India-Israel Defense Deal Sealed भारत-इजरायल डिफेंस डील से मचेगी हलचल! चीन-पाकिस्तान की बढ़ी चिंता

India-Israel Defense Deal Sealed ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की नई तैयारी, इजरायल से होने जा रहा 8 हजार करोड़ का सौदा

India-Israel Defense Deal Sealed: भारत अपनी वायुसेना को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की तैयारी में है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब भारत एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है, जिससे उसके दुश्मनों की नींद उड़ सकती है। बताया जा रहा है कि भारतीय वायुसेना जल्द ही इजरायल की एक सरकारी कंपनी के साथ करीब 8 हजार करोड़ रुपये की रक्षा डील करने जा रही है। यह सौदा न केवल वायुसेना की शक्ति को कई गुना बढ़ाएगा, बल्कि देश की रक्षा नीति में भी बड़ा बदलाव लाएगा। क्या है यह डील, क्यों है चीन-पाकिस्तान के लिए चिंता की वजह और इसमें क्या भूमिका निभाएगा “मेक इन इंडिया”? आइए जानते हैं पूरी खबर क्या है…

भारतीय वायुसेना की नई उड़ान/India-Israel Defense Deal Sealed

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद भारतीय वायुसेना अपनी ताकत को और बढ़ाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। इसी कड़ी में अब वायुसेना को जल्द ही छह नए मिड-एयर रिफ्यूलिंग (हवा में ईंधन भरने वाले) विमान मिलने वाले हैं। यह करीब 8,000 करोड़ रुपये का सौदा इजराइल की सरकारी कंपनी इजराइल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (IAI) के साथ होने की संभावना है। इस समझौते के तहत IAI पुराने बोइंग 767 कमर्शियल विमानों को मॉडिफाई करके टैंकर विमान बनाएगी और उन्हें भारतीय वायुसेना को सौंपेगी। अगर यह सौदा तय होता है, तो यह भारतीय वायुसेना की रणनीतिक क्षमता में एक बड़ी छलांग साबित होगी।

इजरायली कंपनी से सौदे की शर्तें

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (IAI) इस सौदे में लगभग 30 प्रतिशत ‘मेड इन इंडिया’ सामग्री के उपयोग पर सहमत हो गई है। वायुसेना ने इस खरीद के लिए कुछ साल पहले बिड शुरू की थी, जिसमें इजरायल, रूस और यूरोप की कई कंपनियां शामिल थीं। हालांकि, स्वदेशी घटक और लागत संबंधी शर्तों के कारण बाकी कंपनियां रेस से बाहर हो गईं। यह डील “मेक इन इंडिया” के तहत न केवल घरेलू उद्योगों को मजबूती देगी, बल्कि भारत और इजरायल के बीच रक्षा सहयोग को भी नई दिशा देगी।

आगरा में तैनात हैं मौजूदा टैंकर विमान

वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास रूस से खरीदे गए 6 Il-78 टैंकर विमान हैं, जो आगरा एयरबेस पर तैनात हैं। ये विमान भारतीय वायुसेना और नौसेना के लड़ाकू विमानों को उड़ान के दौरान ईंधन भरने में मदद करते हैं। हालांकि, समय के साथ इन विमानों की तकनीकी क्षमता और रखरखाव चुनौतीपूर्ण हो गया है।
नई रिफ्यूलिंग तकनीक के आने से वायुसेना की रेंज और ऑपरेशनल समय दोनों बढ़ेंगे। यह क्षमता किसी भी सैन्य अभियान या लंबी दूरी के मिशन के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।

पुराने विमानों को हटाकर बढ़ेगी ताकत

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) धीरे-धीरे अपने पुराने विमानों को हटाने की दिशा में काम कर रही है। आधुनिक तकनीक से लैस नए टैंकर विमानों की जरूरत लंबे मिशनों में बेहद जरूरी है। हाल ही में वायुसेना ने एक टैंकर विमान को लीज पर भी लिया था, लेकिन अब अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए छह नए विमान शामिल करने की योजना है। IAI द्वारा सप्लाई किए जाने वाले ये टैंकर विमान वायुसेना की ‘रीच’ और ‘रिस्पॉन्स टाइम’ दोनों को मजबूत करेंगे, जिससे भारत की वायु शक्ति नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी।

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