GSAT-7R launch LIVE: भारतीय नौसेना को आज मिलेगा नया स्पेस पावर — ISRO लॉन्च करेगा स्वदेशी GSAT-7R सैटेलाइट

GSAT-7R लॉन्च LIVE: भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने इसरो का मिशन तैयार, जानें इस सैटेलाइट की खासियतें

GSAT-7R launch LIVE: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज यानी 2 नवंबर 2025 को एक और ऐतिहासिक लॉन्च करने जा रहा है। यह मिशन भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा, क्योंकि इसरो अपने स्वदेशी संचार उपग्रह GSAT-7R (CMS-03) को अंतरिक्ष में भेजने जा रहा है। यह सैटेलाइट (Satellite) नौसेना की समुद्री संचार प्रणाली (Maritime Communication System) और निगरानी क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और नौसेना की तकनीकी ताकत को यह लॉन्च एक नई दिशा देने वाला है। आइए जानते हैं, GSAT-7R सैटेलाइट से जुड़ी पूरी जानकारी और इसके लॉन्च से नौसेना को क्या मिलेगा नया।

भारतीय नौसेना की नई ‘स्पेस पावर’ का आरंभ/GSAT-7R launch LIVE

रविवार, 2 नवंबर को इसरो श्रीहरिकोटा (Sriharikota) के सतीश धवन स्पेस सेंटर (Satish Dhawan Space Centre) से GSAT-7R (CMS-03) लॉन्च करने जा रहा है। यह उपग्रह भारतीय नौसेना की स्पेस कम्युनिकेशन स्ट्रेंथ को कई गुना बढ़ा देगा। इसके जरिए नौसेना को समुद्र में दूरस्थ इलाकों से भी रियल-टाइम और सुरक्षित संचार सुविधा मिलेगी। GSAT-7R पूरी तरह से स्वदेशी डिज़ाइन और विकास पर आधारित है। इसे खास तौर पर नौसेना की आधुनिक ज़रूरतों — जैसे समुद्री निगरानी, बेड़े के बीच समन्वय और ऑपरेशनल कमांड को सुदृढ़ करने — के लिए तैयार किया गया है। यह लॉन्च भारत के ‘आत्मनिर्भर नौसेना’ अभियान को गति देने के साथ ही देश की अंतरिक्ष रक्षा क्षमताओं में भी एक और अध्याय जोड़ेगा।

अब तक का सबसे भारी और उन्नत सैटेलाइट

GSAT-7R करीब 4,400 किलोग्राम वजनी है और यह अब तक का भारत का सबसे भारी नौसेना संचार सैटेलाइट है। इसमें कई अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया गया है। यह सैटेलाइट GSAT-7A और GSAT-7B के अपग्रेडेड संस्करण के रूप में काम करेगा, जो पहले ही वायुसेना और थलसेना के संचार नेटवर्क को मजबूत कर चुके हैं। इस सैटेलाइट के ज़रिए भारतीय नौसेना को उच्च गति के डेटा ट्रांसफर, वीडियो लिंक और मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन की सुविधा मिलेगी। यह सैटेलाइट मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन के साथ वॉइस, डेटा और वीडियो ट्रांसमिशन को सपोर्ट करेगा, जिससे हर समुद्री मिशन के दौरान सूचना का प्रवाह अबाध रहेगा।

इंडियन ओशन रीजन में होगा मजबूत कवरेज

GSAT-7R विशेष रूप से भारतीय महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) के लिए डिजाइन किया गया है। यह क्षेत्र नौसेना के लिए रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, जहां चीन जैसे देशों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए निगरानी क्षमता को और मजबूत करना आवश्यक है। इस सैटेलाइट के ट्रांसपोंडर जहाजों, विमान, पनडुब्बियों और तटीय ऑपरेशन सेंटर्स के बीच सुरक्षित संचार स्थापित करेंगे। इसके माध्यम से नौसेना को सतह और पानी के नीचे दोनों क्षेत्रों में बेहतर कम्युनिकेशन नेटवर्क मिलेगा, जिससे मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) और ऑपरेशनल कोऑर्डिनेशन की क्षमताएं कई गुना बढ़ेंगी। यह भारत की समुद्री सीमाओं की निगरानी को और अधिक सटीक बनाएगा।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम

GSAT-7R का सफल प्रक्षेपण भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन की दिशा में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। यह सैटेलाइट इस बात का प्रतीक है कि भारत अब अपनी सुरक्षा, तकनीकी और सामरिक ज़रूरतों के लिए विदेशी निर्भरता से बाहर निकल रहा है।
समुद्री सुरक्षा के बदलते परिदृश्य में यह सैटेलाइट नौसेना की रीढ़ साबित होगा। आधुनिक कम्युनिकेशन, रियल-टाइम डेटा शेयरिंग और रणनीतिक निगरानी क्षमताओं के साथ भारत अब हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और मजबूत कर सकेगा।
जटिल सुरक्षा चुनौतियों और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा के इस दौर में, GSAT-7R भारत की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है कि देश अपने समुद्री हितों की रक्षा — स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भरता के दम पर — करेगा।

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