Saranda Forest Case In SC: सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सारंडा वन को अभयारण्य घोषित करने पर सुनवाई, झारखंड सरकार की पेश होगी रिपोर्ट

Saranda Forest Case In SC: सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सारंडा वन को अभयारण्य घोषित करने पर सुनवाई, झारखंड सरकार की पेश होगी रिपोर्ट

Saranda Forest Case In SC: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार को सारंडा वन क्षेत्र (Saranda Forest Area) को अभयारण्य घोषित करने संबंधी एक अहम सुनवाई होने वाली है। मामले की संवेदनशीलता और अदालत की पहले से कड़ी टिप्पणियों के बीच राज्य प्रशासन में हलचल तेज दिख रही है। मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से सुनवाई में उपस्थित रहने के लिए राजधानी में मौजूद हैं और सरकार ने त्वरित कदम उठाने का संकेत दिया है। लोकल समुदायों और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन पर आधारित यह मामला राजनीतिक और पर्यावरणीय दोनों मोर्चों पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। जानिए क्या है पूरा मामला और सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाली रिपोर्ट के बारे में सब कुछ…

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और समयसीमा/Saranda Forest Case In SC

बीते 18 सितंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सारंडा को अभयारण्य घोषित न करने को अवमानना माना था और स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी थी। कोर्ट ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया और अगर आठ अक्टूबर तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई तो अवमानना कार्यवाही का जिक्र किया। इस सख्त रुख ने राज्य सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है और प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई तेज हो गई है। अदालत ने यह आदेश दिया था कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के दो महीने के भीतर सेंचुरी घोषित की जाए। न्यायालय की इस टिप्पणी ने सरकार की प्रक्रियाओं और देरी के कारण उठ रहे सवालों को और तवज्जो दी है। अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आज होने वाली सुनवाई में ये सभी पक्ष सामने आएंगे और अदालत से स्पष्ट निर्देश की अपेक्षा बनी हुई है।

सरकार की प्रतिक्रिया और मंत्रियों का समूह

कोर्ट के आदेश के बाद झारखंड सरकार (Government Of Jharkhand) ने वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के नेतृत्व में पांच मंत्रियों का समूह गठित किया। इस समूह का उद्देश्य क्षेत्र की स्थिति का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करना और स्थानीय मांगों व चिंताओं को समझना है। मंत्रियों ने हाल ही में सारंडा का दौरा कर स्थानीय लोगों से चर्चा की और उनकी आपत्तियों को सुना। मंत्रियों ने क्षेत्र की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों का जायजा लिया और स्थानीय समुदायों द्वारा उठाए गए आर्थिक और जीविका संबंधों को संवेदनशीलता से सुना। समूह मानता है कि निर्णय जमीनी हकीकतों के अनुरूप होना चाहिए और वह अध्ययन रिपोर्ट में इन पहलुओं को शामिल करेगा। आशंका है कि यह रिपोर्ट शपथ पत्र के रूप में अदालत में पेश की जा सकती है और सरकार सुनवाई में अपने कदमों की व्याख्या कर सकती है। समूह का कार्य जारी है।

WII की रिपोर्ट और पूर्व शपथपत्र

29 अप्रैल को वन सचिव अबु बकर सिद्दीकी (Abu Bakr Siddique) के माध्यम से सरकार ने शपथपत्र दायर कर कहा था कि पीसीसीएफ (वन्य जीव) ने 576 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सेंचुरी घोषित करने का प्रस्ताव वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) को भेजा है। कोर्ट ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर WII की रिपोर्ट के दो महीने के भीतर सेंचुरी घोषित करने का आदेश दिया था। WII ने 30 जून को अपनी सहमति वाली रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन सरकार ने अभी तक सेंचुरी घोषित नहीं की। पिछली सुनवाई में अदालत को बताया गया था कि झारखंड सरकार मामले में टालमटोल कर रही है। WII की रिपोर्ट के बाद भी औपचारिक घोषणा न होने से कोर्ट की नाराजगी बढ़ी है। आज की सुनवाई में इन सभी प्रक्रियात्मक और समयबद्धता संबंधी पहलुओं पर अदालत का रुख अहम रहेगा। यह संभावना जताई जा रही है।

मुख्यमंत्री का कानूनी परामर्श और दिल्ली भ्रमण

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) मंगलवार शाम दिल्ली प्रवास से रांची लौटे। दिल्ली में उन्होंने विधि विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ सारंडा वन्यजीव अभयारण्य से जुड़े संवेदनशील मामले पर गहन विचार-विमर्श किया। उनके साथ मुख्य सचिव अविनाश कुमार भी मौजूद थे। इन चर्चाओं में कानूनी पहलुओं के साथ-साथ अदालत में प्रस्तुत करने योग्य दस्तावेजों और संभावित शपथपत्र की संरचना पर विचार किया गया। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने विधि सलाहकारों के साथ मिलकर सुनवाई में प्रस्तुत करने के लिए तैयारियों और रणनीति पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार यह बैठक अदालत में सरकार की कार्रवाई की वैधानिकता और तर्कों को स्पष्ट रूप से पेश करने के उद्देश्य से आयोजित की गई। अब सरकार सुनवाई में पेश किए जाने वाले दस्तावेजों को अंतिम रूप देने में व्यस्त है। यह कदम अदालत से अतिरिक्त समय की मांग से जुड़ा हो सकता है। विशेषकर।

लोकल समुदाय की आपत्तियाँ और आगे की संभावना

स्थानीय समुदाय का कहना है कि अभयारण्य घोषित होने पर उनकी आजीविका प्रभावित होगी। मंत्री समूह सेंचुरी घोषणा के पक्ष में है, लेकिन यह चाहता है कि निर्णय जमीनी हकीकतों के साथ संतुलित हो। संभावना है कि सरकार आज की सुनवाई में अब तक की कार्रवाइयों की रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत करेगी और अतिरिक्त समय का अनुरोध कर सकती है। मंत्री समूह ने स्थानीय लोगों की आशंकाओं को रिपोर्ट में शामिल करने पर जोर दिया। सरकार ने कहा है कि संरक्षण और आजीविका के बीच संतुलन बनाए रखना प्राथमिकता होगी। यह मामला अदालत की पहले की टिप्पणियों के मद्देनजर संवेदनशील बन गया है। सुनवाई में सरकार से विस्तृत जवाब मांगा जा सकता है और निर्णय का प्रभाव क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक ढांचे पर भी पड़ेगा। स्थानीय प्रतिनिधियों की सहमति और विकल्पों पर भी त्वरित विचार किया जाएगा।

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