Raebareli News: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के सदर तहसील क्षेत्र अंतर्गत राही बाजार में सुल्तानपुर रोड पर चल रहे हाईवे मरम्मत कार्य ने स्थानीय निवासियों के लिए नया संकट खड़ा कर दिया है। मशीनों से सड़क की खुदाई के दौरान उड़ रही भारी मात्रा में धूल और डस्ट ने आसपास के ग्रामीणों की जिंदगी को दूभर बना दिया है। काली डामर की धूल लोगों के गले में अटककर सांस संबंधी बीमारियां पैदा कर रही है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। आक्रोशित ग्रामीणों ने ठेकेदार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कार्य को जबरन रुकवा दिया। उन्होंने नियमों के अनुसार पानी का छिड़काव कर धूल नियंत्रण करने और मानक के अनुरूप कार्य कराने की मांग की है।
राही बाजार से सटे सुल्तानपुर रोड पर पिछले कुछ दिनों से हाईवे विभाग द्वारा सड़क की मरम्मत का कार्य चल रहा है। यह सड़क रायबरेली को सुल्तानपुर और आसपास के जिलों से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण धमनी है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों वाहन गुजरते हैं। मरम्मत के लिए मशीनों से सड़क की खुदाई की जा रही है, लेकिन ठेकेदार द्वारा बिना पानी के छिड़काव के कार्य किया जा रहा है। इससे खुदाई के दौरान मिट्टी, गिट्टी और डामर की काली धूल हवा में उड़ रही है, जो आसपास के घरों, दुकानों और खेतों तक पहुंच रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह धूल इतनी घनी है कि दोपहर के समय दृश्यता भी कम हो जाती है, और सड़क पर वाहनों के गुजरने से स्थिति और बिगड़ जाती है।

स्वास्थ्य पर गहरा असर: गले में फंस रही डामर की धूल
स्थानीय लोगों ने बताया कि धूल के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया है। गले में खराश, खांसी, छींक और आंखों में जलन जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। खासकर डामर की काली धूल फेफड़ों तक पहुंचकर गंभीर बीमारियां उत्पन्न कर रही है। एक बुजुर्ग निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमारे घरों में धूल घुस आती है, खाना बनाना और सोना भी दूभर हो गया है। बच्चे स्कूल जाने से डर रहे हैं।” इसी तरह, एक महिला ने शिकायत की कि “गिट्टी उखाड़ने से सड़क पर गड्ढे बन गए हैं, जिनमें फिसलकर लोग गिर रहे हैं। कल ही एक युवक चोटिल हो गया।”
यह समस्या राही ब्लॉक क्षेत्र में पहले से ही व्याप्त है। मार्च 2025 में दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, राही के मधुबन मार्केट से रेलवे क्रॉसिंग तक का मुख्य मार्ग तीन वर्षों से जर्जर पड़ा है, जिससे धूल और कीचड़ की समस्या बनी हुई है। व्यापारियों ने तब भी स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब हाईवे मरम्मत से यह समस्या और गंभीर हो गई है।
ग्रामीणों का उग्र विरोध: ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप
आक्रोशित ग्रामीणों ने मंगलवार को सड़क पर जाकर ठेकेदार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। स्थानीय ग्राम प्रधान राजीव कुमार जायसवाल ने नेतृत्व किया, जिनके साथ अमन कुमार जायसवाल, राज जायसवाल समेत दर्जनों ग्रामीण शामिल हुए। उन्होंने ठेकेदार पर “मां-बहन वाली” गालियां देकर कार्य करने का आरोप लगाया और कहा कि बिना पर्यावरण मानकों का पालन किए कार्य चल रहा है। ग्रामीणों ने मशीनों को रोक दिया और कार्य स्थल पर धरना दे दिया। उन्होंने नारे लगाए, “धूल बंद करो, स्वास्थ्य बचाओ!” और “नियम अनुसार काम कराओ, वरना आंदोलन तेज होगा!”
ग्राम प्रधान राजीव कुमार जायसवाल ने कहा, “ठेकेदार पानी का छिड़काव करने के बजाय लापरवाही बरत रहा है। हमने पुलिस को सूचना दी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही। सड़क पर उखड़ी गिट्टी से दुर्घटनाएं हो रही हैं। अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो हम जिला प्रशासन तक पहुंचेंगे।” अमन कुमार जायसवाल ने बताया कि विरोध के दौरान ठेकेदार के कर्मचारियों ने ग्रामीणों को धमकाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ के आगे झुकना पड़ा।
पुलिस और प्रशासन की चुप्पी: क्या होगा आगे?
ग्रामीणों ने मामले की सूचना सदर थाने को दी है, लेकिन पुलिस का कोई प्रतिनिधि अभी तक घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। हाईवे विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क निर्माण के दौरान धूल नियंत्रण के लिए पर्यावरण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार पानी का नियमित छिड़काव अनिवार्य है, लेकिन यहां इसका पालन नहीं हो रहा। रायबरेली जिले में पहले भी सड़क मरम्मत को लेकर ऐसे विवाद हुए हैं, जैसे ऊंचाहार क्षेत्र में हाल ही में चोर समझकर एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या का मामला, जो सड़क सुरक्षा की कमजोरी को उजागर करता है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर 48 घंटों के अंदर ठेकेदार द्वारा पानी का छिड़काव शुरू नहीं किया गया और कार्य मानक के अनुसार नहीं चला, तो वे बड़े स्तर पर धरना और रोड ब्लॉक करेंगे। जिला प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह तत्काल हस्तक्षेप कर मामले का समाधान निकाले, ताकि मरम्मत कार्य जारी रहे लेकिन ग्रामीणों का स्वास्थ्य सुरक्षित हो। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे जिले में सड़क निर्माण की गुणवत्ता और पर्यावरण सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है।