Consumer Spending Boosts Revenue: त्योहारों में बढ़ी खरीदारी से खिले बाजार, जीएसटी कलेक्शन ने छुआ 1.96 लाख करोड़ का आंकड़ा

Consumer Spending Boosts Revenue: उपभोक्ताओं ने खर्च किए खुले दिल से, सरकार के खजाने में आई 4.6% की बढ़त

Consumer Spending Boosts Revenue: त्योहारी सीजन सिर्फ रंगों और रोशनी का नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था (Economy) के लिए उम्मीदों का भी मौसम होता है। इस बार भारत के बाजारों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि उपभोक्ताओं का मूड देश की आर्थिक धड़कन तय करता है। सितंबर में जीएसटी दरों में कमी के बाद उपभोक्ताओं ने अक्टूबर में दिल खोलकर खरीदारी की—नतीजा, सरकार के राजस्व में आई उल्लेखनीय बढ़ोतरी। घरेलू बिक्री से लेकर आयात तक, हर सेक्टर में त्योहारी मांग ने नई जान फूंक दी। आइए जानते हैं इस जीएसटी उछाल के पीछे की पूरी कहानी।

जीएसटी दरों में राहत के बाद बढ़ी मांग/Consumer Spending Boosts Revenue

22 सितंबर को लागू हुई नई जीएसटी दरों (GST Rates) का असर त्योहारों के पहले दिन से ही दिखने लगा। नवरात्रि और दशहरा के दौरान बाजारों में खरीदारों की भीड़ बढ़ने लगी। घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स, ज्वेलरी, फर्नीचर और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों में बिक्री में उल्लेखनीय उछाल देखने को मिला। उपभोक्ताओं ने राहत का फायदा उठाते हुए बड़े पैमाने पर खर्च किया, जिससे न केवल खुदरा दुकानों में बल्कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भी बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इस रफ्तार ने अर्थव्यवस्था को अस्थायी ही सही, लेकिन मजबूत बढ़ावा दिया और त्योहारी सीजन को बाजारों के लिए सुनहरा बना दिया।

उपभोक्ता मनोविज्ञान ने बदली तस्वीर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) द्वारा स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा के बाद लाखों उपभोक्ताओं ने अपनी बड़ी खरीदारी को रोक दिया था। वे इंतजार कर रहे थे कि नए रेट लागू हों, ताकि उन्हें सीधा फायदा मिले। सितंबर के आखिरी सप्ताह में दरों में कटौती लागू होते ही बाजारों में अचानक डिमांड बढ़ी। इसका असर अक्टूबर के जीएसटी कलेक्शन में साफ झलका। लोगों ने रसोई से लेकर लग्जरी आइटम तक में दिल खोलकर खर्च किया। यह उपभोक्ता मनोविज्ञान ही था जिसने त्योहारों के मौसम में देश की आर्थिक गति को नई ऊर्जा दी और राजस्व संग्रह को ऐतिहासिक ऊंचाई तक पहुंचाया।

आंकड़ों में दिखी त्योहारों की ताकत

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2025 में सकल जीएसटी संग्रह ₹1.96 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष अक्टूबर में यह ₹1.87 लाख करोड़ था — यानी 4.6% की वार्षिक वृद्धि। अगस्त और सितंबर में जहां कलेक्शन क्रमशः ₹1.86 लाख करोड़ और ₹1.89 लाख करोड़ था, वहीं अक्टूबर में मांग ने इस ग्राफ को नई ऊंचाई दी। घरेलू बिक्री में 2% की बढ़त हुई और आयातित वस्तुओं पर कर संग्रह 13% बढ़कर ₹50,884 करोड़ तक पहुंच गया। यह वृद्धि बताती है कि भारतीय बाजारों में त्योहारी खरीदारी ने न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी गति दी।

रिफंड, नेट कलेक्शन और अर्थव्यवस्था पर असर

अक्टूबर में जीएसटी रिफंड (GST Refund) में 39.6% की सालाना वृद्धि हुई, जो ₹26,934 करोड़ तक पहुंच गई। इसके बाद शुद्ध जीएसटी राजस्व ₹1.69 लाख करोड़ रहा — जो पिछले साल की तुलना में मामूली लेकिन स्थिर 0.2% की वृद्धि को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि सिर्फ मौसमी नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था में बढ़ते उपभोक्ता विश्वास का संकेत है। बढ़ी हुई खपत और मजबूत राजस्व संग्रह यह साबित करते हैं कि भारत की उपभोक्ता-आधारित अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पुनर्जीवित हो रही है। यदि दिसंबर तक यह रफ्तार कायम रही, तो वित्त वर्ष 2025–26 जीएसटी कलेक्शन के लिहाज से रिकॉर्ड तोड़ साबित हो सकता है।

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