Trump Fails to Sway Putin: रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच 2022 से जारी जंग को खत्म कराने की कोशिशें अब तक नाकाम साबित हुई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने इस साल कई बार पहल की — कभी बातचीत का रास्ता अपनाया, तो कभी आर्थिक दबाव का। लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) अपने रुख से ज़रा भी नहीं डिगे। हाल ही में ट्रंप ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाते हुए अपनी रणनीति में सख़्ती दिखाई है। बावजूद इसके, शांति की उम्मीदें और भी धुंधली होती नज़र आ रही हैं। आइए जानते हैं, आखिर क्यों अमेरिका की हर कोशिश बेअसर साबित हो रही है।
बिगड़ते रिश्तों की नई झलक/Trump Fails to Sway Putin
वॉशिंगटन (Washington) में ट्रंप प्रशासन ने पिछले हफ्ते रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों— रोजनेफ्ट और लुकॉयल— पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने बुडापेस्ट में पुतिन के साथ प्रस्तावित बैठक को भी अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया। यह संकेत है कि अमेरिका-रूस संबंध अब एक बार फिर तनाव के दौर में प्रवेश कर चुके हैं। ट्रंप ने बयान दिया कि “जब भी मैं व्लादिमीर से मिलता हूं, बातचीत अच्छी होती है, लेकिन कहीं पहुंचती नहीं।” यह स्पष्ट करता है कि इस बार अमेरिका ने पुतिन की रणनीति और वास्तविक हालात को भांपते हुए सीधे कदम उठाने का फैसला किया है, जिससे वह पहले तक बचते रहे थे।

अलास्का में उम्मीदें और उनका अंत
अगस्त में जब ट्रंप (Donald Trump) ने अलास्का (Alaska) में पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया था, तब यह संकेत मिला था कि दोनों देश कूटनीतिक रूप से करीब आ सकते हैं। ऐसा लगा कि अमेरिका यूक्रेन को कुछ समय के लिए दरकिनार कर रूस से सीधे वार्ता कर सकता है। हालांकि, यह रणनीति यूक्रेन और यूरोपीय सहयोगियों के लिए चिंता का कारण बनी। बातचीत में ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर शांति प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी तो इसके “गंभीर परिणाम” होंगे। लेकिन इस मुलाकात में न कोई समझौता हुआ, न ही युद्धविराम की घोषणा। पुतिन अपने पुराने रुख पर अडिग रहे, जिससे वार्ता एक बार फिर निष्फल साबित हुई।
हर कूटनीतिक रास्ता आजमाया गया
ट्रंप (Donald Trump) प्रशासन ने संघर्ष को रोकने के लिए लगभग सभी विकल्पों को आजमाया। एक ओर यूक्रेन को लंबी दूरी की टॉमहॉक मिसाइलें देने की चर्चा चल रही थी, तो दूसरी ओर रूस को मनाने के लिए कूटनीतिक प्रयास भी जारी थे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो (Marco Rubio) और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) की बैठक में रूस ने साफ कहा कि वह सिर्फ युद्धविराम नहीं बल्कि एक ऐसा समझौता चाहता है जिसमें “युद्ध के कारणों” का हल निकले। लेकिन यह संवाद भी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाया। अमेरिकी पक्ष निराशा में लौट आया और पुतिन ने कोई नरमी नहीं दिखाई।
प्रतिबंधों के बाद भी रूस का सख्त रुख
जब सभी प्रयास विफल रहे, तो अमेरिका ने कठोर कदम उठाते हुए रूस की ऊर्जा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए। यूरोप ने भी रूस से एलएनजी (LNG) आयात पर रोक लगाने का निर्णय लिया। इसके जवाब में रूस ने कहा कि वह पश्चिमी प्रतिबंधों के खिलाफ “मजबूत प्रतिरोध” विकसित कर चुका है और अब आत्मनिर्भरता के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। पुतिन सरकार का दावा है कि उसकी अर्थव्यवस्था और ऊर्जा क्षेत्र पहले से अधिक मज़बूत हो रहे हैं। स्पष्ट है कि इस संघर्ष में न तो अमेरिका की रणनीति काम आ रही है, न रूस की जिद टूट रही है– और यूक्रेन युद्ध का अंत अभी दूर दिखाई देता है।










