प्रशासन की रोक के बाद भी भक्त गणेश प्रतिमा का गंगा नदी में विसर्जन कर रहे है। प्रदूषण से बचाने के लिए सरकार ने नदियों में प्रतिमाओं के विसर्जन पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन पूजा समिति व अन्य भक्त नियमों की परवाह किए बिना ही गंगा में गणेश की प्रतिमा को विसर्जित करने में आमादा है। नदियों में प्रतिमाओं के विसर्जन से रासायनिक प्रदूषण होने का खतरा बढ़ने लगता है। इन दिनों गणेश चतुर्थी त्योहार को लेकर जगह-जगह पूजा पंडाल सजाकर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की गई है। वहीं अब प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। वही प्रशासन की लापरवाही से डलमऊ गंगा तट पर मूर्तियों के भू विसर्जन की व्यवस्था न होने के कारण भक्तों द्वारा गणेश प्रतिमाओं को गंगा नदी में विसर्जित कर रहे है। शनिवार से शुरू हुए प्रतिमाओं के विसर्जन में अब तक कई छोटी बड़ी मूर्तियों को विसर्जित किया जा चुका है। पिछले वर्ष प्रशासन द्वारा गंगा तट डलमऊ में प्रतिमाओं के भू विसर्जन के लिए चिह्नित किए गए स्थान पर गड्ढा खोदा गया था। लेकिन इस बार क्षेत्रीय प्रशासन की लापरवाही से भू विसर्जन की कोई व्यवस्था न किए जाने से बिना किसी रोक-टोक के भक्त प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर मूर्तियों को गंगा में विसर्जित कर रहे है । गंगा नदी का जलस्तर इस समय उफान पर है जिससे गंगा नदी का बहाव भी तेज है प्रशासन की हीला हवाली के चलते गंगा नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान कोई बड़ा हादसा घटित होने का डर बना रहता है लेकिन भक्तों के लिए प्रशासन ने अबकी बार कोई व्यवस्था नहीं की है। सनातन धर्म पीठ बड़ा मठ डलमऊ के स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से साप्ताहिक गंगा स्वच्छता अभियान चल रहे हैं गंगा में प्रतिमाओं के विसर्जन से गंगा नदी प्रदूषित हो रही है प्रतिमाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से जल जीवों को नुकसान पहुंच रहा है वही गंगा का जल भी जहरीला हो रहा है। इस सम्बन्ध में उपजिलाधिकारी डलमऊ से बात करने का प्रयास किया गया तो फोन रिसीव नहीं हो सका ।