महिलाएं इसका शिकार हो रही हैं। भारत में स्थिति और भी चिंताजनक है।

दरअसल, यहां 50 वर्ष से अधिक उम्र की लगभग हर तीसरी महिला की बोन डेंसिटी सामान्य से कम पाई जाती है। यह वही अवस्था है, जहां से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा शुरू हो जाता है। समस्या यह है कि शुरुआती लक्षण इतने हल्के होते हैं कि महिलाएं अक्सर उन्हें थकान, उम्र या काम के बोझ का नतीजा समझकर नजरअंदाज कर देती हैं।

महिलाओं में खतरा ज्यादा क्यों?

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा लगभग दोगुना होता है। वजह हार्मोनल बदलाव है। 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं की हड्डियों की घनत्व घटने लगता है और मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्तर गिरने से यह प्रक्रिया और तेज हो जाती है। इसके अलावा, विटामिन D की कमी, धूप में कम समय बिताना, कैल्शियम की कमी वाली डाइट और तंबाकू या शराब का सेवन भी इस बीमारी के खतरे को बढ़ा देते हैं।

जानें नुकसान

अगर आपको लगता है कि आपकी ऊंचाई पहले से कम लग रही है या खड़े होने का तरीका पहले जैसा नहीं रहा, तो यह केवल पोश्चर की गड़बड़ी नहीं है। रीढ़ की हड्डियों में छोटे-छोटे फ्रैक्चर या उनके सिकुड़ने की वजह से ऐसा हो सकता है।

जब कमर या गर्दन का दर्द महीनों बना रहता है और मसाज या दवा से भी राहत नहीं मिलती, तो यह आपकी हड्डियों की कमजोरी का संकेत हो सकता है। कई बार रीढ़ की हड्डी के अंदर के फ्रैक्चर बिना किसी चोट के भी हो जाते हैं।

अगर आपके नाखून आसानी से टूटने लगे हैं या मसूड़े सिकुड़कर दांतों की जड़ें दिखने लगी हैं, तो इसे हल्के में न लें। यह कैल्शियम और कोलेजन की कमी का नतीजा हो सकता है, जो हड्डियों की मजबूती में अहम भूमिका निभाते हैं।

हड्डियों के कमजोर होने के साथ-साथ शरीर की मांसपेशियों की ताकत भी घटने लगती है। अगर चीज़ें पकड़ने में कठिनाई महसूस हो रही है या बिना मेहनत के भी शरीर भारी लगने लगा है, तो यह शुरुआती चेतावनी हो सकती है।

कमजोर हड्डियां शरीर की मुद्रा को बिगाड़ देती हैं, जिससे फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है। जिस कारण सांस लेने में परेशानी या जल्दी थक जाता है।

अपनाएं ये उपाय

डाइट में दूध, दही, पनीर, तिल, बादाम और हरी सब्जियां शामिल करें।

सुबह की हल्की धूप भी विटामिन D का सबसे अच्छा स्रोत है। हर दिन 15 से 20 मिनट धूप में रहना फायदेमंद है।

फिजिकली एक्टिव रहें। इसके लिए वॉकिंग, योगा, साइकलिंग और हल्का वेट ट्रेनिंग हड्डियों की मजबूती को बनाए रखती हैं। लंबे समय तक बैठे रहना हड्डियों को कमजोर करता है।

तंबाकू और शराब से दूरी बनाएं क्योंकि इनसे कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है।

40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को हर 1 से 2 साल में बोन डेंसिटी टेस्ट करवाना चाहिए, ताकि शुरुआती स्टेज में ही समस्या की पहचान की जा सके।

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