Wake Up Before Alarm:क्या आपने कभी गौर किया है कि रोज़ाना एक तय वक्त खासकर रात के 2 से 5 बजे के बीच आपकी नींद (Sleep) अचानक खुल जाती है? न कोई आवाज़, न रोशनी, फिर भी ऐसा लगता है जैसे शरीर खुद ही अलर्ट हो गया हो। बहुत से लोग इसे मामूली मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन विज्ञान कहता है कि यह आपकी बॉडी का एक खास पैटर्न है। दरअसल, यह आपके अंदर काम कर रही सर्कैडियन रिदम यानी जैविक घड़ी से जुड़ा हो सकता है। अगर यह बार-बार हो रहा है, तो समझिए शरीर कोई संकेत देना चाह रहा है। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है और इससे बचने के तरीके क्या हैं।
सर्कैडियन रिदम: शरीर की अदृश्य जैविक घड़ी/Wake Up Before Alarm
रात के 2 से 5 बजे का समय आपकी बॉडी के लिए बहुत खास होता है। इस दौरान शरीर की सर्कैडियन रिदम (Circadian Rhythm) यानी 24 घंटे की जैविक घड़ी — पूरी तरह सक्रिय रहती है। यह वही प्रणाली है जो हार्मोन रिलीज़, तापमान और नींद-जागने के पैटर्न को नियंत्रित करती है। सूर्योदय से पहले कोर्टिसोल हार्मोन धीरे-धीरे बढ़ने लगता है ताकि आप स्वाभाविक रूप से जाग सकें। लेकिन जब शरीर या मन में तनाव अधिक हो जाता है, तो यही कोर्टिसोल अचानक स्पाइक करता है और नींद तोड़ देता है। यानी अलार्म से पहले जागना महज़ संयोग नहीं, बल्कि शरीर की चेतावनी हो सकती है।

तनाव: नींद का सबसे बड़ा दुश्मन
तनाव का सीधा असर आपके स्लीप साइकल पर पड़ता है। जब मन लगातार चिंताओं में उलझा रहता है, तो शरीर “हाई अलर्ट” मोड में बना रहता है। परिणामस्वरूप गहरी नींद यानी REM स्लीप टूट जाती है। इसी दौरान मस्तिष्क भावनाओं, यादों और अधूरे विचारों को प्रोसेस करता है। लेकिन तनाव के कारण यह प्रोसेस बाधित हो जाता है और आप अचानक जाग जाते हैं। कई बार सुबह-सुबह उठने पर बीते हुए दृश्य या विचार दिमाग में तैरने लगते हैं, जो इस disturbed sleep का परिणाम होता है। नींद टूटने की यह आदत अगर लंबे समय तक बनी रहे, तो यह शरीर में हार्मोनल असंतुलन और थकान का कारण बन सकती है।
आपकी नींद का समय क्या बताता है?
हर व्यक्ति की नींद की जैविक लय अलग होती है, जिसे क्रोनोटाइप कहा जाता है। कुछ लोग स्वाभाविक रूप से जल्दी उठने वाले होते हैं, जबकि कुछ देर रात तक सक्रिय रहते हैं। अगर आप रोज़ाना 3 से 5 बजे के बीच उठ जाते हैं, तो यह संकेत है कि आपकी बॉडी क्लॉक मौजूदा दिनचर्या से तालमेल नहीं बैठा पा रही। इसे “सोशल जेट लैग” कहा जाता है। आज की 9 से 5 वाली जीवनशैली इस प्राकृतिक लय से टकरा जाती है, जिससे नींद की गुणवत्ता गिरती है और मानसिक तनाव बढ़ता है। नाइट आउल्स यानी देर तक जागने वालों के लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
कैसे पाएं फिर से गहरी नींद?
सुखद बात यह है कि कुछ आसान बदलावों से आप अपनी नींद को फिर से संतुलित कर सकते हैं। सबसे पहले, अपनी नींद का पैटर्न नोट करें — कब सोते हैं और कब जागते हैं। सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें ताकि बॉडी क्लॉक भ्रमित न हो। कैफीन और शराब जैसी चीज़ों से दूरी बनाएँ, ये REM नींद को प्रभावित करती हैं। दिनभर में तनाव को कम करने के लिए गहरी सांसें लेना, हल्की वॉक या डायरी लिखना जैसे उपाय कारगर हो सकते हैं। और सबसे अहम, अपनी प्राकृतिक जैविक घड़ी के अनुसार दिनचर्या बनाएं। लगातार सुबह 3 से 5 बजे जागना केवल नींद की समस्या नहीं, बल्कि आपके शरीर का एक संकेत है — जो कह रहा है कि अब खुद का ख़याल रखने का समय आ गया है।










