Sardar Patel 150th Birth Anniversary : भारत के लौह पुरुष, देश को एक सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। झारखंड के गिरिडीह जिले में भी यह जश्न कुछ अलग ही रंग में नजर आया। जमुआ विधानसभा क्षेत्र के बड़की खरगड़ीह से जमुआ पंच मंदिर तक निकली ‘सरदार@150 यूनिटी पदयात्रा’ ने पूरे इलाके को एकता के रंग में रंग दिया। सुबह से शुरू हुई यह 10 किलोमीटर लंबी पदयात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ी, वैसे-वैसे लोगों का हुजूम बढ़ता गया और देखते-देखते यह जनसैलाब बन गई।
केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने खुद चलकर दिया संदेश, एकता ही हमारी ताकत

इस भव्य पदयात्रा में सबसे खास बात यह रही कि कोडरमा की सांसद और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी खुद पूरा रास्ता पैदल चलकर लोगों के साथ कदम मिलाती रहीं। लाल रंग की साड़ी और हाथ में तिरंगा लिए मंत्री जी लोगों के बीच घुली-मिली नजर आईं। वे बार-बार सरदार पटेल को याद करतीं और लोगों से एकता की बात कहतीं।
मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा, “सरदार पटेल ने 562 देसी रियासतों को एक करके आजाद भारत को एक मजबूत आकार दिया। अगर वे न होते तो आज का भारत शायद नक्शे पर भी अलग-अलग टुकड़ों में बंटा होता। आज हम सब उनके दिखाए रास्ते पर चल रहे हैं। प्रधानमंत्री जी का सपना है कि 2047 तक भारत पूरी तरह विकसित राष्ट्र बने। हमें मिलकर यह सपना पूरा करना है।”
विधायक डॉ. मंजू कुमारी बोलीं, बच्चे, युवा, महिलाएं, किसान सब एक साथ, यही है एक भारत-श्रेष्ठ भारत
जमुआ की विधायक डॉ. मंजू कुमारी भी पूरे जोश के साथ पदयात्रा में शामिल हुईं। उन्होंने कहा, “आज पूरा देश सरदार पटेल को याद कर रहा है। हमारे इलाके में बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं, किसान – सब एक साथ सड़क पर उतरे हैं। यह दृश्य देखकर लगता है कि ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना सचमुच जिंदा है। सरदार पटेल का सपना था एक मजबूत और एकजुट भारत, आज हम सब उसे पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।”
फूलों की बारिश, ढोल-नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत
पदयात्रा जैसे ही बड़की खरगड़ीह चौक पहुंची, वहां हजारों की भीड़ ने फूल-मालाओं की बारिश कर दी। स्कूली बच्चे हाथों में तिरंगा और सरदार पटेल की तस्वीर लिए नारे लगा रहे थे – “सरदार पटेल अमर रहें”, “भारत माता की जय”, “वंदे मातरम”। एनसीसी कैडेट्स ने सलामी दी। गांव-गांव में महिलाएं आरती की थाली लेकर खड़ी थीं। ढोल-मांदल की थाप पर नाचते-गाते लोग पूरी सड़क को उत्सव में बदल दिया।
रास्ते में कई जगहों पर स्वागत द्वार बनाए गए थे। जगह-जगह पानी, शर्बत, बिस्किट, फल बांटे जा रहे थे। बच्चे “जय हिंद”, “भारत माता की जय” के नारे लगा रहे थे। कई बुजुर्ग आंखों में आंसू लिए कह रहे थे, “आज फिर सरदार पटेल को देखने जैसा लग रहा है।”
भाजपा नेताओं ने भी जमकर मेहनत की, हर कार्यकर्ता पैदल चला
पदयात्रा को सफल बनाने में भाजपा के स्थानीय नेताओं ने दिन-रात एक कर दिया था। महादेव दुबे, कामेश्वर पासवान, दिनेश यादव, पप्पू भारती, मनीष वर्मा, शालिनी बक्सरिया, उषा कुमारी, महिला जिला अध्यक्ष संजीव गुड्डू सहित सैकड़ों कार्यकर्ता सुबह से शाम तक पैदल चलते रहे। कोई पीछे नहीं रहा। हर कोई कम से कम पूरा 10 किलोमीटर तो चला ही। कई नेता तो बार-बार लोगों से मिलते, हाथ जोड़ते और सरदार पटेल की जयंती की बधाई देते रहे।
बच्चों का उत्साह देखते बनता था
स्कूलों से छुट्टी कर दी गई थी ताकि बच्चे इस ऐतिहासिक पदयात्रा में शामिल हो सकें। छोटे-छोटे बच्चे सरदार पटेल की टोपी पहने, हाथ में झंडा लिए चल रहे थे। कई स्कूलों ने अपनी-अपनी टोली बनाई थी। बच्चे गीत गाते, नारे लगाते चल रहे थे। उनके चेहरों पर जो खुशी थी, उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
संदेश साफ था, एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत
पूरी पदयात्रा का एक ही संदेश था – भारत की एकता और अखंडता। सरदार पटेल ने जो काम 75 साल पहले किया था, उसे आज की पीढ़ी न सिर्फ याद कर रही है बल्कि उसे जी भी रही है। जमुआ से बड़की खरगड़ीह तक की यह 10 किलोमीटर की यात्रा सिर्फ पैदल चलना नहीं थी, यह सरदार पटेल के सपनों को फिर से जीने की यात्रा थी।
जब पदयात्रा जमुआ पंच मंदिर पहुंची तो सूरज ढलने को था, लेकिन लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ। अंत में राष्ट्रगान हुआ और सबने एक स्वर में सरदार पटेल को नमन किया।
यह दिन जमुआ और पूरे गिरिडीह जिले के लिए यादगार बन गया। लोगों का कहना था – “ऐसा लग रहा है जैसे सरदार पटेल खुद हमारे बीच चल रहे हों।”
सरदार पटेल जयंती की यह यूनिटी पदयात्रा सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में एकता का जीता-जागता प्रमाण बन गई।










