मातृभूमि सेवा मिशन रायबरेली इकाई के तत्वाधान में आयोजित राना बेनी माधव पार्क शहीद स्मारक में प्रातः दैनिक नि:शुल्क योग शिविर में गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती और वृक्षारोपण एवं वृक्ष वितरण का कार्यक्रम संपन्न।
“दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान। तुलसी दया न छाड़िए, जब लग घट में प्राण॥”
हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है। इन्हें सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक माना जाता है। इन्होंने श्री रामचरितमानस के साथ 12 महान ग्रंथों की रचना की थी इस साल तुलसीदास जी का 527 वां जन्मदिन मनाया जा रहा है।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने अनेक ग्रंथों की रचना की थी। जिसमें श्री रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, दोहावली, जानकी मंगल,हनुमान बाहुक आदि की रचना की थी। उन्हें एक सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में माना जाता है। तुलसीदास जी ने अपनी कई बातों के बारे में लिखा, जिनका पालन करके व्यक्ति सुरक्षित जीवन के साथ सुख-सौभाग्य के साथ रह सकता है।कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में हुआ था। जन्म के समय रोने के बदले उनके मुख से राम नाम निकला था। इसी के कारण उनका नाम रामबोला रख दिया गया था। बचपन में ही मां की मृत्यु हो जाने के बाद उनकी दासी चुनिया ने उनका लालन पालन किया था। लेकिन महज पांच साल की उम्र में उनका भी निधन हो गया था। उक्त बातें संस्था के संयोजक प्रदीप पांडेय ने कहीं।
ITI से सेवानिवृत असिस्टेंट इंजिनियर शशी त्रिपाठी ने योग शिविर में उपस्थित सभी साधकों को रामभक्त शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास के जन्म से लेकर उनके पूरे जीवन का वृतांत सुनाया और सामूहिक रूप से जय श्रीराम का उद्घोष भी कराया। संस्था द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों की सराहना भी किया एवं उज्ज्वल भविष्य की कामना भी किया। शशि त्रिपाठी को प्रदीप पांडेय के द्वारा तुलसी का पौधा भेंट किया गया।
योगाचार्य बृजमोहन ने कहा कि आज श्रीरामचरित मानस घर घर तक पहुंच गई है। उस महाकाव्य को रखने के साथ साथ प्रतिदिन अपने जीवन और आचरण में उतारने की जरूरत है। घर चलाने के लिए श्रीराम चरितमानस से सर्वश्रेष्ठ कोई ग्रंथ नही हो सकता जिसमे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, माता जानकी, भरत, लक्ष्मण, और छोटे भाई शत्रुघ्न, वीर हनुमान आदि सभी का पूरा जीवन वर्णित है।गोस्वामी तुलसीदास जी संस्कृत के विद्धान और हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। उन्होंने कई काव्यों महाकाव्यों की रचना की है परन्तु सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित श्री रामचरितमानस को मिली। जन-जन के कवि तुलसीदास जी की जयंती पर उन्हें शत-शत वंदन
उपस्थित साधक: नेहा बाजपेई, काव्या,आरती, शशांक शर्मा, आशू मौर्या, अजय शर्मा, आयुष, नीलेश सिंह, मातादीन, डॉ राजेंद्र यादव, लखन सिंह,देवतादीन यादव, पवन , मंजू अग्रहरि, शिवम वैश्य, बृजेश सिंह आदि लोग मौजूद रहे।