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विकास प्राधिकरण के एक्शियन व जेई की मिली भगत से भ्रष्टाचार चरम पर, बन रही मानक के विपरीत बिल्डिंगे

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रायबरेली शहर में अवैध अतिक्रमण पर सीएम योगी का बुलडोजर नही चल रहा है। वहीं रायबरेली में आरडीए के जेईयों की शह पर अवैध बिल्डिंगें लगातार बनती जा रही हैं। मानक विहीन बन रही बिल्डिंगों का न तो नक्शा है और ना ही पार्किंग की कोई समुचित व्यवस्था सैकड़ों बिल्डिंगें ऐसी है जो अभी भी निर्माणाधीन है जिस पर आरडीए के जेई और अधिकारियों की मौन स्वीकृति बनी रहती है।

आखिर ऐसी कौन सी है मजबूरी जो विभाग कार्रवाई से बना रहा है दूरी

शहर में हजारों बिल्डिंगें ऐसी हैं जिनका रायबरेली विकास प्राधिकरण से या तो नक्शा नहीं पास है। अगर कुछ बिल्डिंग का नक्शा पास भी है तो वह भी आवासीय में लेकिन वर्तमान समय में सैकड़ों बिल्डिंगें ऐसी हैं जो निर्माणाधीन है जिस पर काम चल रहा है वह पूरी तरह मानक विहीन है। शहर के जहानाबाद चौकी, कहारों का अड्डा, मनिका सिनेमा के पास सहित अन्य जगहों पर लगातार बिल्डरों द्वारा कई मंजिला बिल्डिंग का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन उन बिल्डिंगों का नक्शा पास नहीं है। अगर नक्शा पास भी है तो आवासीय में जो बिल्डिंग बन रही है। वह पूरी तरह मानक विहीन है ना तो पार्किंग की व्यवस्था है और ना ही आग लगने पर अग्निशमन की गाड़ियों के जाने और खड़े होने की। इतना ही नहीं अन्य मानको पर भी यह बिल्डिंग खरी नहीं उतर रही है। अगर कहीं से कोई बड़ी शिकायत करता है, तो रायबरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारी मौके पर पहुंचकर नोटिस देकर मामले की खत्म कर देते हैं। नोटिस रिसीव करने के बावजूद भी बिल्डर अपनी बिल्डिंग में काम करवाते रहते हैं। जिसमें रायबरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की पूरी मौन स्वीकृति होती है।

मानकों के विपरीत बन रही इमारतें, आरडीए आ रहा सवालों के घेरे में

प्रदेश के अन्य जनपदों में प्रशासन का पीला पंजा अवैध अतिक्रमण पर लगातार चल रहा है, लेकिन वहीं रायबरेली की बात की जाए तो एक भी अवैध बिल्डिंग पर सीएम का बुलडोजर नहीं चला है। रायबरेली के प्रशासन द्वारा विकास प्राधिकरण इन बिल्डरों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। जबकि इन्हीं अवैध बिल्डिंग की वजह से शहर में जबरदस्त जाम और घटनाएं देखने को मिलती है।

धन से लद रहे हैं धनेश

रायबरेली विकास प्राधिकरण में तैनात जूनियर इंजीनियर धनेश की छवि विवादित है। जिस भी क्षेत्र में इनकी तैनाती होती है वहां पर अवैध बिल्डिंग की भरमार देखने को मिलती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब भी उनके क्षेत्र के किसी बिल्डिंग की खबर को कोई पत्रकार कवर करता है और उस खबर को विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराता है। जिसमे जांच का जिम्मा संबंधित क्षेत्र के जेई को दिया जाता है। जिसको तत्काल मौके पर जाकर निर्माण देखने को कहा जाता है। इसके बाद वो जेई संबंधित बिल्डर को फोन करता है और कहता है कि इस पत्रकार को जाकर मैनेज कर लीजिए क्योंकि मुझे भी अधिकारियों को जवाब देना पड़ेगा। इस तरह के मैनेजमेंट में धनेश जी को महारत हासिल है। मौजूदा समय में इनकी तैनाती मुंशीगंज क्षेत्र में है। जहां पर अखिल भारतीय आयुर्वेद विज्ञान संस्थान स्थापित है। एम्स के सामने मुख्य मार्ग पर एक नहीं कई सारी अवैध बिल्डिंगों का निर्माण कार्य जारी है जबकि वह पूरा क्षेत्र ग्रीन बेल्ट में आता है जहां पर ना तो नक्शा पास हो सकता है ना ही किसी इमारत को बनाने की परमिशन दी जा सकती है।

क्या कहना है एक्ससीएन एम मुस्तजब अहमद का..

जिस भी बिल्डिंग की सूचना प्राप्त हो रही है उन पर तत्काल संबंधित जेई को भेजा जा रहा है। जांच कराई जाती है और अगर अवैध पाया जाता है, तो उनकी सिलिंग की कार्रवाई भी की जा रही है आगे भी ऐसी कोई बिल्डिंग संज्ञान में आती है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।

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