पुलिस द्वारा गदागंज में हुई लूट की घटना का नाटकीय तरीके से किए गए पर्दाफाश पर हर तरफ उंगली उठ रही है। एक निर्दोश को जेल भेज कर पुलिस ने वाहवाही जरूर लूट ली, लेकिन उसकी कार्यशैली को लेकर हर तरफ चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। लूट की घटना को अंजाम देने वाले लुटेरो तक पुलिस अभी तक नहीं पहुंच पाई और ना ही लूटी हुई बाइक बरामद की लेकिन रास्ते में पड़े हुए रूपयो से भरे हुए बैग को पुलिस तक पहुंचाने वाले युवक को जेल भेज कर पुलिस ने अपनी पीठ जरूर थपथपा ली है। लूट की घटना के बाद से ही पुलिस लुटेरों तक पहुंचने के लिए हर जुगत में लगी रही। लगभग एक दर्जन से अधिक संदिग्ध युवको को थाने उठाकर उनके साथ कड़ाई से पूछताछ हुई और अंत में उन्हें छोड़ दिया गया। घटना 20 अगस्त की है गदागंज बाजार में जन सुविधा केंद्र चलाने वाले रवि शंकर दुकान बंद करके अपनी अपाचे बाइक से घर जा रहे थे। तभी झस्वां जलालपुर धई मोड़ के पास दो अज्ञात व्यक्तियों ने उनके साथ मारपीट कर अपाचे बाइक एवं आठ लाख रूपयो से भरा हुआ बैग छीन कर फरार हो गए लुटेरे बैग व बाइक लेकर जलालपुर धई होते हुए महामाया की तरफ निकले और रास्ते में रूपयो से भरा हुआ बैग फेंक दिया और बाइक लेकर चले गए तभी उधर से गुजर रहे जमुनीपुर चरुहर निवासी दीपू अपने एक अन्य साथी के साथ गदागंज से वापस आ रहा था। रूपयो से भरा हुआ बैग देखकर रुक गया। वहीं पर मौके पर बभनपुरवा निवासी राहुल तिवारी भी पहुंचा उसने दीपू को चुपचाप बैग ले जाने की बात कही तीन दिन तक रूपयो से भरा हुआ बैग दीपू के घर पर रखा रहा। लेकिन अंत में उसने ग्राम प्रधान को मामले की जानकारी दी और ग्राम प्रधान की मदद से उसने रूपयो से भरा हुआ बैग गदागंज थाने पहुंचा दिया। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि राजू सिंह का आरोप है कि पुलिस यहीं से अपनी सफलता की गुत्थी सुलझाने लगी और युवक को ही थाने पर बिठाकर उसको आरोपी बना दिया। जबकि उसको पूरे पवारन के पास से गिरफ्तारी दिखाई जैसे ही क्षेत्र में दीपू को लूट की घटना के आरोप में जेल भेजने की भनक लगी लोगों में आक्रोश बढ़ता गया हालांकि पुलिस के आगे लोगों की एक न चली।