Karwa Chauth fast in Raebareli : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में करवा चौथ का पर्व बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। शहर से लेकर गांव तक सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखा। इस पावन पर्व पर महिलाओं ने परंपराओं का पालन करते हुए चांद को देखकर और अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का समापन किया। जिले में रात करीब 8:30 बजे चंद्र देव के दर्शन के साथ महिलाओं ने अपनी पूजा-अर्चना पूरी की और व्रत तोड़ा।
करवा चौथ की पूजा और परंपराएं

करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत शुरू करती हैं और चांद निकलने तक निर्जला उपवास रखती हैं। रायबरेली में महिलाओं ने सुबह से ही पूजा की तैयारियां शुरू कर दी थीं। घरों को सजाया गया, पूजा स्थल पर करवे (मिट्टी के बर्तन) रखे गए, और माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी और करवा माता की पूजा की गई। शाम को महिलाएं एकत्रित हुईं और करवा चौथ की कथा सुनीं। इसके बाद चांद को अर्घ्य देकर और छलनी से अपने पति का चेहरा देखकर व्रत खोला गया।
पौराणिक कथाओं में करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का व्रत पौराणिक कथाओं और मान्यताओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। एक कथा के अनुसार, जब देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा था, तब ब्रह्मा जी ने देवों की पत्नियों को कार्तिक मास की चतुर्थी को व्रत रखने की सलाह दी थी। इस व्रत के प्रभाव से देवताओं की विजय हुई, और तभी से करवा चौथ का व्रत प्रचलित हो गया।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था, जिसके प्रभाव से उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। महाभारत में भी इस व्रत का उल्लेख मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अर्जुन की रक्षा के लिए इस व्रत को करने की सलाह दी थी, जिसके परिणामस्वरूप पांडवों को संकटों से मुक्ति मिली।
सबसे प्रचलित कथाओं में से एक करवा नामक पतिव्रता स्त्री की कहानी है। कथा के अनुसार, करवा के पति की मृत्यु हो गई थी, लेकिन उसने अपनी भक्ति और कठोर तपस्या से अपने पति को जीवनदान प्राप्त किया। यह कथा करवा चौथ के व्रत की ताकत और पति-पत्नी के अटूट प्रेम को दर्शाती है।
रायबरेली में उत्साह और श्रद्धा का माहौल
रायबरेली में करवा चौथ का पर्व सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से मनाया गया। कई जगहों पर महिलाएं समूह में इकट्ठा हुईं और कथाएं सुनकर पूजा की। बाजारों में मेहंदी, चूड़ियां, और पूजा सामग्री की दुकानों पर भीड़ देखी गई। युवा पीढ़ी ने भी इस पर्व को उत्साह के साथ मनाया, जिसमें कई नवविवाहित जोड़ों ने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा।
महिलाओं का कहना था कि यह व्रत न केवल उनके पति की लंबी उम्र के लिए है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को और मजबूत करता है। कुछ महिलाओं ने बताया कि वे इस दिन को एक उत्सव की तरह मनाती हैं, जिसमें वे सज-संवरकर और नए परिधानों में अपने पति के साथ इस खास पल को साझा करती हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
करवा चौथ का पर्व भारतीय संस्कृति में महिलाओं की भक्ति और पतिव्रता धर्म का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह परिवार और सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है। रायबरेली में इस पर्व ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एकजुटता का माहौल बनाया।
करवा चौथ का यह पर्व रायबरेली में परंपराओं और आधुनिकता के सुंदर संगम के साथ मनाया गया। महिलाओं ने अपने पति के प्रति प्रेम और समर्पण के साथ इस व्रत को पूर्ण किया, और चांद की रोशनी में उनके चेहरों पर संतुष्टि और खुशी साफ झलक रही थी।