International Day of Decent Work: घरेलू कामगारों का राष्ट्रीय मंच के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय मर्यादा पूर्ण कार्य दिवस के अवसर पर प्रेस वार्ता का आयोजन रांची के पुरुलिया रोड स्थित एसडीसी सभागार में किया गया। जहां बताया कि घरेलू कामगारों के लिए आईएलओ कन्वेंशन 189 में मर्यादा पूर्ण कार्य को अपनाने की वर्षगांठ का प्रतीक है उसी दिन को हम अंतरराष्ट्रीय मर्यादा पूर्ण कार्य दिवस के रूप में मनाते हैं। वर्ष 2011 में इसी दिन भारत सरकार ने जिनेवा में कन्वेंशन 189 को मंजूरी दी थी जिसमें यह स्वीकार किया गया था कि घरेलू कामगार भी अन्य श्रमिकों की तरह है और उनके अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश भारत सरकार ने भारत में घरेलू कामगारों से किया हुआ वादा पूरा नहीं किया। आज के इस मर्यादा पूर्ण कार्य दिवस के पूर्व का यह प्रेस वार्ता अंतरराष्ट्रीय मर्यादा पूर्ण कार्य दिवस की तैयारी में रखा गया है।
इस प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन की राज्य संयोजिका सिस्टम अंशु ने अंतरराष्ट्रीय मर्यादा पूर्ण कार्य दिवस के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का पूर्ण सम्मान करने और घरेलू कामगारों के लिए एक व्यापक कानून बनाने की बात कही। प्रेस वार्ता में उपस्थित झारखंड घरेलू कामगार यूनियन की अध्यक्ष अनीता देवी ने कार्यस्थल पर घरेलू कामगार के साथ हो रहे अन्याय और शोषण के बारे में जानकारी दी और कहा कि घरेलू कामगारों के लिए अलग से कानून होनी चाहिए, ताकि घरेलू कामगारों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण के विरुद्ध में आवाज उठा सके।

यूनियन की कोषाध्यक्ष रेनू लिंडा ने न्यूनतम मजदूरी के ऊपर प्रकाश डालते हुए कहा कि घरेलू कामगारों को भी उचित मजदूरी मिलनी चाहिए क्योंकि घरेलू कामगार भी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, साथ ही यूनियन की महामंत्री आशा देवी ने साप्ताहिक छुट्टी पर अपने बातों को रखा घरेलू कामगारों का कोई भी छुट्टी निर्धारित नहीं है अतः उन्हें रोज कम पर जाना पड़ता है यदि वह किसी कारण कम पर नहीं जाते हैं तो उनका पैसा काट लिया जाता है। झारखंड घरेलू कामगार यूनियन की सदस्य प्रियंका तिर्की ने आवास से जुड़ी समस्याओं को रखा। प्रेस वार्ता के माध्यम से यह यह कहना चाहते हैं कि घरेलू कामगार भी काम है, घरेलू कामगार भी कामगार है हमें उनके अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।

प्रमुख मांगे
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का पूर्ण सम्मान किया जाए।
- घरेलू कामगारों के अधिकारों और कल्याण के लिए समग्र और व्यापक कानून बनाया जाए।
- इस कानून के निर्माण के लिए एक विशेषज्ञ समिति का तत्काल गठन किया जाए। समिति द्वारा घरेलू कामगारों की सामाजिक सुरक्षा, काम के घंटे, न्यूनतम वेतन, और गरिमा पूर्ण कार्य स्थिति से संबंधित सुझाव दिया जाए, यह निर्णय भारत में घरेलू कामगारों की गरिमा और अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रेसवार्ता में सिस्टर अंशु, रीना किस्पोट्टा, आशा तिर्की, सुषमा टोप्पो, शीतल टोपनो, अनिपा देवी, रेनू लिंडा, आशा देवी, प्रियंका तिर्की, और झारखंड घरेलू कामगार यूनियन की कई सदस्य शामिल थी।