मजदूर संगठनों ने कोल इंडिया द्वारा एमडीओ मॉडल और रेवेन्यू शेयरिंग के आधार पर कोयला उद्योग के संचालन के प्रस्ताव का विरोध करने की योजना बनाई है। एनसीओईए (सीटू) के महासचिव प्रदीप कुमार विश्वास ने स्वांग-गोविंदपुर फेस-2 में आयोजित पीट मीटिंग में कहा कि कोल इंडिया निजी पूंजीपतियों को कोयला उद्योग सौंपने की साजिश रच रही है, जिससे स्थाई मजदूरों की जरूरत खत्म हो जाएगी। कोयला उद्योग का मुनाफा केवल निजी कंपनियों तक सीमित रह जाएगा। उन्होंने कहा कि एमडीओ मॉडल के तहत कोलियरी के संसाधन आउटसोर्सिंग कंपनियों और निजी मालिकों को सौंपे जाएंगे, जो भारी मुनाफा कमाएंगे। रेवेन्यू शेयरिंग के आधार पर नई कोलियरी खुलने से उत्पादन और विक्रय का अधिकार निजी कंपनियों को मिलेगा। इसका विरोध करने के लिए मजदूरों, विस्थापितों और आसपास के ग्रामीणों को एकजुट होना होगा। सीटू नेता राकेश कुमार और गौतम राम ने कहा कि कोयला उद्योग और बाजार पर भारत सरकार का नियंत्रण होना चाहिए, लेकिन सरकार इसे निजी मालिकों को सौंपना चाहती है। इस पीट मीटिंग में बंगाली पासवान और प्रदीप पासवान ने भी संबोधित किया और दर्जनों लोग उपस्थित थे।