देश में एक निशान, एक विधान, एक प्रधान के पक्षधर थे : बाटुल
श्यामा प्रसाद मुखर्जी अनुच्छेद 370 का काफी विरोध किया था : दिनेश
करगली स्थित पूर्व जिला अध्यक्ष बिनोद महतो के कार्यालय में फुसरो नगर समिति के द्वारा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया गया। इसकी अध्यक्षता नगर अध्यक्ष दिनेश यादव व संचालन महामंत्री रमेश स्वर्णकार ने किया। यहॉ लोगो ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्प चढ़ा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। मुख्य रूप से मौजूद बेरमो के पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल ने कहा कि एक निशान, एक विधान, एक प्रधान के प्रणेता, राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रबल समर्थक, प्रखर राष्ट्रवादी, जनसंघ के संस्थापक व भाजपा कार्यकर्ताओं के पथ प्रदर्शक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का राष्ट्र निर्माण में उनका अभूतपूर्व और स्मरणीय योगदान हम सभी के लिए हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी अपने विचारों को बिना किसी डर के प्रकट करते थे, जो इनको देश की भलाई के विरुद्ध कार्य लगता था उसके खिलाफ हमेशा आवाज उठाते थे। लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए ही इन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन किया था। पूर्व जिला अध्यक्ष बिनोद महतो व जगरनाथ राम ने कहा कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के पर्याय डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भारतीय राजनीति से गहरा नाता हुआ करता था’ इन्हें इनकी अलग विचारधारा के लिए जाना जाता था। इन्होंने हमेशा से ही हिंदुत्व की रक्षा करने के लिए अपनी आवाज उठाई थी। इन्होंने अनुच्छेद 370 का काफी विरोध भी किया था।
जिला उपाध्यक्ष अर्चना सिंह व वरीय नेता मधुसूदन सिंह ने कहा कि नए भारत को ज्ञान महाशक्ति और 21वीं सदी का विश्वगुरु बनाने के मोदी सरकार के लक्ष्य में डॉ. मुखर्जी की दृष्टि एक मार्गदर्शक की तरह है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख विकास के रास्ते पर तेजी से चल पड़े हैं। बताया कि मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल की मूल अवधारणा ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों से प्रेरित है। नगर अध्यक्ष दिनेश यादव ने कहा कि यह उचित होगा कि हम न सिर्फ स्वयं के लिए, बल्कि आगामी पीढ़ी के लिए भी उनके विचारों को प्रेरणा के रूप में ग्रहण करें। उनके प्रयासों को कभी भूलाया नहीं जा सकता. डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी एक सच्चे राष्ट्रभक्त और राष्ट्रनेता थे. भारतीय हिन्दू संस्कृति में उनकी अटूट आस्था थी। यह कहना बिलकुल गलत होगा कि वे अन्य सम्प्रदाय व जाति के विरोधी थे। वे सच्चे भारतीय थे. भारतीयता की रक्षा ही उनके जीवन का सिद्धान्त था। जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिए थे।
मौके पर कृष्ण कुमार, धनेश्वर महतो, टुनटुन तिवारी, मदन गुप्ता, अनिल गुप्ता, मनोज चंद्रवंशी, संत सिंह, मूलचंद खुराना, श्रीकांत सिंह यादव, चंदन राम, महेंद्र सिंह, आशुतोष सिन्हा, नवल किशोर सिंह, गीता देवी, विष्णु विश्वकर्मा, शशि भूषण शर्मा आदि लोग मौजूद थे। इधर अंगवाली के आम बगान स्थित विवाह मंडप भवन में मंडल अध्यक्ष सचिन मिश्रा के अध्यक्षता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि बलिदान दिवस के रूप में मनाई गई। मौके पर संजय कपरदार, संदीप मिश्रा, विक्रम मिश्रा, प्रकाश मिश्रा, भूषण महली, परमेशवर रजवार, मुन्ना रजवार, गुड्ड रजवार, मिथिलेश मिश्रा, अनन्त कुमार, शिवम, नवीन सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।