मजदूर विरोधी नीतियों से बाज आये सीसीएल प्रबंधन
मामला प्रबंधन द्वारा कोलियरी के मशीनों को बाहर भेजने से रोकने का
पिछले कुछ दिनों से सीसीएल कथारा प्रक्षेत्र के जारंगडीह परियोजना से प्रबंधन द्वारा कोलियरी के मशीनों को बाहर भेजने से रोकने के लिए सीसीएल प्रबंधन और मजदूर यूनियन आमने सामने दिख रहे हैं। इसको लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियन द्वारा अनेको बैठकों व सीसीएल कथारा जीएम कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन व ज्ञापन भी सौपा गया मगर सीसीएल प्रबंधन मशीनों को अनियंत्र भेजने पर अड़ी है। इसी मामले को लेकर शनिवार को जारंगडीह खुले खदान कैन्टीन परिसर में संयुक्त मोर्चा द्वारा पिट मिटिंग सह सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता राजकुमार मंडल तथा संचालन मो नेजाम अंसारी द्वारा किया गया । इस बैठक में सभी श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों के अलावे सैकड़ों की संख्या में जारंगडीह कोलियरी में कार्यरत मजदूर व कर्मचारी शामिल थे। मौके पर वक्ताओं ने बोलते हुए कहा कि बीते दिनों सीसीएल जारंगडीह प्रबंधन जारंगडीह खदान से सावेल मशीन को हटाने और दुसरे अन्य कोलियरी मे भेजने की परियोजना बना रहे थे जिसकी भनक वहां कार्यरत मजदूरो को हुई और मजदूरों ने चट्टानी एकता का परिचय देते हुए सीसीएल प्रबंधन के इस मंसूबे को नाकाम कर दिया जिस कारण मशीन सीसीएल प्रबंधन वहां से नही हटा सकी। इस बात की जानकारी जैसे ही क्षेत्र सभी श्रमिक संगठन को हुई सभी जारंगडीह खुले खदान परिसर पहुच मजदूरों के साथ बैठक की। वक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सीसीएल जारंगडीह परियोजना को प्रबंधन पुरी तरह आउटसोर्सिंग के हाथों सौपना चाहती है पहले कोलियरी से मशीनों को हटाया जायेगा, उसके बाद सीसीएल कर्मियों को यहां से कही किसी दुसरे कोलियरी मे भेज दिया जायेगा। कहा कि मगर संयुक्त मोर्चा ऐसा कतई नहीं होने देगी इसके लिए पहले कथारा जीएम से बात की जायेगी और उसके बाद सीसीएल सीएमडी से भी एक प्रतिनिधिमंडल मिल कर इस मुद्दे को उठायेंगे। संयुक्त मोर्चा के मजदूरों से कहा कि अगर जारंगडीह परियोजना को बचाना है, तो आपको एक जुट रह कर अपनी एकता का परिचय देना ही होगा। मौके पर उपरोक्त नेताओं के अलावे रामदास केवट, अजय रविदास, नेमचन्द मंडल, जितेंद्र पासवान, बसंत ओझा, मुकेश महली, तुलसी साव, केदारनाथ, मनु गंझू, प्रकाश गुप्ता, मो युनूस, सपना राम, लक्ष्मण तूरी, लालू श्याम, दयाल दास, महेश सोरेन, अजय महतो, जलेश्वर मांझी, सहित सैकड़ों की संख्या में कामगार, मजदूर व कर्मचारीगण शामिल थे।