Amit Shah Turns 61: भारतीय राजनीति में अगर किसी नेता को “रणनीति का शिल्पी” कहा जाए, तो नाम सबसे पहले अमित शाह (Amit Shah) का आता है। 22 अक्टूबर 1964 को जन्मे अमित अनिलचंद्र शाह आज देश के गृहमंत्री हैं, लेकिन उनका सफर यहां तक पहुंचने का बेहद संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है। मुंबई के एक सामान्य परिवार से शुरू होकर संगठन और सत्ता के शीर्ष तक का उनका सफर न केवल राजनीतिक चतुराई का उदाहरण है बल्कि यह बताता है कि दृढ़ निश्चय और सूझबूझ से कोई भी व्यक्ति इतिहास बदल सकता है। आइए जानते हैं पूरी खबर क्या है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन/Amit Shah Turns 61
अमित शाह (Amit Shah) का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई (Mumbai) में एक संपन्न गुजराती परिवार (Gujarati Family) में हुआ। उनके पिता अनिलचंद्र शाह एक सफल व्यवसायी थे, जबकि माता कुसुमबेन शाह गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थीं। उनके दादा नगर सेठ थे, जो बड़ौदा राज्य के मानसा नगर में प्रतिष्ठित व्यापारी माने जाते थे। शाह ने अपने जीवन के पहले 16 वर्ष मानसा में बिताए और यहीं से शिक्षा की शुरुआत की। इसके बाद उनका परिवार अहमदाबाद चला गया, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। बाल्यकाल से ही उनमें अनुशासन और नेतृत्व के गुण दिखने लगे थे, जो आगे चलकर उनकी राजनीतिक यात्रा की नींव बने।

संघ से जुड़ाव और सार्वजनिक जीवन की शुरुआत
सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में अमित शाह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से स्वयंसेवक के रूप में जुड़कर सामाजिक कार्यों की शुरुआत की। 1980 के दशक में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से भी सक्रिय हुए और 1982 में गुजरात इकाई के संयुक्त सचिव बने। उन्होंने छात्र राजनीति के माध्यम से समाज और युवाओं की समस्याओं को नजदीक से समझा। 1984 में वे पहली बार भाजपा से जुड़े, जब उन्होंने एक मतदान केंद्र पर बूथ एजेंट के रूप में कार्य किया। यही उनके राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत थी, जिसने आगे जाकर भारतीय राजनीति का चेहरा बदल दिया।
भाजपा में बढ़ता प्रभाव और संगठन में पकड़
1987 में अमित शाह (Amit Shah) ने भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़कर संगठनात्मक कार्यों की गहराई में उतरना शुरू किया। उन्हें समाज सुधारक नानाजी देशमुख के साथ काम करने का अवसर मिला, जिससे उन्होंने ग्रामीण विकास और वैकल्पिक राजनीति को समझा। 1989 में वे भाजपा की अहमदाबाद इकाई के सचिव बने और राम जन्मभूमि आंदोलन व एकता यात्रा जैसे अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने पार्टी की सांगठनिक मजबूती पर ध्यान केंद्रित किया। यहीं से अमित शाह की पहचान एक मेहनती, योजनाबद्ध और परिणाम देने वाले कार्यकर्ता के रूप में उभरने लगी।
नरेंद्र मोदी के साथ बढ़ती नजदीकी और राजनीतिक सफलता
1990 के दशक में अमित शाह (Amit Shah) और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के बीच एक मजबूत राजनीतिक समझ विकसित हुई। उस समय मोदी गुजरात में संगठन सचिव के रूप में कार्यरत थे। शाह ने सदस्यता अभियान को नए ढंग से संगठित किया, जिससे पार्टी की पकड़ बढ़ी। 1997 में उन्होंने सरखेज विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर विधायक के रूप में अपनी पहली सफलता हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1998, 2002, 2007 और 2012 में लगातार चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया। नारणपुरा सीट से उनकी 63,000 वोटों की जीत उनके बढ़ते जनसमर्थन की मिसाल रही।
राष्ट्रीय राजनीति में उदय और भाजपा अध्यक्ष के रूप में स्वर्ण युग
2002 में शाह को नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने गृह, कानून, यातायात और मद्यनिषेध जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने गुजरात में आधुनिक पुलिस नियंत्रण कक्ष, फॉरेंसिक प्रयोगशाला और साइबर क्राइम यूनिट की शुरुआत की। 2013 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने उत्तर प्रदेश में पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाई। इसके बाद वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 2014 से 2020 तक के उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई राज्यों में सरकार बनाई और 2019 में 300 से अधिक सीटें जीतकर इतिहास रचा।










