दुगदा रेलवे साइडिंग में कोयला में की जा रही मिलावट व हेराफेरी का पर्दाफाश 28 अप्रैल को मुख्यालय पुलिस रांची द्वारा किया गया है। इससे इस साइडिंग की बदनामी हुई और कोल इंडिया की साख पर भी बट्टा लगा है। सही ढंग से जांच हुई तो इस अवैध धंधे में कई लोगों के नाम सामने आयेंगे। सीसीएल व बीसीसीएल की विभिन्न कोलियरियों से यहां प्लांटों के लिए उच्च गुणवत्ता का कोयला भेजा जाता है। मगर साइडिंग में कोयला में मिलावट कर दिया जाता था। मालूम हो कि देश के प्लांटों को कोल इंडिया से कोयला कम दर पर मिलता है। कोलियरियों से दुग्दा साइडिंग तक कोयला लाने का काम एजेंसियों को मिला हुआ है। इसके बाद यह कोयला रेलवे रैक के माध्यम से प्लांटों तक पहुंचता है। बीकेबी व आका लॉजिस्टिक कंपनियों का यह काम बताया जाता है। जहां कम दर पर मंगाये गये चारकोल, पत्थर या रिजेक्शन मिला दिया जाता और यही मिलावटी कोयला प्लांटों को भेज दिया जाता है। गुणवत्ता वाला कोयला बनारस की मंडियों में बेच दिया जाता था। कोयला के हेरफेरी के लिए दुगदा साइडिंग के आसपास कई कंपनियों के कोल डिपो बने है। सीसीएल व बीसीसीएल से उच्च गुणवत्ता वाला कोयला का उठाव कर उसे दुगदा साइडिंग तक पहुंचाना है।
साइडिंग में गुणवत्ता वाला कोयला का कुछ हिस्सा अलग रख कर उसकी जगह पर अन्य ग्रेट के कोयले मिला दिये जाते थे। बताते चले कि पांच वर्ष पूर्व कई कंपनियों का कोयला दुगदा साइडिंग से जाता था, मगर कोयला की गुणवत्ता खराब रहने के कारण इन्होंने यहां से कोयला लेना छोड़ दिया। इधर, दुगदा थाना प्रभारी द्वारा दर्ज किये गये मामले पर चंद्रपुरा सीओ एनके वर्मा ने संज्ञान लेते हुए डिपो संचालक से जमीन के कागजात मांगें हैं। लोगो की माने तो कोयले की इस गोरख धंधे की जांच अगर निष्पक्ष ढंग से हुई तो इससे जुड़े कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।