India Shifts Oil Strategy: वैश्विक तेल बाजार एक नए मोड़ पर है– और इस बार केंद्र में है भारत। अमेरिकी (America) दबाव, रूस (Russia) पर प्रतिबंध और ट्रंप (Trump) की सख्त टैरिफ नीति के बीच भारत ने एक चौंकाने वाला आर्थिक कदम उठाया है। अब भारत अमेरिका से रिकॉर्ड स्तर पर कच्चा तेल आयात कर रहा है, जो 2022 के बाद सबसे ऊँचे स्तर पर पहुंच गया है। यह फैसला केवल आर्थिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक संकेतों से भी भरा हुआ है। क्या भारत अमेरिकी ‘टैरिफ टेरर’ का जवाब उसी के तेल से दे रहा है? क्या रूस के साथ भारत की पुरानी ऊर्जा साझेदारी अब बदलने वाली है? आइए जानते हैं पूरी खबर…
अमेरिका से भारत का बढ़ता क्रूड इंपोर्ट
27 अक्तूबर 2025 को भारत (India) ने अमेरिका (America) से 5.40 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल का आयात किया — जो तीन साल का सबसे ऊँचा स्तर है। अमेरिकी दावे के अनुसार, यह बढ़ोतरी राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध के बाद रूस से तेल खरीद में कमी लाने के परिणामस्वरूप हुई है। भारत अब धीरे-धीरे अपने ऊर्जा स्रोतों को रूस से हटाकर अमेरिका की ओर शिफ्ट कर रहा है। हालांकि अमेरिका का हिस्सा भारत के कुल आयात में अभी भी 5 से 7 प्रतिशत ही है, लेकिन इसमें तेज़ी से वृद्धि हो रही है। यह 2022 के बाद अमेरिकी कच्चे तेल के लिए भारत का सबसे बड़ा ऑर्डर है — जो वैश्विक तेल राजनीति में भारत की नई रणनीति का संकेत देता है।

रूस पर प्रतिबंध और भारत की रणनीति/India Shifts Oil Strategy
अमेरिका (America) और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के चलते भारत अब अपने तेल आयात पोर्टफोलियो (Portfolio) में डाइवर्सिफिकेशन की नीति अपना रहा है। पहले रूस से भारत का तेल आयात कुल इंपोर्ट का 35 से 40 प्रतिशत था, जो अब घट रहा है। भारत की सरकारी कंपनी BPCL समेत कई तेल कंपनियां अब वैकल्पिक सप्लाई स्रोत खोज रही हैं। अमेरिका के दबाव और वैश्विक अस्थिरता को देखते हुए भारत ने रूसी कंपनियों के साथ अपने अनुबंधों की समीक्षा शुरू कर दी है। व्हाइट हाउस के मुताबिक, भारत ने राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर रूस से तेल आयात घटाया है — जिससे अमेरिका की डिप्लोमैटिक रणनीति को सीधी सफलता मिली है।
अमेरिकी तेल पर दौड़ता भारत का ग्रोथ इंजन
अक्टूबर के अंत तक भारत का अमेरिकी तेल आयात 5.75 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है। नवंबर में यह आँकड़ा 4 से 4.5 लाख बैरल प्रतिदिन रहने की उम्मीद है। यह पहले के औसत 3 लाख बैरल प्रतिदिन से लगभग दोगुनी वृद्धि है। हालांकि रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल सप्लायर बना हुआ है, जिससे भारत अपने कुल आयात का करीब एक-तिहाई तेल मंगाता है। इसके बाद इराक और सऊदी अरब का स्थान आता है। यह इजाफा बताता है कि भारत केवल वैश्विक दबाव में नहीं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और सप्लाई स्थिरता के दीर्घकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अपने तेल स्रोतों का विस्तार कर रहा है।
IOC का रुख और टैरिफ टेरर की चोट
भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का पालन करेगी। इसका सीधा असर रूस की रोजनेफ्ट और लुकोइल कंपनियों से होने वाले आयात पर पड़ेगा, जो मिलकर भारत के कुल रूसी आयात का 21% हिस्सा थीं। इस बीच, ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाकर अमेरिकी व्यापारिक संबंधों को नई चुनौती दी है। अब कुल अमेरिकी टैरिफ भारत पर 50% तक पहुंच चुका है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इससे भारत का अमेरिकी निर्यात 37.5% तक घटा है। यानी तेल के मोर्चे पर भारत भले बढ़त ले रहा हो, लेकिन व्यापारिक संतुलन पर असर साफ दिख रहा है।










