कार्यक्रम में शामिल डॉ अनुराधा वत्स, NGO दीपशिखा, राँची ने “लैंगिक विविधता और समावेशी कार्यस्थल के बीच संबंध पर ज़ोर देना” विषय पर बोलते हुए कहा पहले हमें समझना है कि विविधता और समावेशन के बीच क्या संबंध है। विविधता और समावेशन दो परस्पर जुड़ी अवधारणाएँ हैं – “विविधता किसी इकाई के प्रतिनिधित्व या संरचना पर केंद्रित होती है।” “समावेशन इस बारे में है कि लोगों के विभिन्न समूहों के योगदान, उपस्थिति और दृष्टिकोण को कितनी अच्छी तरह महत्व दिया जाता है और एक वातावरण में एकीकृत किया जाता है।”विविधता के विभिन्न रूपों के बीच जटिल तरीकों को समझना एक समावेशी कार्यस्थल बनाने के लिए आवश्यक है जो सभी कर्मचारियों को महत्व देता है और उनका समर्थन करता है। उन्होंने बताया कि किस तरह हर परिस्थिति हर कठिनाइयों से लड़कर सुश्री किरण बेदी, जो अपनी जगह बनाने वाली पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनी मूलतः पुरुष गढ़ मे।