India-US Trade Talks Deepen: भारत (Bharat) और अमेरिका (America) के बीच आर्थिक रिश्तों को नई दिशा मिलने वाली है। दोनों देशों के बीच एक अहम व्यापारिक समझौते की बातचीत तेज हो गई है, जिससे ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत पर लगने वाले 50% तक के टैरिफ (Up To 50% Tariffs) को घटाकर 15% करने पर चर्चा चल रही है, जबकि अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीद घटाए और उसकी जगह अमेरिकी मक्का-एथेनॉल जैसे उत्पादों की खरीद बढ़ाए। यह डील न सिर्फ व्यापारिक समीकरण बदल सकती है, बल्कि दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों में भी नई मजबूती ला सकती है। हालांकि, इसके साथ कई शर्तें और घरेलू चिंताएं भी जुड़ी हैं, जो इस बातचीत को दिलचस्प मोड़ पर ले आती हैं।
ऊर्जा और कृषि क्षेत्र पर केंद्रित बातचीत/India-US Trade Talks Deepen
भारत और अमेरिका (India And America) के बीच संभावित ट्रेड डील की नींव ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों पर रखी जा रही है। भारत फिलहाल अमेरिका से सालाना करीब 5 लाख टन मक्का आयात करता है, लेकिन अब इसकी मात्रा कई गुना बढ़ सकती है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद को धीरे-धीरे कम करे और इसके बदले अमेरिकी नॉन-जीएम मक्का व सोयामील के लिए बाजार खोले। भारत इस प्रस्ताव पर सहमति जताने से पहले घरेलू उद्योगों — खासकर पोल्ट्री, डेयरी और एथेनॉल — की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है, ताकि किसानों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान न हो।

पनीर और कृषि उत्पादों पर जारी विवाद
अमेरिका भारत से नॉन-जीएम मक्का (Non-GM maize) पर लगने वाले 15% कर को घटाने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत ने फिलहाल इस पर रियायत देने से इनकार किया है। इसके अलावा, अमेरिकी कंपनियां (American Companies) भारतीय बाजार में अपने प्रीमियम चीज़ और डेयरी उत्पाद, खासकर पनीर, को बेचने के लिए दबाव बना रही हैं। भारत ने इस प्रस्ताव पर सख्त रुख अपनाया है, क्योंकि देश में डेयरी सेक्टर लाखों किसानों की आजीविका का आधार है। कृषि उत्पादों को लेकर दोनों देशों के बीच यह खींचतान नई नहीं है, लेकिन इस बार ऊर्जा सुरक्षा और कच्चे तेल पर निर्भरता के मुद्दे से जुड़ने के कारण इसका असर व्यापक हो सकता है।
टैरिफ का इतिहास और मौजूदा स्थिति
अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिसे रूस से तेल खरीद के कारण पेनल्टी के रूप में बढ़ाकर कुल 50% कर दिया गया। इस बढ़े हुए कर से भारत के लगभग 85 हजार करोड़ रुपये के निर्यात पर असर पड़ा है। भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का करीब 34% रूस से और 10% अमेरिका से आयात करता है। अब चर्चा यह है कि टैरिफ को घटाकर 15% किया जा सकता है, जिससे व्यापारिक संतुलन सुधरने की उम्मीद है। यह कदम न केवल आयात-निर्यात को सुगम बनाएगा बल्कि भारत के लिए अमेरिकी बाजार में नई संभावनाएं भी खोलेगा।
द्विपक्षीय लक्ष्य और संभावनाएं
भारत और अमेरिका (India And America) ने 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जुलाई 2025 के बीच भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर पहुंच गया है, जबकि आयात 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर हो गया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। हालांकि, पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल का मानना है कि ट्रंप प्रशासन का सख्त रवैया समझौते को चुनौतीपूर्ण बना सकता है। फिर भी, दोनों देशों के साझा हित और रणनीतिक प्राथमिकताएं इस संभावित डील को “गेम-चेंजर” बना सकती हैं।










