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रायबरेली : अनुष्का के प्रयासों से दौड़ने लगी देवांश

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दिव्यास सिंह के घर दो साल पूर्व पहले बच्चे के रूप में जब देवांश सिंह का जन्म हुआ, तो समूचे घर में खुशियाँ बिखर गईं। लेकिन जब नर्स ने बताया कि नवजात के दोनों पैर मुड़े हुए हैं। दिव्यास सिंह की खुशियों को ग्रहण लग गया, लेकिन सूचना पाते ही सीएचसी बेलाभेला पर तैनात राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम(आरबीएसके)की टीम के चिकित्सकों ने परिवार से संपर्क कर नवजात की जांच की और परिवार को ढांढस बंधाते हुए बताया कि आपका बच्चा पूर्णतया ठीक हो सकता है, लेकिन उसका इलाज लंबा चलेगा । आरबीसके के चिकित्सकों ने सहमति के बाद माता पिता का संपर्क अनुष्का फाउंडेशन की टीम से करवाया। यहीं से शुरु हुई देवांश के इलाज की यात्रा, आज दो साल बाद देवांश सिंह ना सिर्फ चलता है बल्कि दौड़ता भी है। दिव्यास और नेहा भी बहुत खुश हैं, कहते हैं कि उसके इलाज में एक भी पैसा नहीं लगा। यह सरकारी अस्पताल एवं अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से मुमकिन हुआ है।

डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी)मैनेजर नितेश जयसवाल बताते हैं कि क्लब फुट जन्मजात विकृति है। जिससे कि हर 800 नवजात में से एक बच्चा प्रभावित होता है। देश में हर साल 33,000 बच्चे इस विकृती के साथ पैदा होते हैं।

रायबरेली सहित पूरे प्रदेश में आरबीसके के साथ स्वयंसेवी संस्था अनुष्का फाउंडेशन फॉर एलिमिनेटिंग क्लबफुट पिछले पाँच साल से काम कर रही है। जनपद में अभी तक क्लब फुट से पीड़ित 212 से भी अधिक बच्चों का इलाज चल रहा है। पोन्सेटी पद्धति का इस्तेमाल करके क्लब फुट से पीड़ित सभी बच्चों का आसानी से उपचार किया जा सकता है। पोन्सेटी विधि एक न्यूनतम लागत की सर्वोत्तम प्रक्रिया है और पूर्णतः रूप से प्रभावी समाधान प्रदान करती है।

अनुष्का फाउंडेशन के जिला समन्वयक दिलीप धर दुबे बताते हैं कि अनुष्का फाउंडेशन एसबीआई के सीएसआर इनिशियेटिव के तहत रायबरेली में तथा सूबे के सभी 75 जिलों में क्लबफुट का निःशुल्क इलाज प्रदान करवा रहा है। अनुष्का फाउंडेशन का उद्देश्य जिला अस्पतालों में आर्थोपेडिक चिकित्सकों की क्षमता बढ़ाकर स्थानीय स्तर पर उपचार प्रदान करवाना है। उच्चतम गुणवत्ता वाले उपचार को सुनिश्चित करने के लिए अनुष्का फाउंडेशन द्वारा, चिकित्सकों को पोंसेटी पद्धति में प्रशिक्षित भी किया जाता है। अनुष्का फाउंडेशन क्लबफुट और इसके उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आरबीएसके, आशा कार्यकर्ताओं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों आदि के साथ मिलकर काम कर रहा है। जिला अस्पतालों में साप्ताहिक क्लबफुट क्लीनिक का संचालन कर पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाता है। जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डी एस अस्थाना ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत क्लब फुट जैसे 42 जन्मजात बीमारियों एवं दोषों की स्क्रीनिंग की जाती है जिससे कि जल्द से जल्द उचित एवं निःशुल्क उपचार प्राप्त कराया जा सके।

क्यों होता है क्लबफुट?
क्लब फुट क्यों होता है इसका कोई विशिष्ट कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान ड्रग्स का सेवन और धूम्रपान करने की वजह से नवजात में जन्मजात दोष होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसको लेकर यह भ्रांति है कि यह विकृति ग्रहण की वजह से होती है जबकि ऐसा नहीं है। यह विकृति माँ से बच्चे मे नहीं होती है।

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