Social Media Faces Strict Rules: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बन रहे डीपफेक वीडियो (Deep Fake Videos) और सिंथेटिक कंटेंट ने भारत में चिंता की लहर पैदा कर दी है। ऐसे वीडियो और सामग्री जो वास्तविकता से अलग हैं, सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं और लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार अब सख्त कदम उठाने जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने IT नियमों में बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका उद्देश्य यूजर्स को सचेत करना और प्लेटफॉर्म्स पर जिम्मेदारी तय करना है। आइए जानते हैं क्या है पूरी खबर—
IT नियमों में बदलाव का प्रस्ताव/Social Media Faces Strict Rules
केंद्र सरकार ने डीपफेक (Deep Fake Videos) और अन्य AI-जनरेटेड सामग्री (AI-generated Content) से उत्पन्न होने वाले खतरों को रोकने के लिए IT नियमों में संशोधन का मसौदा तैयार किया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसका प्रस्ताव पेश किया है। इसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई भी सिंथेटिक या डीपफेक सामग्री बिना पहचान के न फैले। नए नियमों का उद्देश्य यूजर्स को वास्तविक और सिंथेटिक सामग्री में फर्क समझाना है। इसके लिए प्लेटफॉर्म्स को सभी AI-जनरेटेड सामग्री पर स्पष्ट लेबल लगाने होंगे। ये लेबल वीडियो की स्क्रीन के कम से कम 10% हिस्से या ऑडियो क्लिप के पहले 10% हिस्से को कवर करेंगे। इन मार्करों को प्लेटफॉर्म हटाने या बदलने में सक्षम नहीं होंगे।

बड़े प्लेटफॉर्म्स के लिए जिम्मेदारी
50 लाख से अधिक यूजर्स वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नए नियमों के तहत विशेष जिम्मेदारी होगी। उन्हें यूजर्स से पूछना होगा कि वे जो सामग्री अपलोड कर रहे हैं, वह वास्तविक है या सिंथेटिक। यदि किसी सामग्री के सिंथेटिक होने का दावा किया जाता है, तो प्लेटफॉर्म को उसका सत्यापन करना होगा और उस पर स्पष्ट लेबल लगाना होगा। ये कदम यूजर्स को सही जानकारी देने और गलत सामग्री से बचाने के उद्देश्य से उठाए जा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा है कि नियमों का पालन करने वाले प्लेटफॉर्म को कानूनी सुरक्षा भी मिलेगी। यदि प्लेटफॉर्म शिकायत या उचित प्रयासों के आधार पर सिंथेटिक सामग्री को हटाता है या ब्लॉक करता है, तो वह सुरक्षित रहेगा।
प्रतिक्रिया देने की समय सीमा और उद्देश्य
IT नियमों में प्रस्तावित बदलावों पर जनता और हितधारकों की प्रतिक्रिया 6 नवंबर तक मांगी गई है। मंत्रालय ने बताया कि इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को जागरूक करना, जवाबदेही बढ़ाना और प्लेटफॉर्म्स पर नियमन सुनिश्चित करना है। साथ ही, इसका उद्देश्य सिंथेटिक सामग्री की पहचान में सुधार करना और AI आधारित नवाचार को बढ़ावा देना है। यह कदम डिजिटल दुनिया में बढ़ते फर्जी और डीपफेक कंटेंट के खतरे को कम करने के लिए उठाया गया है। प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देने के बाद ही अंतिम नियमों को लागू किया जाएगा, जिससे भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैलने वाली गलत और भ्रमित करने वाली सामग्री पर नियंत्रण स्थापित किया जा सके।
जनरेटिव AI और बढ़ते जोखिम (150 words)
यह मसौदा ऐसे समय आया है जब जनरेटिव AI उपकरण तेजी से फैल रहे हैं। इन उपकरणों की मदद से गलत सूचना, छद्म पहचान, चुनाव में हस्तक्षेप और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे खतरे बढ़ रहे हैं। भारत और अन्य देशों में नीति-निर्माता इस बात को लेकर गंभीर हैं कि AI-जनरेटेड मीडिया का दुरुपयोग फर्जी खबरों, धोखाधड़ी या गैर-सहमति वाली सामग्री के लिए किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की सामग्री को फैलने से रोका जाए और उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित और सही जानकारी मिले। इस कदम से यह भी सुनिश्चित होगा कि AI तकनीक का दुरुपयोग कम से कम हो और इसका सकारात्मक उपयोग बढ़े, जिससे नवाचार और सुरक्षा दोनों को संतुलित किया जा सके।










