रायबरेली में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के उप वर्गीकरण आरक्षण संबंधी 01अगस्त 2024 माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले को निरस्त कराए जाने के संबंध में रायबरेली जनपद के Sc/St समाज के समस्त अम्बेडकरवादी, समतावादी, संविधान प्रेमी, शैक्षिक, सांस्कृतिक, समस्त विभागों के कर्मचारी संगठन एंव धम्म से जुड़े विभिन्न सामाजिक संगठनो ने संयुक्त बैनर तले हजारों की संख्या में जनांदोलन कर शहर के हाथी पार्क स्थित बाबा साहब डॉoअम्बेडकर प्रतिमा स्थल से शहीद चौक डिग्री कालेज तक पैदल मार्च कर अक्रोश व्यक्त किया और भारत बन्द का समर्थन कर महामहिम राष्ट्रपति महोदया एंव माo प्रधानमंत्री महोदय को संबोधित 17सूत्री मांगपत्र जिलाधिकारी के माध्यम से अपना ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा। ज्ञापन देते हुए पैदल मार्च का नेतृत्व कर रहे ईo एस के आर्या, राम सजीवन धीमान,राजेश कुरील, सुनील दत्त, रोहित चौधरी, राजेश पासवान, अनिल कांत, विमल किशोर सबरा डाo पवन राव, अम्बेडकर, चन्दन सोनकर, राजकुमार आर्या, अरविन्द चौधरी, देश राज पासी, पिंकी दोहरे ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा भारत की अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को प्रदत्त संवैधानिक अधिकार आरक्षण पर कुठाराघात करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों व जनजातियों के क्रीमीलेयर एवं जातीय उपवर्गीकरण कर आरक्षण व्यवस्था का जो फैसला दिनांक 1 अगस्त 2024 को दिया है, वो भारतीय संविधान की मूल भावना एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 एवं 16 (4) के विरुद्ध है। माननीय सुप्रीम कोर्ट को अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के पूर्व प्रदत्त आरक्षण में एडिशन, डिलीशन एवं मोडिफिकेशन का संवैधानिक कोई अधिकार नहीं है।
ज्ञापन के माध्यम से रामसेवक वर्मा, राजेंद्र चौधरी, सीबी गौतम, देश राज पासी प्रमोद कुमार बौद्ध, एडo एस एन मानव, नरेन्द्र बौद्ध, अशोक प्रियदर्शी, सुरेश भारती, बाबू लाल सोनकर ने कहा कि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए की गई है, जबकि अभी भी एससी/ एसटी एवं आदिवासियों से छुआछूत, ऊंच-नीच, जातिभेद का दुर्व्यवहार किया जाता है। एक अगस्त को अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के आरक्षण के विरुद्ध क्रीमीलेयर एवं जातीय उपवर्गीकरण संबंधी माननीय सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, देश के तमाम Sc/St, सामाजिक संगठनों में भयंकर जनाक्रोस है।
ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के क्रीमीलेयर एवं उपवर्गीकरण संबंधी माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने हेतु भारत सरकार संसद का एक विशेष अधिवेशन बुलाकर आरक्षण पूर्व की भांति रखे जाने और उसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की कार्यवाही करे। इस अवसर पर बाबू लाल दिवाकर,रमेश बौद्ध, स्वामी दयाल, राजेन्द्र बौद्ध, शिव नारायन सोनकर, सरवन बौद्ध, राहुल सोनकर जवाहर लाल, हरि प्रसाद शास्त्री, सरोज बाला सहित जनपद के कोने कोने से आए हजारों अम्बेडकर वादी महिला पुरुष शामिल थे।