Shafali Verma Unbelievable Journey: कभी टीम से बाहर, फिर वर्ल्ड कप की नायिका— शेफाली वर्मा (Shefali Verma) की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। अगस्त 2025 में जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम (Indian Women Cricket Team) का वर्ल्ड कप स्क्वाड घोषित हुआ, तो न सिर्फ मुख्य टीम बल्कि रिजर्व लिस्ट में भी उनका नाम नहीं था। चयनकर्ताओं ने साफ कहा था कि उनका हालिया प्रदर्शन अस्थिर रहा है। लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। टूर्नामेंट के बीच आई एक चोट ने अचानक शेफाली को टीम में जगह दिलाई— और फिर जो हुआ, वह भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। आइए जानते हैं पूरी कहानी कि कैसे रिजर्व में न होने के बावजूद शेफाली ने भारत को विश्व विजेता बनाया।
टीम से बाहर हुईं शेफाली, चयनकर्ताओं ने दी थी सख्त दलील/Shafali Verma Unbelievable Journey
वर्ल्ड कप (World Cup) से पहले अगस्त 2025 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम (Indian Women Cricket Team) का स्क्वाड घोषित हुआ, लेकिन उस लिस्ट में शेफाली वर्मा का नाम नहीं था। चयनकर्ताओं ने साफ कहा था कि उनके हालिया प्रदर्शन में निरंतरता की कमी है। कई मैचों में उन्होंने तेज़ शुरुआत की, मगर पारी को लंबा खींचने में नाकाम रहीं। इसी वजह से उन्हें न सिर्फ मुख्य टीम से बाहर रखा गया, बल्कि रिजर्व खिलाड़ियों की सूची में भी नाम नहीं मिला। चयन समिति ने यह भी स्पष्ट किया था कि शेफाली टीम के रडार पर जरूर हैं, पर फॉर्म और स्थिरता के मानकों पर उस समय खरा उतरना उनके लिए चुनौती बना हुआ था। यह उनके लिए बड़ा झटका था, क्योंकि टी20 में चमकने वाली शेफाली वनडे में जगह पक्की नहीं कर पा रही थीं।

किस्मत ने पलटा खेल, चोट ने बदली शेफाली की तकदीर
वर्ल्ड कप (World Cup) के दौरान बांग्लादेश (Bangladesh) के खिलाफ मैच में भारतीय ऑलराउंडर प्रतिका रावल फील्डिंग करते हुए गंभीर रूप से घायल हो गईं। उनके टखने की चोट इतनी गहरी थी कि डॉक्टरों ने उन्हें पूरे टूर्नामेंट से आराम की सलाह दी। यह घटना भारत के लिए एक झटका थी, लेकिन शेफाली के लिए यही मौका बन गई। टीम प्रबंधन को तुरंत रिप्लेसमेंट की जरूरत थी और चयनकर्ताओं ने बिना देर किए शेफाली वर्मा को बुलावा भेजा। लगभग एक साल बाद वनडे टीम में लौटते हुए उन्होंने इस मौके को “जीवन का दूसरा मौका” कहा। बहुतों ने इसे ‘वाइल्डकार्ड एंट्री’ बताया, क्योंकि शेफाली (Shefali) न तो शुरुआती स्क्वाड में थीं और न ही रिजर्व में। मगर वही वापसी आगे जाकर भारत की तकदीर बदलने वाली साबित हुई।
फाइनल से पहले संघर्ष, मगर भरोसे ने दिलाया बड़ा मंच
शेफाली (Shefali) की वापसी के बाद भारत ने फाइनल तक का सफर तय किया, लेकिन उनकी खुद की बल्लेबाजी सेमीफाइनल में खास नहीं रही। वह सिर्फ 10 रन बनाकर आउट हो गईं। इसके बावजूद कप्तान हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) ने उन पर भरोसा जताया और फाइनल में उन्हें टॉप ऑर्डर में मौका दिया। दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के खिलाफ भारत ने नई रणनीति अपनाई— आक्रामक शुरुआत का दांव। शेफाली ने उसी विश्वास को सार्थक करते हुए पहले ओवर से ही हमला शुरू किया। हालांकि दबाव बड़ा था, लेकिन उनके आत्मविश्वास ने टीम को मजबूत शुरुआत दी। यह वही खिलाड़ी थीं, जिनका नाम कुछ महीने पहले चयन सूची में भी नहीं था, और अब वह फाइनल में भारत की उम्मीदों का केंद्र बन चुकी थीं।
बल्ले और गेंद दोनों से किया कमाल, भारत बना विश्व चैंपियन
फाइनल मुकाबले में शेफाली वर्मा (Shefali Verma) ने ऐसी पारी खेली जिसने पूरे मैच का रुख पलट दिया। उन्होंने 78 गेंदों में 87 रन ठोके, जिसमें 7 चौके और 2 लंबे छक्के शामिल थे। उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी से भारत ने 50 ओवर में 298 रन का मजबूत स्कोर खड़ा किया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई— कप्तान हरमनप्रीत (Captain Harmanpreet) ने उन्हें गेंद सौंपी, और शेफाली ने अपने दूसरे ओवर में दक्षिण अफ्रीका की कप्तान सुने लुस को बोल्ड कर दिया। इसके बाद उन्होंने खतरनाक ऑलराउंडर मारिज़ान कैप को भी पवेलियन भेजा। इन दो बड़े विकेटों ने भारत की जीत की नींव रख दी। दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रन पर सिमट गई और भारत ने मैच 52 रनों से जीत लिया। यह जीत भारत के महिला वनडे क्रिकेट इतिहास की पहली वर्ल्ड कप ट्रॉफी थी — और उसकी सबसे बड़ी नायिका रहीं शेफाली वर्मा, जिन्हें “प्लेयर ऑफ द मैच” चुना गया।










