Russia Sanctions Impact on India: भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर (Electronic Sector) इन दिनों तेज़ी से बुलंदियों पर है लेकिन इसी बीच एक नया आर्थिक सवाल खड़ा हो गया है। अमेरिका द्वारा रूसी तेल कंपनियों पर लगाए गए ताज़ा प्रतिबंधों ने भारत के ऊर्जा व्यापार को झटका दिया है। अब चर्चाओं का केंद्र यह है कि क्या इन प्रतिबंधों का असर भारत के कुल निर्यात ढांचे पर पड़ेगा? हालांकि सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन पेट्रोलियम निर्यात में आई गिरावट ने संतुलन को चुनौती दी है। क्या भारत का एक्सपोर्ट पोर्टफोलियो अब स्थायी रूप से बदलने जा रहा है? आइए जानते हैं…
रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंध का असर/Russia Sanctions Impact on India
अमेरिका (America) ने हाल ही में रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों — रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil)— पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इससे भारतीय रिफाइनरियों (Indian Refineries) के लिए रियायती दरों पर रूसी कच्चा तेल खरीदना मुश्किल हो गया है। पहले जहां रूसी तेल भारत के पेट्रोलियम एक्सपोर्ट का बड़ा आधार था, वहीं अब यह सप्लाई चैन कमजोर पड़ गई है। इस प्रतिबंध का सीधा असर भारत के पेट्रोलियम निर्यात पर पड़ा है, जो पहले देश की दूसरी सबसे बड़ी एक्सपोर्ट कैटेगरी थी। अब इसमें तेज़ गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट तेजी से आगे बढ़कर उस खाली जगह को भरता दिखाई दे रहा है, जो ऊर्जा क्षेत्र में बनी है।

iPhone बना भारत के एक्सपोर्ट का सितारा
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की शुरुआती छह महीनों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 42% की वृद्धि के साथ 22.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान एप्पल के iPhone का रहा, जिसने कुल निर्यात का लगभग आधा हिस्सा संभाला। भारत में एप्पल के मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स — फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन — अपने प्रोडक्शन यूनिट्स का तेजी से विस्तार कर रहे हैं। एप्पल अब भारत को न सिर्फ एक उत्पादन केंद्र बल्कि एक वैश्विक एक्सपोर्ट हब के रूप में देख रहा है। यह भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री के लिए ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट की नई उड़ान
कुछ वर्षों पहले तक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात (Electronics Exports) भारत की टॉप-10 कैटेगरी में सातवें स्थान पर था। लेकिन अब यह तेजी से ऊपर चढ़ते हुए 2025 में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, जेम्स-एंड-जूलरी और केमिकल्स जैसे पारंपरिक क्षेत्रों को पीछे छोड़ते हुए। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही रफ्तार बनी रही, तो अगले दो वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर इंजीनियरिंग गुड्स के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्ट सेक्टर बन सकता है। सरकार की “मेक इन इंडिया” (Make In India) और “प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)” योजनाएं इस उछाल की रीढ़ मानी जा रही हैं, जिन्होंने घरेलू निर्माण को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के स्तर तक पहुंचाया है।
पेट्रोलियम एक्सपोर्ट की गिरावट और संतुलन की चुनौती
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2023 में जहां पेट्रोलियम उत्पादों का एक्सपोर्ट 97.4 अरब डॉलर था, वहीं 2025 में यह घटकर 63.3 अरब डॉलर रह गया। यह लगभग 35% की गिरावट है। इसी अवधि में इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट 23.5 अरब डॉलर से बढ़कर 38.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया— यानी भारत के निर्यात संतुलन में एक स्पष्ट बदलाव देखा जा रहा है। हालांकि इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स अभी भी 59.3 अरब डॉलर के साथ शीर्ष पर हैं, पर अब इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर तेजी से दूसरा स्थान हासिल करने की दिशा में अग्रसर है। भारत के लिए अब चुनौती यह है कि वह इस गति को बनाए रखे, ताकि तेल बाजार की अनिश्चितता उसके निर्यात ग्रोथ पर असर न डाल सके।










