Desi Products Dominate Markets: दिवाली 2025 पर भारतीय बाजारों में इस बार सिर्फ दीयों की रौशनी नहीं, बल्कि ‘स्वदेशी भावना’ की चमक भी देखने को मिली। देशभर में हुई खरीदारी ने नए आर्थिक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस साल न केवल लोगों ने दिल खोलकर खर्च किया, बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल’ के संदेश को भी सच्चे अर्थों में अपनाया। दिलचस्प बात यह रही कि बड़े-बड़े मॉल्स की जगह छोटे बाजारों और स्थानीय दुकानों में अभूतपूर्व भीड़ उमड़ी। वहीं चीनी प्रोडक्ट्स (Chinese Product) की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई। आखिर किन कारणों से इस बार भारतीय बाजारों ने रिकॉर्ड तोड़ा कारोबार किया और किन सेक्टरों को हुआ सबसे ज्यादा फायदा– आइए जानते हैं पूरी खबर।
रिकॉर्ड तोड़ कारोबार: 6.05 लाख करोड़ का उत्सव/Desi Products Dominate Markets
दिवाली 2025 (Diwali 2025) भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक मौका साबित हुई। इस बार कुल कारोबार 6.05 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 25% अधिक है। इसमें से लगभग 5.40 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन वस्तुओं की बिक्री से हुआ, जबकि करीब 65,000 करोड़ रुपये सर्विस सेक्टर से जुड़े कारोबार से आए। यह आंकड़े कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की ‘रिसर्च रिपोर्ट ऑन दीवाली फेस्टिवल सेल्स 2025’ में सामने आए हैं। यह रिपोर्ट 60 प्रमुख वितरण केंद्रों में किए गए सर्वे पर आधारित है, जिसमें राजधानी, टियर-2 और टियर-3 शहरों के व्यापारी और उपभोक्ता शामिल किए गए। रिपोर्ट ने दिखाया कि भारत का खुदरा बाजार त्योहारों के सीजन में फिर से मजबूती से खड़ा हुआ है।

स्वदेशी का जलवा, चीनी प्रोडक्ट्स को झटका
CAIT की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस दिवाली करीब 87% उपभोक्ताओं ने भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दी। यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में अभूतपूर्व है, जो यह साबित करता है कि ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal For Local) और ‘स्वदेशी दीवाली’ (Swadeshi Diwali) जैसे अभियानों का असर लोगों के व्यवहार पर गहराई से पड़ा है। दूसरी ओर, चीनी उत्पादों की बिक्री में तेज गिरावट देखी गई। यह न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि कूटनीतिक दृष्टि से भी एक अहम संकेत है। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों ने भी भारतीय उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा दिया, जिससे कुल व्यापार का लगभग 28% योगदान वहीं से आया। भारतीय सामानों की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले करीब 25% की बढ़ोतरी दर्ज हुई, जो घरेलू निर्माण और छोटे व्यापारियों के लिए शुभ संकेत है।
छोटे बाजारों की बड़ी जीत, नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टर हुआ मजबूत
इस साल दिवाली (Diwali) पर बड़े मॉल्स और ब्रांडेड कॉम्प्लेक्स की तुलना में छोटे पारंपरिक बाजारों ने बाजी मारी। कुल व्यापार का करीब 85% हिस्सा नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टर से आया, जिसमें स्थानीय दुकानदार, फैमिली रिटेलर्स और छोटे व्यापारी शामिल थे। इन बाजारों ने न केवल व्यापार बढ़ाया बल्कि हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए। इनकी सफलता ने यह भी दर्शाया कि भारत की अर्थव्यवस्था की असली ताकत अभी भी उसके जमीनी स्तर के बाजारों में बसी है। GST दरों में सरकार द्वारा की गई कटौती ने भी खरीदारी को और प्रोत्साहित किया। करीब 72% व्यापारियों ने बताया कि कपड़े, फुटवियर, मिठाई, होम डेकोर और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर छूट मिलने से बिक्री में उछाल आया।
सेक्टरवार बिक्री और सर्विस सेक्टर का योगदान
रिपोर्ट के अनुसार, फेस्टिव सीजन (Festive Season) में सबसे ज्यादा योगदान किराना और FMCG सेक्टर का रहा, जिसने कुल बिक्री का 12% हिस्सा अपने नाम किया। गोल्ड-ज्वेलरी और होम डेकोर ने 10-10%, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स और गारमेंट्स ने 7-8% हिस्सेदारी दर्ज की। मिठाई-नमकीन, टेक्सटाइल्स, पूजा सामग्री और फुटवियर जैसे सेक्टरों ने भी उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई। वहीं सर्विस सेक्टर ने लगभग 65,000 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ बड़ा योगदान दिया। इसमें पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी, कैब, ट्रैवल, इवेंट मैनेजमेंट और लॉजिस्टिक्स जैसी सेवाएं शामिल रहीं।
अनुमान है कि इस सीजन में लगभग 50 लाख अस्थायी रोजगार सृजित हुए, जिससे स्पष्ट है कि दिवाली 2025 सिर्फ रोशनी और उत्सव का नहीं, बल्कि आर्थिक मजबूती का प्रतीक बन गई।










