Chhath Mahaparv 2025: नहाय-खाय से आरंभ हुआ छठ महापर्व: चार दिवसीय अनुष्ठान में श्रद्धालुओं का उत्साह

Chhath Mahaparv 2025: गंगा घाटों पर जुटे व्रती, नहाय-खाय से शुरू हुआ पर्व, कल से निर्जला उपवास

Chhath Mahaparv 2025: आज से छठ महापर्व (Chhath Mahaparv) का चार दिवसीय उत्सव नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया। राजधानी पटना (Patna) समेत प्रदेश के गंगा घाटों पर श्रद्धालु भगवान सूर्य (Bhagwan Surya) की उपासना में लीन हैं। बाजारों में पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए भारी भीड़ देखी जा रही है, और घरों में प्रसाद तैयार करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। यह पर्व न केवल शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक है, बल्कि छठी मैया (Chhathi Maiya) की विशेष कृपा भी लाता है। चार दिवसीय महापर्व में शनिवार को नहाय-खाय से शुरुआत हुई, रविवार को खरना पूजन और 36 घंटे का निर्जला उपवास, सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। आइए जानते हैं पूरी खबर क्या है…

नहाय-खाय से महापर्व की शुरुआत/Chhath Mahaparv 2025

छठ महापर्व (Chhath Mahaparv) का आरंभ शनिवार को नहाय-खाय (Nahay-Khay) के साथ हुआ। श्रद्धालु गंगा घाटों पर जमा होकर पूजा-अर्चना में व्यस्त हैं। घरों में प्रसाद बनाने की तैयारियों के साथ बाजारों में भीड़ देखी जा रही है। नहाय-खाय के लिए लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल और आंवला की चासनी का सेवन किया जाता है, जिसे वैदिक मान्यताओं के अनुसार संतान सुख और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। पटना के प्रमुख सूर्य मंदिरों और घाटों जैसे देव, बडगांव, उलार, पुण्यार्क पर श्रद्धालु गंगाजल लेकर मिट्टी के चूल्हे पर शुद्ध वातावरण में प्रसाद तैयार कर रहे हैं। प्रशासन ने घाटों की सफाई, प्रकाश और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की है। घाटों और मोहल्लों तक गंगाजल टैंकर के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है, ताकि व्रती आसानी से पूजा कर सकें और पर्व का आनंद सुरक्षित रूप से ले सकें।

चार दिवसीय अनुष्ठान और धार्मिक संयोग

छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक चलता है। शनिवार को शोभन, रवि एवं सिद्ध योग में व्रती नहाय-खाय करती हैं। रविवार को रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग में खरना का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सुकर्मा योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि मंगलवार को त्रिपुष्कर और रवियोग के शुभ संयोग में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व का समापन पारण के साथ होगा। वैदिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता और तेजस्विता की प्राप्ति होती है। इस चार दिवसीय महापर्व में शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि के साथ छठी मैया की विशेष कृपा बरसती है।

प्रसाद और स्वास्थ्य लाभ

नहाय-खाय (Nahay-Khay) में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल और आंवला की चासनी का सेवन किया जाता है। इससे व्रती पर छठी मैया (Chhathi Maiya) की कृपा बरसती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। रविवार के खरना में ईख के रस और गुड़ का विशेष महत्व है। इसके सेवन से त्वचा रोग, आंखों की पीड़ा दूर होती है और बौद्धिक क्षमता व शरीर की निरोगिता बढ़ती है। प्राकृतिक कारणों से फास्फोरस की कमी के चलते शरीर में सर्दी, कफ और जुकाम जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। गुड़ और मौसमी फलों के सेवन से यह कमी पूरी होती है। छठ महापर्व में प्रसाद के रूप में स्थानीय फल और गागर का प्रयोग भी स्वास्थ्य लाभ और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

घाटों की सजावट और भक्तिमय माहौल (150 शब्द)

राजधानी और अन्य क्षेत्रों के घाट रंग-बिरंगी रोशनी और छठ गीतों से जगमगा रहे हैं। हर मोहल्ले में प्रशासन द्वारा गंगा जल की व्यवस्था की गई है, ताकि व्रती आसानी से पूजा कर सकें। घाटों और घरों में सजावट के साथ भक्तिमय वातावरण बना हुआ है। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय इस प्रकार है: सुबह 06:24 बजे और शाम 05:36 बजे। चार दिवसीय अनुष्ठान के अनुसार, शनिवार नहाय-खाय, रविवार खरना, सोमवार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और मंगलवार उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। श्रद्धालु गंगा और तालाबों से जल लाकर पूजा करते हैं और मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद तैयार करते हैं। इस प्रकार, चार दिवसीय महापर्व में छठी मैया की कृपा और प्राकृतिक शुद्धि का अनुभव भक्तों को प्राप्त होता है।

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