दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उस वक्त गिरफ्तार किया गया था। जब वह दिल्ली कुर्सी पर विराजमान थे। मुख्यमंत्री होते हुए भी गिरफ्तारी होना देश में सवालों की बरसात होने लगी और केंद्र की सरकार पर लोग गिरफ्तारी होने पर ठीकरा फोड़ने लगे शराब के मामले में ठोस सबूत के तहत ED ने गिरफ्तार किया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 10 मई 2024 दिन शुक्रवार को 1 जून तक जमानत पर रिहा किया गया है और 2 तारीख तक उन्हें कोर्ट में फिर सरेंडर करना पड़ेगा क्योंकि यहां सवाल यह उठ रहा है कि केजरीवाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर के क्या कविता और हेमंत सोरेन तथा अन्य नेता भी राहत पा सकते हैं क्या। केजरीवाल चीज तिकड़म से बाहर आए हैं। शायद कोई और ना राहत पाए
वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मुताबिक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को साधारण परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम जमानत पर रिहा किया है, क्योंकि एक राष्ट्रीय दल के संयोजक हैं तथा दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री भी हैं। कोर्ट ने देश की लोकसभा के लिए चल रहे आम चुनाव को लेकर अगले 5 साल तक का भविष्य मानते हुए जनता अगली सरकार चुनती है। इसके लिए आवश्यक है कि उसे सभी दलों की नीति और संभावित जनहित कार्यक्रमों और योजनाओं का पता रहे तब वाटर अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुन सके हालांकि केजरीवाल के इस खास दस्त भेजो के जाल में ना तो कविता और ना ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आप आए कि आरोपी अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का हवाला तो देंगे, लेकिन इसके आधार पर उन्हें राहत मिलने की संभावना बहुत कम दिख रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिहाई से गठबंधन में खुशी की लहर दौड़ गई है और मुख्यमंत्री को छुड़ाने के लिए उनकी पत्नी खुद तिहाड़ जेल पहुंची है रिसीव करने के लिए।